बठिडा. जरूरतमंद परिवारों को पांच लाख तक सेहत बीमा देने के लिए सरकार की तरफ से शुरू की गई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्या योजना में हर माह लाखों का घपला करने वाले एक दर्जन से अधिक अस्पतालों की भी जांच होगी। इसमें बठिंडा में ही पांच अस्पताल है जिनके खिलाफ सेहत विभाग के पास दर्जनों शिकायतों की जांच चल रही है। सरकार ने पिछले दिनों कड़े कदम उठाते हुए गड़बडि़यां करने और मरीजों को योजना का सही फायदा नहीं पहुंचाने वाले प्रदेश के पांच प्राइवेट अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया है। जिन अस्पतालों को योजना से बाहर किया गया है, उन अस्पतालों के खिलाफ सेहत विभाग को लंबे समय से घपलेबाजी करने की शिकायतें मिल रही थीं।
इसके बाद एंटी फ्राड यूनिट टीम ने अस्पतालों के खिलाफ मिल रही सभी शिकायतों की अपने स्तर पर जांच की और आरोप सही पाए जाने पर अपनी रिपोर्ट बनाकर स्टेट कमेटी को भेज दी। इसके बाद स्कीम के स्टेट नोडल आफिसर कम सीईओ ने इन पांचों को नोटिस जारी कर स्कीम से बाहर कर दिया है। इसमें पहले जहां आदेश मेडिकल कालेज का नाम शामिल था वही अब नया नाम मौड़ मंडी के आस्था अस्पताल का नाम भी जुड़ गया है। इस अस्पताल के खिलाफ भी दर्जनों शिकायते ऐसी की गई थी जिसमें डमी मरीज दिखाकर सरकार से इलाज के नाम पर लाखों की वसूली की गई वही इसमें मरीजों से भी इलाज के नाम पर एक लाख से दो लाख तक लिए गए जिसकी जांच के बाद सेहत विभाग ने बठिडा से संबंधित दो प्राइवेट अस्पतालों को इस स्कीम से बाहर किया है। वही सेहत विभाग के रिकार्ड अनुसार 22 अगस्त से लेकर 29 अगस्त तक अमृतसर, मानसा व मोगा जिले का एक-एक प्राइवेट अस्पताल का नाम भी स्कीम से ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिन्हें सेहत विभाग ने योजना से बाहर कर इस बाबत सबी क्लेम रोक दिए गए है व नए केस लेने पर रोक लगा दी।
बठिंडा का पावर हाउस रोड स्थित आस्था अस्पताल भी गौरखधंधे में शामिल
विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बठिडा के आदेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च, बठिडा का आस्था अस्पताल, अमृतसर का आकाशदीप अस्पताल, मानसा का जिदल आर्थो अस्पताल और मोगा का गर्ग नर्सिंग होम को फिलहाल स्कीम से बाहर किया गया है। इन अस्पतालों की सेहत विभाग के पास कई प्रकार की शिकायतें पहुंची थी। इसमें ज्यादातर शिकायतें यह थीं कि उक्त अस्पताल सरकार से बीमा का फायदा ले रहे थे और दूसरी तरफ मरीजों का इलाज कर उनसे भी पैसे वसूल कर रहे थे। वही कई डमी मरीजों के क्लेम लेकर लाखों की चपत सरकार को लगाई गई। इस काम में अस्पताल की तरफ से फैलाए गए दलालों व पीआर के नेटवर्क से यह गौरखधंधे को अंजाम दिया जाता था। अस्पताल मरीजों की दो-दो फाइलें तैयार कर सरकार व मरीज दोनों से पैसे वसूल कर रहे थे। विभाग के पास सैकड़ों शिकायतें पहुंचने के बाद जब इनकी जांच करवाई गई, तो ज्यादा शिकायतें सही मिली। विभाग ने आदेश अस्पताल, आस्था अस्पताल मौड़(बठिडा) व अमृतसर का आकाशदीप अस्पताल को 22 अगस्त को और मानसा के जिदल आर्थो व मोगा के गर्ग नर्सिंग होम को जुलाई माह में ही स्कीम से बाहर कर दिया गया था।
नगद पैसे की वसूली भी कर रहे थे आयुष्मान योजना के कार्ड धाारकों से
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में डमी मरीजों की भर्ती करने और मरीजों से नकद पैसे लेकर और योजना के तहत उनका इलाज करने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद बठिडा के आदेश इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च को आयुष्मान योजना से बाहर कर दिया गया है। स्टेट हेल्थ एजेंसी पंजाब की स्टेट एंटी फ्राड यूनिट ने कार्रवाई की है। इससे पहले डिप्टी मेडिकल कमिश्नर बठिडा की रिपोर्ट के आधार पर स्टेट एंटी फ्राड यूनिट के चेयरमैन ने आदेश कॉलेज को शोकॉज नोटिस जारी कर अगले आदेश तक आयुष्मान भारत के तहत मिलने वाली हर प्रकार की सुविधाओं पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन अब आदेश अस्पताल को योजना से बाहर कर दिया गया है।
आदेश अस्पताल के खिलाफ ही 104 से ज्यादा शिकायते
स्टेट हेल्थ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि आदेश अस्पताल के खिलाफ 104 से अधिक शिकायतें मिली है, जिसमें वह आयुष्मान भारत योजना के कार्ड होल्डर मरीजों से नकदी वसूल कर रहे हैं। वहीं जारी आदेश में अस्पताल के खिलाफ दो बड़ी शिकायतों का भी जिक्र किया गया है, जिसमें स्टेट इम्प्लीमेंट कमेटी एसईसी की तरफ से अस्पताल को शोकॉज नोटिस जारी करने के साथ वार्निंग लेटर देने की बात कही है। हेल्थ एंड ह्यूंमन राइट एक्टिविस्ट डॉ. वितुल गुप्ता ने स्कीम के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर कुमार राहुल को 31 जनवरी 2020 को लिखित शिकायत भेजी थी। अस्पताल में आने वाले स्कीम होल्डर मरीजों से पैसे की मांग की जाती है और नहीं देने पर इलाज नहीं किया जाता है।
लाखों डमी फाइले तैयार कर बीमा कंपनियों व सरकार से वसूल किया गया क्लेम
इतना ही नहीं इसमें कई डमी केस बनाकर उनकी फाइल तैयार की जाती है और उन फाइलों को सरकार के पास भेजकर राशि क्लेम की जाती है। यह डमी फाइलें ऐसे लोगों की होती है, जिनके पास योजना का कार्ड है व उन्हें कमिशन व कुछ राशि का लालच देकर बिना इलाज के ही फाइल तैयार कर सरकार से भुगतान हासिल कर लिया जाता है। आयुष्मान भारत-सरबत सेहत बीमा योजना के तहत निजी अस्पतालों को फायदा पहुंचाने के आरोपों के चलते पिछले दिनों मोहाली के एसएमओ का तबादला कर दिया गया था। स्थानीय विधायक व राज्य के सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने एसएमओ के खिलाफ जांच विभाग के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को सौंप दी है। वह एक सप्ताह में जांच करके अपनी रिपोर्ट देंगे।
बीमा कंपनी ने भी की थी सीएम ऑफिस को शिकायत
कई सेहत अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने सिविल अस्पताल में आए सैकड़ो मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा, जबकि सभी को इसकी जरूरत नहीं थी। बीमा कंपनी ने भी ऐसी ही कुछ अनियमितताओं की शिकायत जोकि विबिन्न सीएमओ से जुड़ी हैं, सीएम ऑफिस को भेजी है। इसके साथ ही उनके खिलाफ जूनियर डाक्टर्स व पैरामैडिकल स्टाफ की ओर से भी विभाग को शिकायतें मिल रही थीं।
सेहत विभाग के अधिकारियों की भी मिलीभगत, दे रहे प्राइवेट अस्पतालों को लाभ
कई सेहत अधिकारियों की प्राइवेट अस्पतालों के साथ मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है इसमें सरकारी अस्पताल में तैनात अधिकारी प्राइवेट अस्पतालों में ऐसे मरीजों को रैफर करते थे जिन्हें इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन उनके पास सरकार की योजना का कार्ड होने के कारण मरीज को जबरन अस्पताल में दाखिल कर उसका फााइल तैयार कर बिना जरूरत के ही लाखों रुपए का क्लेम हासिल कर लिया जाता था। इस गौरखधंधे को लेकर राज्य के सेहत विभाग के पास भी सैकड़ों शिकायतें पहुंची है इन सभी शिकायतों पर जांच की जा रही है व जल्द इस गौरखधंधे में कई सेहत विभाग के अधिकारियों पर भी घपले की गाज गिर सकती है।