हिंसक झड़प पर भारत का चीन को जवाब / चीन ने हाई लेवल पर बनी आपसी सहमति का ध्यान रखा होता तो दोनों तरफ सैनिकों की जान नहीं जाती: विदेश मंत्रालय
लद्दाख में सोमवार देर रात 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच पत्थर और लाठी से झड़प भारत और चीन की सीमा पर 45 साल बाद शहादत हुई, हिंसक झड़प में भारत के कर्नल समेत 3 सैनिक शहीद
नई दिल्ली. लद्दाख की गालवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों की हिंसक झड़प पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन को सख्त लहजे में जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अगर चीन ने हाई लेवल पर बनी आपसी सहमति का ध्यान रखा होता तो दोनों तरफ के सैनिकों की जान नहीं जाती।
एकतरफा कार्रवाई पर विदेश मंत्रालय की चीन को दो टूक
- विदेश मंत्रालय ने मंगलवार शाम करीब 8.15 बजे बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा- 15 जून की रात चीन के सैनिकों ने लद्दाख में यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कार्रवाई की। इसके चलते दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई।
- “दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। इस नुकसान को टाला जा सकता था, अगर चीनी पक्ष ईमानदारी से हाई लेवल पर बनी सहमति का पालन करता।’
- मंत्रालय ने कहा- बॉर्डर मैनेजमेंट को लेकर भारत का नजरिया बेहद जिम्मेदाराना रहा है। भारत की गतिविधियां हमेशा एलएसी के दायरे के भीतर ही होती हैं। हम चीन की तरफ से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं।
- हम मानते हैं कि सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाए रखना जरूरी है। मतभेद हों तो उन्हें बातचीत के जरिए सुलझाया जाए। लेकिन, हम मजबूती से यह बात साफ करना चाहते हैं कि हम भारत की संप्रभुता और अखंडता को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
इस बार झड़प में कोई गोली नहीं चली
45 साल यानी 1975 के बाद भारत-चीन सीमा पर ऐसे हालात बने हैं, जब भारत के जवानों की शहादत हुई है। इस बार कोई गोली नहीं चली। दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में पत्थर और लाठी से झड़प हुई। सोमवार रात लद्दाख की गालवन वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इसमें भारत के एक कर्नल और दो जवान शहीद हो गए।