- देवेंद्र फडणवीस ने कल ली थी सीएम पद की शपथ
- अजित पवार ने ली थी डिप्टी सीएम पद की शपथ
- महाराष्ट्र में सरकार की सियासत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची
- राज्यपाल ने बहुमत साबित के लिए दिया 30 नवंबर तक का वक्त
- शिवसेना, कांग्रेस और NCP का 154 MLA के समर्थन का दावा
मुंबई। महाराष्ट्र में सरकार गठन के बाद से ही सियासत का पहिया भरपूर घूम रहा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 51 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. अजित पवार भाजपा का साथ छोड़ने को तैयार नहीं हैं. जयंत ने ट्वीट कर अजित से वापस लौट आने की खुली अपील की है. शरद पवार और सुप्रिया सुले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास से बात की है. वहीं उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने विधायकों के साथ मीटिंग में कहा कि घबराएं नहीं, हमारे पास संख्या है. धनंजय मुंडे ने ट्वीट कर कहा है कि मैं पवार साहेब के साथ हूं. अफवाह न फैलाएं.
महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ी जा रही है. अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही तय करेगा कि महाराष्ट्र में आगे क्या होगा? लिहाजा सुप्रीम कोर्ट में कानूनी जंग जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियां पुरजोर कोशिश कर रही हैं. सूत्रों के मुताबिक मुंबई के रेनेसां होटल में एनसीपी के विधायकों से हलफनामा लिया गया है, जिसको सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा.
एनसीपी ने शिफ्ट किए विधायक
मुंबई के रेनसां होटल में रविवार को दिनभर गहमागहमी का माहौल रहा. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं का यहां आना-जाना लगा रहा. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार खुद इस होटल में पहुंचे और एनसीपी के विधायकों से बात की. इस होटल में एनसीपी के कितने विधायक हैं इसकी जानकारी अबतक नहीं हो पाई है. लेकिन एनसीपी को लगातार अपने विधायकों के टूटने का डर सता रहा है. इसी वजह से देर शाम तक एनसीपी ने अपने विधायकों को होटल रेनसां से होटल हयात शिफ्ट करने का फैसला लिया. रात के 10 बजते-बजते एनसीपी के सभी विधायकों को हयात होटल में शिफ्ट कर दिया गया.
विधायकों से हलफनामे पर दस्तखत
सूत्रों के मुताबिक रेनसां होटल से हयात होटल शिफ्ट करने से पहले वहां मौजूद सभी एनसीपी विधायकों से एनसीपी विधायकों से एक हलफनामे पर दस्तखत करवाया गया. इस हलफनामे को अदालत में पेश किया जाएगा. हालांकि इस हलफनामें क्या लिखा है इसकी जानकारी अभी तक नहीं हो पाई है.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दावा किया है कि संघ के नेताओं ने उनसे संपर्क किया था और बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर चर्चा के लिए बात छेड़ने की पहल की थी. सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने इस ऑफर को ठुकरा दिया. बता दें कि 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र के नतीजे आए रविवार को एक महीने पूरे हो गए, इस दौरान कई मौके ऐसे आए जब बीजेपी-एनसीपी साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए करीब आए. हालांकि महात्वाकांक्षाओं के टकराव की वजह से दोनों दल एक साथ नहीं आ सके.
संघ ने की थी पेशकश
माना जा रहा है कि बीजेपी-शिवसेना को साथ लाने के लिए संघ ने कई बार पर्दे के पीछे कोशिशें की. शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने रविवार को मुंबई के ललित होटल में विधायकों से कहा कि आरएसएस के नेताओं ने उनसे संपर्क किया, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया, क्योंकि बीजेपी के साथ दोस्ती करने का वक्त निकल चुका था. सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे ने यह दावा उस समय किया, जब वो ललित होटल में अपने विधायकों को संबोधित कर रहे थे.
उद्धव को जासूसी का डर
बता दें कि उद्धव ठाकरे ललित होटल में शिवसेना विधायकों की खुद देखरेख कर रहे हैं. इस दौरान ललित होटल के लॉबी में जब बड़ी संख्या में शिवसैनिक जुट गए तो उन्होंने तुरंत वो जगह खाली करने को कहा. उद्धव ठाकरे ने कहा कि कुछ लोग भीड़ का फायदा उठाकर होटल के अंदर आ सकते हैं और उनकी जासूसी कर सकते हैं. इसलिए उद्धव ने सभी शिवसैनिकों को होटल के अंदर ही रहने को कहा है. ललित होटल में उद्धव व्यक्तिगत रूप से इंतजामों का जायजा ले रहे हैं और अपने विधायकों पर नजर रखे हैं. शिवसेना को डर है कि उनके विधायकों को तोड़ा जा सकता है. बता दें कि शिवसैनिक होटल में पार्टी विधायकों की रखवाली कर रहे हैं, लेकिन उनकी ज्यादा संख्या होने की वजह से वहां परेशानी पैदा हो रही है.