संकट में ठाकरे सरकार LIVE:उद्धव की कैबिनेट मीटिंग खत्म, 8 मंत्री गायब; शिवसेना विधायकों को शाम 5 बजे CM ऑफिस पहुंचने का फरमान
सूत्रों के मुताबिक बहुमत की संख्या नहीं होने की स्थिति में उद्धव इस्तीफा दे सकते हैं। इधर, चर्चा हैं कि महाविकास अघाड़ी सरकार विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर सकती है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने इसके संकेत दिए। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा- महाराष्ट्र में जो पॉलिटिकल हलचल है, वो विधानसभा भंग करने की दिशा में बढ़ रही है।
महाराष्ट्र में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस नेता कमलनाथ की मुलाकात मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से नहीं हो पाई। कमलनाथ उद्धव से मिलने से पहले कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पहुंचे। वहां से बाहर निकलते वक्त उन्होंने जानकारी दी कि उद्धव ठाकरे कोरोना पॉजिटिव हैं, इसलिए अब वे उनसे मुलाकात नहीं कर पाएंगे और वे अब NCP सुप्रीमो शरद पवार से मिलने जा रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक वर्चुअल तरीके से शुरू हो गई है।
उद्धव के इस्तीफे पर सस्पेंस, विधानसभा भंग होने की भी अटकलें
सूत्रों के मुताबिक बहुमत की संख्या नहीं होने की स्थिति में उद्धव इस्तीफा दे सकते हैं। इधर, चर्चा हैं कि महाविकास अघाड़ी सरकार विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर सकती है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने इसके संकेत दिए। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा- महाराष्ट्र में जो पॉलिटिकल हलचल है, वो विधानसभा भंग करने की दिशा में बढ़ रही है।
सियासी हलचल के बीच मुख्यमंत्री उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे ने अपने ट्विटर बायो से मंत्री पद हटा लिया है। आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र सरकार में पर्यटन और पर्यावरण विभाग के मंत्री हैं।
इससे पहले, बुधवार सुबह बात करते हुए राउत ने कहा- ज्यादा से ज्यादा क्या होगा सत्ता जाएगी, लेकिन पार्टी की प्रतिष्ठा से समझौता नहीं करेंगे। शिंदे ने कोई शर्त नहीं रखी है। पार्टी बनाने में उनका योगदान रहा है। हम लगातार संपर्क में हैं और सभी विधायक शिवसेना में ही रहेंगे। ऑपरेशन लोटस सफल नहीं हो पाएगा।
MLC चुनाव में हंगामा कर BJP ने उद्धव को भटकाया, शिंदे को रातोंरात निकलने में मदद की
विधायक एयरलिफ्ट कर गुवाहाटी गए, संख्या बढ़ेगी
पहले दिन सूरत के होटल में ठहरे 40 विधायक बुधवार सुबह 6 बजे गुवाहाटी एयरलिफ्ट कर ले जाए गए हैं। 7 विधायक निर्दलीय हैं। विधायकों को स्पेशल फ्लाइट से ले जाया गया। सूरत एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि सत्ता के लिए हिंदुत्व से समझौता नहीं कर सकता हूं।
इधर, सूत्रों का दावा है कि शाम तक 10 और विधायक उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। अगर, ऐसा हुआ तो बागी विधायकों की संख्या 50 हो सकती है। वहीं महाराष्ट्र में सरकार को खतरे में देखकर कांग्रेस और NCP भी अलर्ट हो गई है। कांग्रेस नेता कमलनाथ मुंबई में विधायकों से बात करेंगे, जबकि शरद पवार भी मुख्यमंत्री से मिलकर आगे की रणनीति बनाएंगे।
तस्वीर में देखिए विधायकों का एयरलिफ्ट…
महाराष्ट्र में सोमवार को हुए विधान परिषद चुनाव में महाविकास अघाडी का बहुमत 151 तक गिर गया है। राज्यसभा चुनाव के दौरान महाविकास आघाडी के पास 162 विधायक थे, जबकि उससे पहले ये संख्या 170 थी। यानी राज्यसभा चुनाव के बाद महाविकास अघाडी के 11 विधायक कम हुए हैं।
परिषद चुनाव से पहले और बाद में तुलना करके देखा जाए तो कुल 19 विधायक महाविकास आघाडी से दूर हुए। दूसरी तरफ अब भाजपा को 134 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। सरकार टिकने के लिए 144 का बहुमत जरूरी है। ऐसे में महाविकास अघाडी और भाजपा की संख्या में अंतर बहुत कम रह गया है।
फिर भी, शिवसेना में बगावत होती है तो दल-बदल कानून सबसे बड़ा चैलेंज होगा। बगावत के लिए एकनाथ शिंदे को इन विधायकों की सदस्यता भी कायम रखनी होगी। महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के पास कुल 56 विधायक है। कानून के हिसाब से शिंदे को 2/3 विधायक यानी 37 विधायक जुटाने होंगे। फिलहाल शिंदे के पास कुल 30 विधायक होने का दावा किया जा रहा है, जिसमें शिवसेना के 15 विधायक है।
शिंदे की आदित्य ठाकरे से नोकझोंक हुई थी
सूत्रों के मुताबिक, विद्रोह से 2 दिन पहले, यानी शुक्रवार को एकनाथ शिंदे और आदित्य ठाकरे के बीच मुंबई के पवई के एक होटल में नोकझोंक हुई थी। इस दौरान संजय राउत भी वहां मौजूद थे। दोनों के बीच विधान परिषद चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी के लिए अतिरिक्त वोटों का उपयोग करने को लेकर बहस हुई थी, जिसका शिंदे ने विरोध किया था। शिंदे के विरोध की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवारों में से एक, भाई जगताप को उनकी जरूरत के वोट मिले, लेकिन दूसरे उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे निर्वाचित नहीं हुए।
नवंबर 2019 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद काफी सियासी ड्रामा हुआ था। इसके बाद नवंबर 2019 में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें NCP और कांग्रेस का समर्थन मिला था। 2003 में उद्धव ठाकरे पहली बार शिवसेना में कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। बाला ठाकरे के निधन के बाद उन्होंने 2013 में शिवसेना की कमान संभाली थी।