वैज्ञानिकों ने खोजी कोरोना वायरस को इंसान के शरीर में ही खत्‍म कर देने वाली एंटीबॉडी

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी एंटीबॉडी (Antibody) की खोज की है, जो कोरोना वायरस (Coronavirus) के स्‍पाइक प्रोटीन से चिपकर उन्‍हें तोड़ देती है. इससे वायरस इंसानी शरीर की कोशिकाओं (Cells) के साथ ना तो बांडिंग बना पाता है और ना ही अपनी संख्‍या में इजाफा कर संक्रमण फैला पाता है.

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कोरोना वायरस (Coronavirus) से दुनिया को निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिक और शोधकर्ता दिनरात काम कर रहे हैं. इस समय 100 से ज्‍यादा वैक्‍सीन (Vaccine) पर काम चल रहा है तो कारगर इलाज (Treatment) ढूंढने का काम भी जारी है. कुछ शोधकर्ता कोरोना वायरस को हर पहलू से समझने में लगे हैं ताकि वैक्‍सीन बनाने या इलाज ढूंढने में मदद हो सके तो कुछ इंसान के शरीर की संक्रमण के खिलाफ प्रतिक्रिया को समझने की कोशिश कर रहे हैं.

इसी क्रम में कुछ वैज्ञानिकों ने एक ऐसी एंटीबॉडी (Antibody) की खोज की है जो कोरोना वायरस के शरीर में पहुंचने के बाद संक्रमण को फैलने से पूरी तरह रोक देती है. शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि एंटीबॉडी 47D11 कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को जकड़कर उन्‍हें तोड़ देती है. इससे वायरस इंसान के शरीर में संक्रमण नहीं फैला पाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस अपनी इन्‍हीं स्‍पाइक प्रोटीन के जरिये मानव शरीर की कोशिकाओं के साथ बांडिंग बनाकर अपनी संख्‍या में इजाफा करता है और फिर इंसान को बीमार कर देता है.

मरीजों के इलाज में मददगार होगी नई जानकारी

एंटीबॉडी की खोज करने वाली यूरोपीय शोधकर्ताओं की टीम ने चूहों पर किए प्रयोग में पता लगाया कि उनकी कोशिकाओं (Rat Cells) में ये खास 47D11 एंटीबॉडी होती है, जो कोरोना वायरस के प्रोटीन को पकड़कर पूरी तरह ब्लॉक कर देती है. इससे वायरस खत्म हो जाता है और चूहों में संक्रमण नहीं फैल पाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि ये नई जानकारी संक्रमितों के इलाज में जुटे डॉक्‍टरों और इलाज ढूंढ रहे वैज्ञानिकों के लिए काफी मददगार होगी.

वैज्ञानिकों ने ये ये खास 47D11 एंटीबॉडी चूहों के शरीर से खोजकर जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से इंसानों के लायक बनाई हैं.

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने लैब में अलग-अलग कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को चूहे की कोशिकाओं में पहुंचाया. इस दौरान वैज्ञानिकों ने चूहों में कोरोना वायरस परिवार के SARS-CoV2, सार्स (SARS) और मर्स (MERS) को चूहों में डाला था. इनमें सिर्फ एंटीबॉडी 47D11 ही संक्रमण को रोकने में सफल थी. वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को हराने वाली चूहे की 51 एंटीबॉडीज अलग की हैं.

सार्स वायरस को एंटीबॉडी ने कर दिया निष्क्रिय
वैज्ञानिकों ने चूहों से मिली इस एंटीबॉडी को इंसानों के लायक बनाया. साइंस मैगजीन नेचर की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके बाद इस एंटीबॉडी का परीक्षण सार्स कोरोना वायरस पर किया गया, जिसे इसने निष्क्रिय कर दिया. वैज्ञानिकों का दावा है कि कोविड-19 भी सार्स के परिवार का वायरस है. इसलिए यह एंटीबॉडी उसे भी कमजोर कर खत्म करने में सफल होगी.

वैज्ञानिकों की इस टीम के प्रमुख यूट्रेच यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बेरेंड जेन बॉश के मुताबिक, एंटीबॉडी 47D11 कोरोना वायरस की उस लेयर पर हमला करती है, जिसका इस्‍तेमाल वायरस इंसानी कोशिकाओं से चिपकने के लिए करता है. उनका कहना है कि मान लीजिए ये एंटीबॉडी इंसानी शरीर में कोरोना वायरस को फैलने नहीं भी रोक पाती है तो भी संक्रमण फैलने का वक्‍त ज्‍यादा लगना तय है. बता दें कि कोरोना वायरस के चारों तरफ ऐस-2 नाम के प्रोटीन की कंटीली परत होती है.

एंटीबॉडी वायरस से चिपककर कर देती है खत्‍म
कोरोना वायरस की ये कंटीली परत ही इंसानी शरीर की कोशिकाओं से चिपक जाता है. फिर कोशिकाओं की बाहरी परत को गलाकर उसके अंदर जींस छोड़ देता है. कोशिकाओं में जींस छोड़ने के बाद वायरस कोशिकाओं को खाकर अपनी संख्या बढ़ाना शुरू करता है. रीडिंग यूनिवर्सिटी के सेल्यूलर माइक्रोबॉयोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. सिमोन क्लार्क ने कहा कि जब कोरोना वायरस को इंसानी शरीर में प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा तो उसके आगे के सारे काम रुक जाएंगे.

ये एंटीबॉडी वायरस के स्‍पाइक प्रोटीन पर हमला कर उनसे चिपक जाती हैं. इससे वायरस या तो मारा जाता है या शरीर की कोशिकाओं पर अपनी पूरी क्षमता के साथ हमला नहीं कर पाता है. दोनों ही सूरतों में कोरोना वायरस इंसान को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. हालांकि अभी इस एंटीबॉडी का क्लीनिकल ट्रायल होना बाकी है. उसके बाद ही ठोस तौर पर कुछ कहा जा सकेगा.

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