लोकसभा में स्थापित हुआ कीर्तिमान, 37 दिनों के कामकाज में पास हुए 35 बिल

उत्पादकता की नजरिए से लोकसभा के पहले सत्र में करीब 125 फ़ीसदी काम हुआ. 18 जुलाई को शून्यकाल 4 घंटे 48 मिनट तक चला और इस दौरान रिकॉर्ड 161 सांसदों को बोलने का मौका मिला.

नई दिल्ली: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला संसद सत्र 17 जून को शुरू हुआ था और इस दौरान लोकसभा 37 दिनों तक कामकाज हुए. इस दौरान 280 घंटे तक काम हुआ और लोकसभा अपने नियमित समय से 70 घंटे 45 मिनट ज़्यादा देर तक बैठी. इस दौरान औसतन रोजाना प्रश्नकाल में 7.6 प्रश्न पूछे गए जबकि 1996 से अब तक रोजाना औसतन 3.35 सवाल ही पूछे जा सके थे. लिहाजा अगर उत्पादकता की नजरिए से देखें तो लोकसभा के पहले सत्र में करीब 125 फ़ीसदी काम हुआ.

वर्ष 1952 से भी ज़्यादा बिल पास हुए

 

Image result for lok sabha

  • सत्र के दौरान लोकसभा में कई नए कीर्तिमान स्थापित हुए. जिनमें सबसे पहले सदन से पारित हुए बिलों की संख्या है. मोदी सरकार के लिए लोकसभा के इस सत्र का इससे बेहतर समापन क्या हो सकता था, जब कश्मीर से धारा 370 हटाने की बीजेपी का सालों पुराना सपना साकार हुआ. सत्र के आखिरी दिन मंगलवार को लोकसभा ने भी धारा 370 हटाने के प्रस्ताव और जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने वाले बिल पर अपनी मंजूरी दे दी.
  • राज्य सभा ने इसे सोमवार को मंज़ूर किया था. 17 जून से शुरू हुए सत्र के दौरान लोकसभा में 33 बिलों को पेश किया गया और 35 बिल पारित किए गए. लोकसभा के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ होगा कि सदन में पेश किए गए बिलों में से केवल दो बिल पारित नहीं हो पाए. कुछ बिल ऐसे थे जो पहले राज्यसभा में पेश हुए और बाद में लोकसभा से पारित हुए.
  • इनमें जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने वाला बिल और बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के अपराध पर फांसी की सजा का प्रावधान वाले बिल भी शामिल हैं. कुछ और अहम बिल जो लोकसभा ने पारित किए उनमें तीन तलाक कानून मोटरसाइकिल संशोधन बिल और नेशनल मेडिकल कमीशन बिल शामिल हैं. इस मामले में इस सत्र में 1952 में गठित पहली संसद का रिकॉर्ड तोड़ा, उस दौरान 32 बिल पेश किए गए जबकि 24 पारित किए गए थे हालांकि उस दौरान सत्र करीब 3 महीने चला था जिनमें 67 दिन संसद बैठी थी.
शून्यकाल का बेहतर इस्तेमाल

 

Image result for lok sabha

इस लोकसभा सत्र में शून्यकाल दूसरी विशिष्ट पहचान बनी. इस दौरान शून्यकाल का जितना उपयोग किया गया शायद ही कभी किया गया हो. नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपना पदभार संभालते ही यह साफ कर दिया था कि ज्यादा से ज्यादा नए सांसदों को इस बार बोलने का मौका दिया जाएगा. ओम बिरला अपनी बात पर खरे भी उतरे और आंकड़े इसकी गवाही देते हैं. 37 दिनों के कामकाज में 1066 मुद्दों को सांसदों ने शून्यकाल के दौरान उठाएं जो एक रिकॉर्ड है. पहली बार चुनकर आए 265 में से 229 सांसदों को शून्यकाल में बोलने का मौका मिला. इनमें 42 महिला सांसद भी शामिल हैं, इस लोकसभा में 46 महिला सांसद पहली बार चुनकर आई है. 18 जुलाई को तो शून्यकाल 4 घंटे 48 मिनट तक चला और इस दौरान रिकॉर्ड 161 सांसदों को बोलने का मौका मिला.

लोकसभा अध्यक्ष रहे चर्चा में

 

Image result for ओम बिरला

नए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इस दौरान सदन चलाने के अपने अंदाज के चलते हैं सुर्खियों में रहे. ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने सदन के कामकाज में बाधा डालने के लिए सत्ता पक्ष के सांसदों और मंत्रियों को भी डांट लगाने में देरी नहीं की. सत्र के ज्यादातर दिनों में दिन की बैठक समाप्त होने के तय समय यानि 6 बजे के बाद लोकसभा अध्यक्ष खुद आ कर बैठते रहे और देर शाम तक सदन की कार्यवाही चलाते रहे. एक दिन जब विपक्ष के कुछ सांसद किसी मुद्दे पर हो हंगामा कर रहे थे तो ओम बिरला ने उन्हें कड़े शब्दों में यहां तक कह दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही कभी स्थगित नहीं की जाएगी.

Leave A Reply

Your email address will not be published.