जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सोमवार को एक नोटिस जारी कर वकीलों से अनुरोध किया कि वे जजों को ‘माई लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ कहकर संबोधित न करें। भारत के संविधान में निहित समानता के अधिकार का सम्मान करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने 14 जुलाई को सर्वसम्मति से यह फैसला लिया। कोर्ट ने कहा वकीलों और कोर्ट के समक्ष पेश होने वाले लोगों को ऐसे संबोधनों का उपयोग बंद कर देना चाहिए।
Rajasthan High Court issues notice, it states, 'To honour the mandate of equality enshrined in the Constitution of India, the Court has resolved to request the counsels& those who appear before the Court to desist from addressing the judges as 'My Lord & 'Your Lordship'. pic.twitter.com/sg3nOkeWrI
— ANI (@ANI) July 15, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने भी कही थी यह बात
इससे पहले जनवरी 2014 में जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस एसए बोबडे की पीठ ने कहा था कि जजों को इन शब्दों से संबोधित करना अनिवार्य नहीं है। जजों को केवल सम्मानित तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ये मांग की गई थी कि जजों को ऐसे शब्दों से संबोधित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह देश की मर्यादा के खिलाफ है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वो वकीलों को ये निर्देश नहीं दे सकते हैं कि वे किस तरह से कोर्ट को संबोधित करें। इसी आधार पर याचिका खारिज कर दी गई थी।
साल 2009 में मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस चंद्रू ने भी वकीलों को इस तरह के संबोधन से मना किया था। हालांकि साल 2006 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि ‘माई लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ जैसे संबोधन का उपयोग नहीं होना चाहिए क्योंकि यह भारत के औपनिवेशिक अतीत के अवशेष हैं।