मध्य प्रदेश / सात घंटे के ड्रामे के बाद सिंधिया गुट के विधायकों का भोपाल आना कैंसिल, 3 घंटे तक इंतजार करते रहे स्पीकर एनपी प्रजापति

सिंधिया गुट के विधायक भोपाल पहुंचकर विधानसभा स्पीकर से मिलेंगे, इसकी वीडियोग्राफी होगी इस्तीफा देने वाले विधायकों को विधानसभा स्पीकर ने पेश होने के लिए नोटिस दिए, आज 6 विधायकों की पेशी थी

भोपाल. मध्यप्रदेश में सियासी उथल-पुथल चरम पर है। शुक्रवार को सात घंटे के ड्रामे के बाद सिंधिया गुट के विधायकों का भोपाल आना आखिरी समय पर कैंसिल हो गया। इन विधायकों में से 6 को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति से मुलाकात करनी थी। प्रजापति ने कहा कि उन्होंने 3 घंटे तक विधायकों का इंतजार किया, लेकिन कोई नहीं आया। इधर, राज्यपाल ने बेंगलुरु से इस्तीफा भेजने वाले 6 मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया। सुबह राज्यपाल से मिलने पहुंचे मुख्यमंत्री ने इसकी सिफारिश की थी। कैबिनेट से बर्खास्त किए गए छह मंत्रियों के विभागों का जिम्मा अन्य मंत्रियों को दिया गया है। विजयलक्ष्मी साधौ को महिला बाल विकास, गोविंद सिंह को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, ब्रजेंद्र सिंह राठौर को परिवहन, सुखदेव पांसे को श्रम, जीतू पटवारी को राजस्व, कमलेश्वर पटेल को स्कूली शिक्षा और तरुण भनोट को स्वास्थ्य विभाग दिया गया है।

सिंधिया समर्थक कुल 22 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को अपने इस्तीफे भेजे हैं। इसके बाद स्पीकर ने नोटिस जारी कर विधायकों को हाजिर होने के लिए कहा था। इनमें से 6 विधायकों को शुक्रवार, 7 विधायकों को शनिवार और बाकी 9 विधायकों को रविवार को उपस्थित होना है। एनपी प्रजापति ने कहा कि उन्होंने इस्तीफा देने वाले 6 विधायकों को आज मिलने का समय दिया था। प्रजापति ने कहा- मैंने आज तीन घण्टे तक विधायकों का इंतजार किया, लेकिन कोई नहीं आया। कल फिर नए विधायकों का इंतजार करूंगा। आज जो विधायक नहीं पहुंचे, उन्हें अगली तारीख दी जाएगी।

भाजपा डरी हुई: शोभा ओझा

मध्य प्रदेश कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने कहा- भाजपा डरी हुई है, इसलिए विधायकों को सामने लाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। अगर विधायक सिंधिया के साथ हैं, तो उन्हें भोपाल क्यों नहीं लाया गया।

एयरपोर्ट पर एसटीएफ तैनात रही

एयरपोर्ट पहुंचे भाजपा कार्यकर्ता जब सिंधिया के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे, उसी दौरान वहां कांग्रेस विधायकों को सीआईएसएफ के जवानों ने रोक दिया। इसके बाद कांग्रेसियों ने सिंधिया के विरोध में नारेबाजी की। भारी संख्या में दोनों ही तरफ के लोगों की मौजूदगी की खबर मिलने के बाद भोपाल कलेक्टर तरुण पिथौड़े और डीआईजी इरशाद वली एयरपोर्ट पहुंचे। मौके पर तनाव को देखते हुए कलेक्टर ने धारा-144 लागू करने के आदेश दिए।

इन विधायकों को भोपाल पहुंचना था

सिंधिया गुट के विधायकों में से पहले प्लेन में भाजपा सांसद रमाकांत भार्गव और विधायक अरविंद भदोरिया के साथ कांग्रेस विधायक सुरेश धाकड़, जसवंत जाटव, इमरती देवी, मनोज चौधरी, एंदल सिंह कंषाना, रक्षा सिरोनिया को आना था। विधायकों के अलावा इस प्लेन में पुनीत शर्मा और मोहन सिंह भी सवार थे। दूसरे प्लेन में भाजपा नेता उमाशंकर गुप्ता के साथ कांग्रेस विधायक तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसोदिया, कमलेश जाटव वापस लौटने वाले थे। वहीं विधायक रक्षा सिरोनिया के पति संतराम भी इसी प्लेन से आ रहे थे।

विधायकों ने केंद्रीय बलों की सुरक्षा मांगी

इससे पहले, बेंगलुरू से आने वाले विधायकों को रिसीव करने के लिए भाजपा के नेता दो बसों के साथ एयरपोर्ट पहुंचे। विधायकों ने सुरक्षा के लिए केंद्रीय सुरक्षाबलों की मांग की। इस संबंध में विधानसभा सचिवालय की तरफ से डीजीपी को एक पत्र भी भेजा गया।

भूपेंद्र सिंह ने इस्तीफे स्वीकार करने का अनुरोध किया
पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें तीन और विधायकों बिसाहूलाल सिंह, ऐंदल सिंह कंषाना और मनोज चौधरी के इस्तीफ़े सौंपे थे। साथ ही विधायकों का इस्तीफा मंजूर करने का अनुरोध किया था। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार है, लेकिन जब तक विधायकों के इस्तीफों पर फैसला नहीं होगा, फ्लोर टेस्ट कैसे होगा।

जीतू पटवारी और लाखन सिंह अभी भी बेंगलुरु में

बेंगलुरु के जिस रिसॉर्ट के बाहर गुरुवार दोपहर मंत्री जीतू पटवारी और लाखन सिंह के साथ एक नाटकीय घटनाक्रम का वीडियो सामने आया। इसके बाद कांग्रेस ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। पटवारी और लाखन सिंह समेत मध्य प्रदेश के 4 मंत्री अभी बेंगलुरु में हैं। उन्होंने विधायकों को रिसॉर्ट में रखे जाने को लेकर कर्नाटक कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार के साथ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा विधायकों को बंधक बनाए जाने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।

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