मध्य प्रदेश / पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का 91 की उम्र में निधन, 10 साल भोपाल के सांसद भी रहे

कैलाश जोशी बीते 3 साल से बीमार थे, रविवार सुबह भोपाल के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली 1955 में देवास की हाटपीपल्या नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जीत कर राजनीतिक सफर शुरू किया था

भोपाल. मध्य प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने वाले कैलाश जोशी का रविवार सुबह निधन हो गया। वे 91 साल के थे। जोशी करीब तीन साल से बीमार थे, उन्होंने भोपाल के निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका जन्म 14 जुलाई 1929 को देवास जिले की हाटपीपल्या तहसील में हुआ था। वे 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के बाद ही उसके सदस्य बन गए थे। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली। कैलाश जोशी के निधन पर प्रदेश में एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

Image result for kailash joshi

कैलाश जोशी 1954 से 1960 तक देवास जिले में जनसंघ के मंत्री रहे। 1955 में वह हाटपीपल्‍या नगरपालिका के अध्‍यक्ष बने। 1962 से लगातार 7 विधानसभा चुनाव बागली सीट से जीते। 1980 में भाजपा के गठन के बाद प्रदेश अध्यक्ष बने और 1984 तक इस पद पर रहे।

इमरजेंसी हटने के बाद मध्य प्रदेश के सीएम बने थे

1977 में देश से इमरजेंसी हटने के बाद चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजित होना पड़ा था। मोरारजी देसाई देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने देश की सभी कांग्रेस सरकारों को बर्खास्त करा दिया था। तब मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। कई विपक्षी दलों के विलय के बाद प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी। जनता पार्टी ने 320 में 231 सीटें जीतीं। तब कैलाश जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले वे 1972 से 1977 तक नेता प्रतिपक्ष रहे थे।

राजनेताओं ने शोक व्यक्त किया

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- जोशी ने मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम किया। उन्होंने भाजपा और जनसंघ को मध्य भारत में मजबूत बनाया।

 

गृह मंत्री ने कहा- मध्यप्रदेश में संगठन विस्तार में जोशी की अहम भूमिका

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दुख जताया

पटवा मुख्यमंत्री बने तो कैलाश जोशी नाराज हो गए थे

  • 1990 में भाजपा को मध्य प्रदेश में बहुमत मिला और सुंदरलाल पटवा मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान जोशी ने नाराज होकर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। करीब छह महीने बाद उन्हें मनाकर बिजली मंत्री बनाया गया था। अयोध्या कांड के बाद दिसंबर 1992 में भाजपा सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।
  • 1998 में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। इस दौरान चुनाव में भाजपा ने दिग्विजय को उनके गढ़ में घेरने के लिए कैलाश जोशी को उतारा था। यहां से दिग्विजय के भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस प्रत्याशी थे। कैलाश जोशी यह चुनाव 56 हज़ार वोट से हार गए थे। इसके बाद भाजपा ने जोशी को राज्यसभा में भेजा।
  • 2002 में जब उमा भारती ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया तो अंदरूनी कलह से जूझ रही पार्टी को बचाने के लिए कैलाश ने जिम्मेदारी संभाली थी। 2004 में उन्होंने भोपाल से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की और ये जीत 2014 तक बरकरार रही। 2014 में जोशी ने आडवाणी को भोपाल से लड़ने का आमंत्रण दिया था। आडवाणी को गांधीनगर (गुजरात) से लड़े, लेकिन जोशी को टिकट नहीं मिला था।

कार तक लोगों ने दी थी गिफ्ट
कैलाश जोशी सादगी पसंद नेता थे, उनके पास अपनी कार तक नहीं थी। 1981 में लगातार 5वीं बार बागली से विधायक बने जोशी का सम्मान कार्यक्रम रखा गया था। अटल बिहारी वाजपेयी और विजया राजे सिंधिया भी इसमें पहुंची थीं। यहां कार्यकर्ताओं ने चंदे से पैसा जुटाकर खरीदी गई एम्बेसडर की चाबी जोशी को भेंट की थी।

Leave A Reply

Your email address will not be published.