- संयुक्त राष्ट्र में बुधवार को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया था
- भारतीय अफसरों ने कहा- ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए केवल पुलवामा हमले को ही आधार नहीं बनाया गया
- ‘अजहर के द्वारा की गई सभी आतंकी साजिशें अधिसूचना में सूचीबद्ध होंगी’
नई दिल्ली. जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में वैश्विक आतंकी घोषित करवाने में भारत की कोशिशें कामयाब हुईं। बुधवार को यूएन में अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया गया। इस बीच भारतीय अफसरों ने कहा कि पाक गलत तरीके से इस पूरे मामले को भटकाने की कोशिश कर रहा है ताकि वह इस बड़े कूटनीतिक झटके से उबर सके।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, “सभी देशों ने मिलकर मसूद को वैश्विक आतंकी करार दिए जाने का फैसला लिया है।” चीन ने मंगलवार को ही इसके संकेत दे दिए थे कि वह इस बार मसूद का नाम प्रतिबंधित सूची में शामिल करवाने की कोशिशों में रोड़ा नहीं बनेगा। हालांकि, इससे पहले चीन ने 4 बार भारत की कोशिशों को तकनीकी कारण बताकर रोका था। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।
किसी एक घटना को आधार नहीं बनाया गया
अफसरों के मुताबिक- अजहर द्वारा जिस ताजा हमले की साजिश रची गई, वह पुलवामा फिदायीन हमला है। हालांकि, यूएन ने किसी एक हमले के आधार पर उसे वैश्विक आतंकी घोषित नहीं किया। इससे जुड़े कई सबूत सेंक्शंस कमेटी को सौंपे गए थे। यह (वैश्विक आतंकी घोषित होना) किसी आतंकी का बायोडाटा नहीं माना जा सकता। उसके द्वारा की गई सभी आतंकी साजिशें अधिसूचना में सूचीबद्ध होंगी।
यूएन कमेटी ने अजहर को अलकायदा के साथ संबंधों, आतंकी हमले की साजिश, उसके लिए फंड मुहैया व हथियार सप्लाई करने, आतंकियों की भर्ती और आतंकी गतिविधियों से जुड़े रहने के चलते ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया।
इस्लामाबाद शिफ्ट किया गया
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाक के बालाकोट में भारत की एयरस्ट्राइक के बाद मसूद अजहर को बहावलपुर में नजरबंद रखा गया था। उसे हाल में ही में इस्लामाबाद में किसी सुरक्षित जगह शिफ्ट किया गया है।
मसूद पर 2009 में पहली बार, 2016 में दूसरी बार पेश किया गया प्रस्ताव
पहली बार मनमोहन सरकार ने मुंबई हमले के बाद 2009 में अजहर मसूद के खिलाफ यूएन में प्रस्ताव पेश किया। दूसरी बार 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद मोदी सरकार ने इस प्रस्ताव को यूएन में पेश किया। तीसरी बार 2017 में उड़ी में सेना के कैंप में हमले के बाद ये प्रस्ताव पेश किया गया। चौथी बार पुलवामा हमले के बाद पेश किया गया। मसूद ने 25 साल में भारत में 20 से ज्यादा बड़े आतंकी हमले किए।
सुरक्षा परिषद ही फैसला करती है
किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है। प्रस्ताव 1267 में उस व्यक्ति का नाम दर्ज करना होता है। सुरक्षा परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थायी सदस्य हैं। इनके अलावा 10 अस्थाई सदस्य हैं। किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है। दुनियाभर में उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। उसके यात्रा करने और उसे हथियार मुहैया कराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
भारत में कई हमलों का जिम्मेदार है मसूद
मसूद अजहर भारत में कई आतंकी हमलों को साजिश रचने के साथ उन्हें अंजाम दे चुका है। इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था। इसकी जिम्मेदारी भी मसूद के संगठन जैश ने ली थी। मसूद 2001 में संसद पर हुए हमले का भी दोषी है। इस दौरान नौ सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। इसके अलावा जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस और इसी साल सितंबर में उरी में सेना के हेडक्वॉर्टर पर हमला किया था।