भारत-चीन विवाद / सामना में शिवसेना ने लिखा- नेहरू की गलतियों से आज के शासकों ने कुछ नहीं सीखा, चीन के उकसाने का जवाब देना चाहिए

सामना में लिखा गया है कि अन्य स्वाभिमानी देश अपने सैनिक पर हमले को देश के स्वाभिमान पर हमला मानकर जवाबी कार्रवाई करते हैं शिवसेना ने मांग की है कि चीन से हमारे देश में आने वाले हजारों सामानों का बहिष्कार किया जाना चाहिए

मुंबई. चीन-भारत हिंसक संघर्ष के बीच शिवसेना के मुखपत्र सामना में फिर एक बार मोदी सरकार पर हमला किया है। शुक्रवार की संपादकीय में शिवसेना की ओर से सवाल किया गया है कि मोदी कहते हैं, उकसाने पर माकूल जवाब देंगे। 20 जवानों को बड़ी निर्ममता से शहीद कर दिया गया। यह उकसाना नहीं तो और क्या है? संपादकीय में आगे लिखा गया है कि अन्य स्वाभिमानी देश अपने सैनिक पर हमले को देश के स्वाभिमान पर हमला मानकर जवाबी कार्रवाई करते हैं।

‘भारत आने वाले चीनी सामनों का होना चाहिए बहिष्कार’
शिवसेना ने मांग की है कि चीन से हमारे देश में आनेवाले हजारों सामानों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। लेकिन यह स्वदेशी जागरूकता जनता को दिखानी चाहिए। सरकार पर सवाल उठाते हुए लिखा, ‘हालांकि हिंदुस्तान में फैली कई चीनी कंपनियों का आप क्या करने वाले हो? अगर किसी चीनी कंपनी को महाराष्ट्र से निर्वासित किया तो कोई अन्य राज्य उसके साथ समझौता कर सकता है। इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि हिंदुस्तान चीनी कंपनियों को लेकर राष्ट्रीय नीति तैयार करे।’

‘अमेरिका ने खराब करवाए चीन से रिश्ते’
सामना में आगे लिखा गया है, ‘दोनों देशों में 6 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होता है। निवेश और रोजगार दोनों ही हैं, लेकिन चीन को सबसे ज्यादा फायदा होता है। दोनों देशों के बीच अच्छा रिश्ता बन रहा था जो कि अमेरिका के कारण खराब हो गया। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन हमारा सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी है। पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देश हिंदुस्तान को तवज्जो नहीं देते।’

‘आज के शासकों ने पंडित नेहरू की गलती से सीख नहीं ली’
मुखपत्र में कहा गया है कि हम रक्षा और विदेशी मामलों के दो महत्वपूर्ण विभागों के बीच अविभाज्य संबंध को भूल गए और अक्टूबर 1962 में हमें चीन के एक झटके से अपमानित होना पड़ा। हम उस गलती का ठीकरा पंडित नेहरू पर फोड़ते रहे। लेकिन, आज के शासकों ने उस गलती से कोई सीख ली है, ऐसा नहीं लगता।

‘नेहरू को दोष देने वाले आत्मपरीक्षण कर लें तो सब सार्थक हो जाएगा’
संपादकीय में आगे लिखा है कि नेहरू के काल में हमारे सैनिक चीन से लड़ते समय विषम परिस्थितियों से जूझ रहे थे। साधारण कैनवास के जूते, हथियारों और गोला बारूद की कमी, अपरिचित क्षेत्र की स्थिति थी। आज सब कुछ है, लेकिन फिर भी चीनियों ने हमारे सैनिकों की क्रूरता से जान ले ली। अगर पंडित नेहरू को दोष देने वाले आत्मपरीक्षण कर लें तो भी 20 सैनिकों का बलिदान सार्थक हो जाएगा।

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