नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को इसी साल सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर हुए हमले की साजिश जैश (Jaish e-Mohammad ) काफी दिनों से रच रहा था, तो भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से निपटने के लिए पाकिस्तान भी अपनी कमर कस रहा था.
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान सेना के कई बड़े अधिकारी लगातार एलओसी और फॉर्वर्ड एरिया का दौरा कर रहे थे. यही नहीं, पाकिस्तान के जेहन में उरी हमले के बाद भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक भी थी. लिहाजा पाकिस्तान ने पूरे एलओसी पर ना सिर्फ एयर डिफेंस तैनात किया था बल्कि उसे एक्टिव भी किया. पाकिस्तान को यकीन था, भारतीय सेना पलटवार जरूर करेगी और वो भी पिछली बार की तरह.
तैयारी के बाद भी पाक को लगा झटका
सूत्रों की मानें तो ये एयर डिफेंस सिस्टम भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों के लिए तैनात किया था. यानि अगर भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर पाकिस्तान की सीमा के करीब आएंं तो उसे मार गिराया जा सके. हालांकि पाकिस्तान की पहले से तैयारी को तब बड़ा झटका लगा जब भारत की फौज ने एयर स्ट्राइक ऑप्शन चुना. भारतीय वायुसेना के मिराज लडाकू विमानों ने बालाकोट में घुसकर जैश के ठिकानों को नेस्तनाबूत किया. ऐसे में पाकिस्तान को कुछ भी समझ ही नहीं आया और जल्दबाजी में उसने एफ-16 का इस्तेमाल किया, लेकिन पाकिस्तान को क्या पता था कि भारतीय मिग उसके एफ-16 को मार गिराएगा.
फिर पाकिस्तान का शुरू हुआ झूठ…
पाकिस्तान झूठ तो पहले दिन से बोल रहा था कि भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में किसी भी तरह को कोई अटैक नहीं किया, लेकिन एफ-16 के मार गिराए जाने के बाद उसने और झूठ बोलना शुरू किया. सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान का ये कहना था कि उसके सारे एफ- 16 बेस पर मौजूद हैं और उनकी गिनती पूरी है.
ऐसा हुआ तो पाकिस्तान की बढ़ेगी मुश्किल
बहरहाल, एक तरफ पाकिस्तान एफ-16 की संख्या पूरी बता रहा था तो दूसरी तरफ अमेरिका ने गिनती शुरू भी नहीं की थी. मजेदार बात ये है कि अमेरिका के दो अधिकारी जिन पर इसकी ज़िम्मेदारी थी वो तो दोनों देशों के बीच तनाव के चलते अमेरिका दूतावास में ही मौजूद थे. हालांकि हाल ही में पाकिस्तान ने अपने एयर स्पेस को खोल दिया जो कि बालाकोट स्ट्राइक के बाद से बंद था. एयर स्पेस खुलने के बाद अब एफ-16 की गिनती का काम शुरू हो सकता है. जबकि पाकिस्तान ने आनन फानन में F-16 का इस्तेमाल कर अमेरिका के साथ हुए करार का उल्लंघन किया है और यही बात उसके लिए मुश्किल बनी हुई है. सूत्रों की मानें तो एफ-16 की गिनती का काम दो महीने के भीतर पूरा हो सकता है और अमेरिका चाहे तो पाकिस्तान की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.