बढ़ते कोरोना वायरस केस के बीच भारत ने HCQ दवा के निर्यात से हटाया बैन

यह रोक कोविड 19 (Covid 19) के इलाज में दी जाने वाली दवा हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन (hydroxychloroquine) के एक्टिव फार्मास्‍यूटिकल इंग्रेडियंट (API) और इसके फॉम्‍युलेशन के निर्यात पर लगी थी.

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नई दिल्‍ली. देश में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) के मामलों के बीच सरकार ने गुरुवार को कोविड 19 के इलाज में कारगर दवा मानी जा रही मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन (HCQ) के निर्यात पर से रोक हटा ली है. यह रोक हाइड्रॉक्‍सीक्‍लोरोक्‍वीन (hydroxychloroquine) के एक्टिव फार्मास्‍यूटिकल इंग्रेडियंट (API) और इसके फॉम्‍युलेशन के निर्यात पर लगी थी.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 जून को कोरोना वायरस संक्रमण की मध्यम अवस्था में वायरस रोधी दवा रेमडेसिविर के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर अपने पहले के रुख से पीछे हटते हुए कहा था कि मलेरिया रोधी यह दवा बीमारी के शुरुआती चरण में दी जानी चाहिए और गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह नहीं दी जानी चाहिए.

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि यह साबित हो गया है कि मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए लोगों की मौत रोकने में कारगर नहीं है.

बहरहाल, डॉ सौम्या स्वामीनाथन का यह भी कहना है कि लोगों को कोविड-19 के संक्रमण की चपेट में आने से रोकने में इस दवा की भूमिका हो सकती है. इस संबंध में क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं.

सौम्या ने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि संक्रमण के शुरू में कोविड-19 महामारी की प्रचंडता रोकने या कम करने में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की भूमिका है या नहीं. उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किए जा रहे अन्य परीक्षणों का संदर्भ देते हुए कहा हम अब तक यह नहीं जानते. इसलिए बड़े पैमाने पर परीक्षण पूरे होने और आंकड़े हासिल करने की जरूरत है.

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