निर्मला के बजट बम से शेयर बाजार धड़ाम, बढ़ गए पेट्रोल-डीजल के दाम

अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी की घोषणाओं में कुछ नया नहीं है. पीएम के विजन की बात ठीक है, लेकिन उस विजन को हासिल करने के लिए एक रोडमैप होना चाहिए. बजट में ये चीज नहीं है. कार्य योजना पर स्पष्टता नहीं है. बजट खोखला लगता है.

नई दिल्ली.बजट के बाद लोगों को तगड़ा झटका लगा है. पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी हो गई है. पेट्रोल 2.50 रुपये प्रति लीटर और डीजल 2.30 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है.

बजट के बाद शेयर बाजार धड़ाम

भारतीय शेयर बाजार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट नहीं पसंद आया है. शेयर बाजार की 40 हजार के स्‍तर पर शुरुआत हुई लेकिन बजट के बाद बाजार ने बढ़त गंवा दी और कारोबार के अंत में दिन के निचले स्तरों पर बंद हुआ. सेंसेक्स 394.67 अंक की गिरावट के साथ 39513.39 के स्तर पर रहा. वहीं निफ्टी 135.60 अंक की कमजोरी के साथ 11,811.15 के स्तर पर बंद हुआ.
यह बहुत व्यापक बजट है: अमिताभ कांत

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि यह बहुत व्यापक बजट है. हम विशेष रूप से प्रसन्न हैं क्योंकि वित्त मंत्री ने नीति आयोग की भूमिका को स्वीकार किया है.
130 करोड़ भारतीयों का बजट: पीयूष गोयल

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बजट ने स्टार्टअप, जॉब क्रिएशन, मेक इन इंडिया को बहुत बड़ा बल दिया है. व्यापारियों को पेंशन दी है. यह 130 करोड़ भारतीयों का बजट है.मोदी सरकार 2.0 के बजट को कांग्रेस ने घोषणापत्र कहा है. इस पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि मुझे लगता है कि लोगों अपना फैसला सुना चुके हैं.  मैं केवल इतना कह सकता हूं कि कांग्रेस असभ्य, नेताहीन और असहाय लगती है.
बीजेपी की घोषणाओं में कुछ नया नहीं: अशोक गहलोत

अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी की घोषणाओं में कुछ नया नहीं है. पीएम के विजन की बात ठीक है, लेकिन उस विजन को हासिल करने के लिए एक रोडमैप होना चाहिए. बजट में ये चीज नहीं है. कार्य योजना पर स्पष्टता नहीं है. बजट खोखला लगता है.
महिलाओं, युवा, किसानों और गरीबों का बजट: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बजट पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इसे किसान, युवाओं, महिलाओं और गरीबों के सपने को पूरा करने वाले बजट बताया है. उन्होंने कहा कि बजट 2019-20 भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. ये उन क्षेत्रों के लिए रोडमैप प्रदान करता है जो देश के विकास को बढ़ावा देंगे.

ग्रोथ ओरिएंटेड बजटः प्रो. शर्मा

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के पूर्व डीन और ग्लोबल रिसर्च फाउंडेशन फॉर कारपोरेट गवर्नेंस के चेयरमैन प्रो. जय प्रकाश शर्मा मोदी सरकार के इस बजट को ‘ग्रोथ ओरिएंटेड’ करार देते हैं.  AajTak.in से बातचीत में प्रो. शर्मा ने कहा कि सरकार ने बजट में वाकई कई अहम, जरूरी और नए कदम उठाए हैं. मसलन, संकट में चल रहे सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग (एमएसई) सेक्टर को बचाने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था कर सरकार ने शुभ संकेत दिए हैं. इसका लाभ जीएसटी में रजिस्टर्ड उद्यमों को मिलेगा. नेशनल और रीजनल स्टॉक एक्सचेंज के साथ अब एक नया सोशल स्टॉक एक्सचेंज शुरू करने की पहल अच्छी है. इससे सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले उद्यम भी स्टॉक एक्सचेंज में रजिस्टर्ड हो सकेंगे. उद्यमों को समाज की बेहतरी से जोड़ने के लिए यह बेहतर कदम सरकार ने उठाया है.

यह ट्रांसफॉर्मेशनल बजट हैः प्रो. साहू

बीएचयू के वाणिज्य संकाय के प्रोफेसर धनंजय साहू ने मोदी सरकार के बजट को ट्रांसफॉर्मेशनल यानी परिवर्तनकारी करार दिया. उनका मानना है कि यह एक आशावादी बजट है. सरकार ने कुछ नए प्रावधानों के जरिए देश और अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के संकेत दिए हैं. महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में अच्छी पहल की गई है. कॉरपोरेट टैक्स में कमी से इकोनॉमी बढ़ेगी. मल्टीनेशनल कंपनियों को अब तक 45 प्रतिशत तक टैक्स चुकाना पड़ता था, जिससे कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत की जगह चीन और दुनिया के दूसरे देशों का रुख करती थीं. मगर कॉरपोरेट टैक्स घटाकर सरकार ने मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत में आने के लिए आकर्षित किया है. हालांकि टैक्स स्लैब में किसी तरह का परिवर्तन न होने से बजट में नौकरीपेशा लोगों के लिए कुछ खास नहीं रहा.

नए कदमों का स्वागत, मगर पैसा कहां से आएगाः प्रो. द्विवेदी

पूर्वांचल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अजय द्विवेदी बजट में आदर्श किराया कानून और वन नेशन- वन ग्रिड सिस्टम की व्यवस्था को बड़ा कदम मानते हैं. हालांकि बिजली, गैस और पानी के लिए वन ग्रिड सिस्टम कैसे सरकार करेगी, इसकी रूपरेखा सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. अगर वन ग्रिड सिस्टम लागू होगा तो इसकी आपूर्ति को लेकर क्षेत्रीय विषमताएं खत्म होंगी.

प्रो. द्विवेदी के मुताबिक, कर्मयोगी योजना के तहत सरकार ने एक करोड़ से नीचे टर्नओवर वाले खुदरा व्यापारियों को पेंशन देने की बात कही है. मगर इसके लिए पैसा कहां से आएगा, यह सरकार ने नहीं बताया. जहां तक सरकार अगले पांच वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की बात करती है तो इसमें संदेह लगता है. वजह है कि सरकार ने कोई खाका बजट में पेश नहीं किया. सबसे बड़ा मुद्दा देश में रोजगार का है. सरकार ने रोजगार पैदा करने की बात तो बजट में की, मगर कहां और कैसे रोजगार का सृजन होगा, यह नहीं बताया.

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