दिल्ली-यूपी, बिहार-झारखंड और मध्य प्रदेश के कांवड़ यात्रियों के लिए जरूरी खबर-कांवड़ यात्रा- हरिद्वार,देवघर में नो एंट्री, महाकालेश्वर में सशर्त

कांवड़ यात्रा 2020: यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर एरिया सील, करीब पांच हजार वाहनों को लौटाया

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सावन का महीना शुरू होते ही केसरिया रंग के कपड़े पहने, कंधे पर कांवड़, नंगे पांव, बोल बम का नारा लगाते शिवभक्तों की टोलियां दिखती हैं. हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तरखंड वाले हरिद्वार की कांवड़ यात्रा करते हैं तो बिहार-झारखंड के भक्त देवघर के बैद्यनाथ धाम, और मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर की अर्चना करने जाते हैं. लॉकडाउन में राहत दी गई है लेकिन क्या बाबा के भक्त इन जगहों पर जल चढ़ाने जा सकते हैं? ज्यादातर जगहों पर इजाजत नहीं है लेकिन इतना मायूस न हों, अच्छी खबर भी है.

हरिद्वार की कांवड़ यात्रा

अगर भक्त इस बार हरिद्वार में जाकर शिव जी की पूजा करना चाहते हैं तो जान लें कि रविवार को गुरुपूर्णिमा के दिन उत्तराखंड प्रशासन ने 5 हजार लोगों को बॉर्डर से ही लौटा दिया. दरअसल हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांवड़ यात्रा पर बैठक की थी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संयुक्त रूप से यह फैसला लिया कि इस साल कांवड़ यात्रा को इजाजत नहीं दी जाएगी.

खास मौकों पर हरिद्वार में श्रद्धालु इस तरह उमड़ पड़ते हैं 

                                   खास मौकों पर हरिद्वार में श्रद्धालु इस तरह उमड़ पड़ते हैं   (फाइल फोटो: Reuters)
कांवड़ियों को हरिद्वार पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस सख्त

फिलहाल कांवड़ यात्रा तो रद्द हो गई है लेकिन अगर इन सबके बाद भी कोई श्रद्धालु कांवड़ लेकर आने की कोशिश करता है तो उसके लिए हरिद्वार प्रशासन ने कड़े नियम बनाए हैं. यूपी में भी कांवड़ यात्रा को रोकने के लिए चेक प्वाइंट बनाए गए हैं.

हरिद्वार में दूसरे राज्यों को आने वाले यात्रियों को जिले की सीमा पर ही रोक दिया जाएगा. अगर फिर भी कोई बाहरी व्यक्ति हरिद्वार आता है, तो उसे 14 दिन तक क्वॉरन्टीन में रहना होगा. साथ ही क्वॉरन्टीन का खर्च भी खुद ही उठाना होगा.
कांवड़ यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. 

                                           कांवड़ यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. (फोटो: एपी)
घबराएं नहीं, कांवड़ियों को मिलेगा गंगा जल

अब जब कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया गया है तब लोगों की आस्था को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने पड़ोसी राज्यों को गंगाजल देने की बात कही है. उत्तरखंड सरकार के मुताबिक पीतल के बड़े कलशों में हर की पैड़ी से गंगाजल भरकर पड़ोसी राज्यों को मुहैया कराया जाएगा. ऐसे में राज्य सरकारें अपने लोगों को उनके जिले में ही गंगा जल उपलब्ध करा सकेंगी.

कोरोना के चलते इस साल उत्तर भारत की सबसे बड़ी आध्यात्मिक कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई है। रविवार को गुरु पूर्णिमा के दिन भी पुलिस ने उत्तराखंड और यूपी की सीमाओं पर सख्ती का रिहर्सल किया। हरिद्वार आने वाले हजारों लोगों को राज्य में प्रवेश नहीं करने दिया गया। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार रुड़की और ऋषिकेश में अपने गुरुजनों की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लेने आए करीब पांच हजार वाहनों को पुलिस ने बॉर्डर से ही लौटा दिया।

रविवार को गुरु पूर्णिमा का पर्व होने के चलते सुबह से ही रुड़की, हरिद्वार और ऋषिकेश आदि स्थानों पर स्थित आश्रमों और अखाड़ों में जाने वालों की भारी भीड़ बॉर्डर पर उमड़ने लगी थी।
गुरु पूर्णिमा पर हर साल देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालुओं का हरिद्वार आवागमन होता है जो गंगा स्नान करने के साथ ही विभिन्न आश्रमों में पहुंचकर अपने गुरु की पूजा करने के साथ ही उनसे आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते पुलिस ने सुबह से ही सख्ती कर दी थी।
पुलिस प्रशासन ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर आज से ही पीएसी के हवाले कर दिए हैं। भगवानपुर में मंडावर और मंगलौर में नारसन और लक्सर में पुरकाजी और बालावाली का बॉर्डर सील कर दिया गया है। सभी रास्तों पर पुलिस तैनात कर दी गई है।

साथ ही अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात किया गया है। एसपी देहात एसके सिंह ने बताया कि सभी को सख्त हिदायत दी गई है कि किसी भी सूरत में कोई भी कांवड़िया उत्तराखंड में प्रवेश न करने पाए।
हरकी पैड़ी पर कांवड़ियों की एंट्री बैन
हरकी पैड़ी पर कांवड़ियों की एंट्री रोकने के लिए हरिद्वार कोतवाली पुलिस ने कमर कस ली है। हरकी पैड़ी के संपर्क मार्गों पर बैरिकेडिंग करते हुए चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं। हालांकि अस्थि विसर्जन के लिए आ रहे यात्रियों को रोका नहीं जाएगा। सोमवार से कांवड़ यात्रा शुरू होने जा रही है। कांवड़ियों को रोकने के लिए जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष इंतजाम किए गए हैं, लेकिन फिर भी यदि कोई आंख बचाकर यहां आ पहुंचता है तो उसे कांवड़ ही नहीं उठाने दी जाएगी।

हरकी पैड़ी पहुंचकर ही कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। इस बार कांवड़ बाजार भी नहीं सज रहा है। कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह ने बताया कि पोस्ट ऑफिस तिराहा, भीमगोडा चेकपोस्ट, संजय पुल, शिवपुल, हाथी पुल व विष्णु घाट पुल पर पुलिस की तैनाती कर दी गई है। बाकायदा बैरीकेटिंग लगा दिए गए हैं। किसी को भी हरकी पैड़ी नहीं पहुंचने दिया जाएगा। जो व्यक्ति अस्थि विसर्जन करने आ रहे हैं, उन्हें जाने दिया जाएगा।

पैम्फ्लेट लेकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा रवाना हुए पुलिस कर्मी
कांवड़िए हरिद्वार ना आ सकें इसके लिए पुलिस प्रशासन बहुचक्रीय रणनीति बना रहा है। पुलिस प्रशासन की कई टीमें ऐसे  पैम्फ्लेट  लेकर यूपी, दिल्ली, पंजाब और हरियाणा, राजस्थान आदिराज्यों में भेजे गए हैं। इन पैम्फ्लेट पर लिखा गया है कि कोरोना के संक्रमण के चलते ज्यादा भीड़ एकत्र होने पर संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है, इसलिए कांवड़ियों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है।

सीमावर्ती गांव के लोगों से भी मांगा जा रहा सहयोग
उत्तराखंड के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव के लोगों से भी कांवड़ यात्रा को लेकर सहयोग मांगा है। लक्सर के एसडीएम पूरन सिंह राणा, भगवानपुर के एसडीएम संतोष कुमार पांडे के अनुसार दोनों तरफ से लोगों से संपर्क साधकर कांवड़ियों की रोकथाम के लिए सहयोग मांगा जा रहा है।  सीओ मंगलौर अभय प्रताप सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती थानों की पुलिस से भी संपर्क करके कांवड़ियों को रोकने के लिए कहा गया है।
इस बार सावन माह में नहीं होंगे नीलकंठ के दर्शन
कोविड19 की गंभीरता को देखते हुए इस वर्ष सावन माह में मणिकूट पर्वत में स्थित विश्वप्रसिद्ध नीलकंठ मंदिर श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला जाएगा। वहीं ऋषिकेश और आसपास क्षेत्रों के शिवालयों में स्थानीय लोग जलाभिषेक कर सकेंगे।

आज इस वर्ष के सावन माह का पहला सोमवार है। आज के दिन प्रतिवर्ष सावन माह में लाखों की संख्या में शिवभक्त नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते हैं। ऋषिकेश समेत रामझूला और लक्ष्मणझूला क्षेत्र कांवड़ियों से भरा रहता है। मंदिर के मुख्य पुजारी शिवानंद गिरी महाराज ने बताया कि समिति ने कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर को न खोलने का निर्णय लिया है।

वीरभद्र और सोमेश्वर मंदिर में होंगे दर्शन
स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए वीरभद्र और सोमेश्वर मंदिर जलाभिषेक किया जा सकेगा। इस दौरान श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग पालकर करना होगा। वहीं, चंद्रेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश नहीं हो पाएगा। खासकर सोमवार के दिनों में मंदिर समिति के सदस्य ही मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। मंदिर के महंत अखिलेश भारती ने बताया कि कोविड19 की गंभीरता को देखते हुए मंदिर को आमजन के प्रवेश के लिए बंद रखा गया है।

प्रशासन की ओर से जारी नियमों के अनुसार ही मंदिरों में श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। मंदिर में दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को सोशल डिस्टेंसिंग आदि नियमों का पालन करना अति आवश्यक है।
वरुण चौधरी, एसडीएम ऋषिकेश।

बिहार-झारखंड में भक्तों को ऑनलाइन दर्शन का सहारा

बिहार-झारखंड में लोग आम तौर पर सावन में कांवड़ लेकर यात्रा करते हैं. ये यात्रा बिहार के भागलपुर जिले के सुल्‍तानगंज से शुरू होती है और झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथधाम में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद समाप्‍त होती है. इसी दौरान हर साल श्रावणी मेला लगता था, जिसमें लाखों की संख्या में भक्त आते थे, लेकिन इस साल मेले पर कोरोना का ग्रहण लग गया है. झारखंड सरकार ने ऐलान किया है कि इस साल श्रावणी मेले का आयोजन नहीं होगा.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना के हालात को देखते हुए ये फैसला किया गया है. हेमंत सोरेन ने कहा, “इस वर्ष अपने अपने घरों को ही देवघर बनायें साथियों. महादेव इस महामारी की बेला में आपको एवं आपके परिवार को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखें.”

देवघर की उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी, नैंसी सहाय ने कहा, “देवतुल्य श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए बाबा बैद्यनाथ के ऑनलाइन दर्शन की सुविधा सुबह 4:45 से और शाम 7:30 बजे से प्रसारित की जाएगी. ऑनलाइन दर्शन की सुविधा वेबसाइट Jhargov.tv के साथ देवघर प्रशासन के फेसबुक पेज और जिला प्रशासन के वेबसाइट Deoghar.nic.in पर की गई है. साथ ही ऑनलाइन दर्शन हेतु जी न्यूज बिहार/झारखण्ड , नेटर्वक-18,बिहार/झारखण्ड,न्यूज-11, साधना न्यूज टीवी चैनल पर शुरू की जाएगी.

मध्य प्रदेश – महाकालेश्वर

बता दें कि मध्य प्रदेश के नर्मदा का जल भरने बड़ी संख्या में लोग आते हैं. नर्मदा से जल भरकर भक्त महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने आते हैं. लेकिन कोरोना की वजह से यहां कांवड़ियों को ग्रुप में आने की इजाजत नहीं होगी. हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के तहत दर्शन कर सकते हैं.

 

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