तीन तलाक: बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव, नीतिश की पार्टी जेडीयू ने मुस्लिम वोट बैंक के लिए बिल के विरोध में सदन से किया वॉक आउट
मुंगेर से बीजेपी के सांसद ललन सिंह ने लोकसभा में इस बिल के विरोध का एलान किया है. जेडीयू सांसद ने कहा कि इससे समाज में अविश्वास पैदा होगा. उन्होंने कहा कि हम एनडीए में रहे हैं लेकिन धारा 370, समान नागरिक संहिता और राम मंदिर मुद्दे पर हमारा विचार हमेशा से अलग रहा है.
नई दिल्ली: बीजेपी की सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए सदन से वॉक आउट किया. मुंगेर से जेडीयू सांसद ललन सिंह ने लोकसभा में तीन तलाक बिल के विरोध करते हुए कहा कि इससे समाज में अविश्वास पैदा होगा. ललन सिंह ने कहा कि हम हमेशा से एनडीए में रहे हैं लेकिन धारा 370, समान नागरिक संहिता और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर हमारा विचार हमेशा से अलग रहा है. कानून बनाकर ऐसा मत करिए. जन जागृति के जरिए ऐसा होना चाहिए.
Janata Dal(United) opposes #TripleTalaqBill, in Lok Sabha. JDU MP Rajiv Ranjan Singh says 'this bill will create distrust in a particular community, our party will not support this bill' pic.twitter.com/C8Pm16iZww
— ANI (@ANI) July 25, 2019
ललन सिंह ने कहा कि समाज कड़े नियमों से नहीं चलता है. समाज के पास अपनी कुछ रिवाज होती हैं. उन्होंने कहा कि पहले भी बने कई कानूनों का दुरुपयोग हुआ है. अगर इसतरह का कानून बनता है तो इसका गलत इस्तेमाल होगा. बता दें कि जेडीयू के इस फैसले के अपने राजनीतिक मायने हैं. बिहार में अगले साल 2020 में विधानसभा चुनाव होने हैं. जेडीयू की नजर मुस्लिम वोट बैंक है.
Anubhav Mohanty,BJD in Lok Sabha during #TripleTalaqBill debate: Our party supports the Govt as far as the letter and intent of the bill is concerned, but certain issues including the issue of maintenance need to be addressed pic.twitter.com/OL4MCfn2h8
— ANI (@ANI) July 25, 2019
लोकसभा में आज तीन तलाक बिल पर चर्चा के बाद उसे पारित किए जाने की संभावना है. इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि विधेयक को पास कराने के लिए संसद के मौजूदा सत्र की मियाद को बढ़ाया जा सकता है.
तीन तलाक बिल पर विपक्ष को क्या आपत्ति?
तीन तलाक बिल में क्रिमिनैलिटी क्लॉज यानी सजा विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है. इसी के चलते यह बिल पिछली बार राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था. विपक्षी दल बिल को हिंदू और ईसाई विवाह कानून में तलाक से जुड़े कानून की बराबरी में लाने के लिए इस क्लॉज को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. लोकसभा में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की समेत कई विपक्षी दल तीन तलाक पर बने कानून का विरोध करते आ रहे हैं. विपक्षी दलों का तर्क है कि पति के जेल जाने के बाद महिला के गुजारा भत्ता का क्या होगा?
तीन तलाक बिल पर अब तक क्या क्या हुआ?
बता दें कि सरकार पहली बार दिसंबर 2017 को पहली बार तीन तलाक बिल को लोकसभा में लेकर आई थी. बिल लोकसभा में दिसंबर 2018 में पास हो गया लेकिन राज्यसभा से बिल पास नही हो सका. इसके बाद सरकार तीन बार अध्यादेश ला चुकी है. अध्यादेश की उम्र सिर्फ 6 महीने के लिए ही होती है. आखिरी अध्यादेश 21 फरवरी 2019 को आया था. नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद पहले सत्र में सबसे पहले विधेयक का मसौदा पेश किया था.
कई विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है, लेकिन सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है. बिल पेश करने से पहले लोकसभा में वोटिंग कराई गई, बिल पेश करने के पक्ष में 186 वोट और विपक्ष में 74 वोट पड़े. आज इस बिल पर लोकसभा में चर्चा होगी कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद आखिर में सवालों का जवाब देंगे. लोकसभा में पास होने बाद बिल राज्यसभा जाएगा.