चंद्रयान-2: विक्रम और प्रज्ञान क्यों रखे गए लैंडर और रोवर के नाम?
काउंटडाउन के अंतिम चरण में तकनीकी खामियों के चलते चंद्रयान-2 मिशन को अब सोमवार को लॉंच किया जाने वाला है. चंद्रयान-2 लैंडर और रोवर के ज़रिए चंद्रमा की सत्ह से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन करेगा
नई दिल्ली। भारत के इसरो का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 सोमवार को लॉंच किया जाएगा. पहले 14 जुलाई को लॉंचिंग होना था लेकिन काउंटडाउन का आखिरी चरण में लॉंचिंग से कुछ मिनट पहले ही रॉकेट के क्रायोजेनिक इंजन में लिक्विड हाइड्रोजन भर गया था. इसकी वजह से क्रायोजेनिक इंजन और चंद्रयान-2 को जोड़ने वाले लॉन्च व्हीकल में प्रेशर लीकेज हो जाने से लॉंचिंग स्थगित कर दी गई थी.
Chandrayaan 2 is ready to take a billion dreams to the Moon — now stronger than ever before! Join us for the launch on Monday — 22 July, 2019 — at 2:43 PM IST.
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अब दोबारा लॉंचिंग के लिए तैयार चंद्रयान-2 लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अध्ययन के लिए जाएगा. जानें लैंडर और रोवर के नामों के पीछे क्या कारण हैं और ये लैंडर व रोवर चंद्रमा पर पहुंचकर क्या करेंगे.
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The launch countdown of #GSLVMkIII-M1/#Chandrayaan2 commenced today at 1843 Hrs IST. The launch is scheduled at 1443 Hrs IST on July 22nd.
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अस्ल में, चंद्रयान-2 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर उस सत्ह के संबंध में अध्ययन करना है. वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रमा की इस सत्ह पर पानी की बर्फ और धूप की प्रचुरता है और माना जा रहा है कि भविष्य में मंगल मिशन के लिए इसका अध्ययन काफी लाभदायक साबित होगा. इस मिशन की एक और खूबी ये है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इससे पहले किसी और स्पेस एजेंसी ने पहुंचने की हिम्मत नहीं की है.
क्या है लैंडर विक्रम और क्या करेगा?
चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर के साथ एक लैंडर और एक रोवर जाएगा. चंद्रमा तक पहुंचकर ऑर्बिटर से लैंडर अलग हो जाएगा और चंद्रमा की 30 किमी गुणित 100 किमी की कक्षा की तरफ निकलेगा. इसके बाद लैंडर अपने ऑन बोर्ड सिस्टम के ज़रिए पूरी चेकिंग करेगा और सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर को तैनात करेगा. करीब 15 दिनों तक लैंडर चंद्रमा से जुड़ी वैज्ञानिक गतिविधियों को अंजाम देगा. इस लैंडर की एक खूबी ये भी है कि 12 डिग्री तक झुकाव वाली सत्ह पर भी यह सॉफ्ट लैंडिंग कर सकेगा.
रोवर प्रज्ञान क्या है और क्या करेगा?
लैंडर विक्रम चंद्रमा की सत्ह पर रोवर प्रज्ञान को लॉंच करेगा, जो सौर शक्ति से संचालित होगा. ये रोवर 6 पहियों पर चलेगा और 1 सेमी प्रति सेकंड की रफ्तार से बढ़ते हुए करीब 500 मीटर की दूरी तय करेगा. रोवर सत्ह पर केमिकल विश्लेषण को अंजाम देगा और ये डेटा लैंडर को भेजेगा. लैंडर के ज़रिए ये डेटा इसरो के अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचेगा. रोवर प्रज्ञान चंद्रमा के एक दिन या पृथ्वी के हिसाब से 14 दिनों तक सक्रिय रहेगा.
क्या है नामकरण का आधार?
लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है क्योंकि इस संस्कृत शब्द का अर्थ साहस और वीरता से जुड़ा है. यह पहला मौका है, जब चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दुनिया की कोई स्पेस एजेंसी अध्ययन के लिए मिशन लॉंच कर रही है. और दूसरी बात ये है कि लैंडर का नाम विक्रम रखने के पीछे एक मकसद वैज्ञानिक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देना भी है. विक्रम साराभाई को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रमों का जनक भी कहा जाता है.
वहीं, रोवर के नाम प्रज्ञान का अर्थ बुद्धि और विवेक से जुड़ा था. ये नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि रोवर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उच्च तकनीक इस्तेमाल की गई है, जिसके ज़रिए ये रोवर चंद्रमा की सत्ह पर केमिकल स्टडी कर डेटा तैयार करेगा. इस इंटेलिजेंस को रेखांकित करने के मकसद से इसे प्रज्ञान नाम दिया गया है.