कोरोना जांच टीम में शामिल इंदौर की 2 महिला डॉक्टर भीड़ के पथराव से चोटिल होने के अगले ही दिन ड्यूटी पर लौट आईं
इंदौर के टाटपट्टी बाखल में बुधवार को शर्मसार कर देने वाली यह घटना हुई थी कोरोना पॉजिटिव मरीज की कॉन्टैक्ट हिस्ट्री देखने गई टीम पर पत्थर फेंके गए थे महिला डॉक्टरों के पैर पर पत्थर लगे, उन्हें भागकर अपनी जान बचाना पड़ी
इंदौर. ‘तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो…’ इंदौर के अजीम शायर राहत इंदौर की लिखी ये पंक्तियां शहर की उन दो महिला डॉक्टरों पर सटीक बैठती हैं, जिन पर बुधवार को हमला हुआ था। ये दोनों महिला डॉक्टर शहर के कोरोना हाई रिस्क जोन इलाके टाटपट्टी बाखल में ड्यूटी निभा रही थीं। इसी इलाके में एक मरीज कोरोना पॉजिटिव मिला था। उसकी कॉन्टैक्ट हिस्ट्री जांचना जरूरी था। जब ये वहां पहुंचीं तो भीड़ ने इन पर पथराव कर दिया। पैर में चोट भी आई, लेकिन जज्बा कम नहीं हुआ। वहां से भागकर जान बचानी पड़ी। घटना को 24 घंटे भी नहीं हुए थे और दोनों डॉक्टर ड्यूटी पर लौट आईं। टीम में शामिल डॉ. तृप्ति कटारिया ने घटना के बारे में खुद ही बताया…
“हम रैपिड रिस्पॉन्स टीम में हैं। रोज कोरोना संक्रमित इलाकों में जा रहे हैं। मंगलवार सुबह भी हम संक्रमण वाले इलाकों में स्क्रीनिंग कर रहे थे। फॉर्म भरवा रहे थे। सबसे पहले बम्बई बाजार गए। इसके बाद बियाबानी इलाके में लोगों की जांच की। दोपहर करीब डेढ़ बजे सिलावटपुरा क्षेत्र के टाटपट्टी बाखल में स्क्रीनिंग के लिए पहुंचे। मेरे साथ डॉक्टर जाकिया, एक आशा कार्यकर्ता और दो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी थीं। जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार भी हमारे साथ ही थे। उन्हीं के कारण हमारी जान बची।’
हम जानकारी मांग रहे थे, अचानक भीड़ आई और हमला कर दिया
‘हमें एक घर में कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज होने की जानकारी मिली थी। हम उस घर में गए। दरवाजा खटखटाया तो एक महिला बाहर आई। दो मिनट ही हुए थे। हम अपने फॉर्मेट के अनुसार जानकारी मांग रहे थे। हमने फोन नंबर मांगा। मरीज के बारे में पूछा। महिला ने बताया कि उसके घर में मरीज नहीं है। किसी और को बुलवाने का बोलकर अंदर चली गई। हमने कहा- ठीक है किसी और को बुलवा दीजिए। तभी अचानक से कुछ लोगों ने हम पर हमला कर दिया। अचानक सौ-सवा सौ लोग सामने से आए और चिल्लाने लगे कि मारो-मारो। उन्होंने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। अचानक भीड़ को आता देखकर हम डर गए और जान बचाकर भागने लगे। उसी समय तहसीलदार साहब गाड़ी लेकर हमारे आगे आ गए। हम उनकी गाड़ी में बैठ गए और जान बचाकर भागे। हमारे साथ चार पुलिसकर्मी भी थे, जिन्होंने हमारी मदद की।’
हम तो उनकी सेहत के लिए वहां गए थे, लेकिन लोग समझने को तैयार नहीं हुए
‘अब तक ऐसा मंजर हमने फिल्मों में ही देखा। यह डरावना अनुभव था। कोरोना से डर नहीं लग रहा था, लेकिन उस भीड़ से डर लग रहा था। पलभर के लिए हमें समझ में नहीं आया कि क्या हुआ? हम तो उनकी सेहत के लिए वहां गए थे, लेकिन वे समझने को तैयार नहीं हुए।’
सीएमएचओ बोले- हम दोगुने जोखिम में काम कर रहे, फिर भी स्टाफ डटा हुआ है
मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जड़िया का कहना है कि हम और हमारी टीम रिस्क जोन में काम कर रहे हैं। ऐसे में इस तरह की घटना मनोबल तोड़ने वाली है। हम दोगुने जोखिम में काम कर रहे है। हमारा स्टाफ फिर भी डटा हुआ है।