जालंधर. रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) में वाहनों के विंटेज नंबरों की अलॉटमेंट के नाम पर रिश्वतखोरी को लेकर मंगलवार को विजिलेंस ने आरटीए दफ्तर में छापेमारी की। इस दौरान आरोपी क्लर्क टीम के आने से पहले ही फरार हो गया। टीम करीब पौने दो घंटे उसकी तलाश करती रही लेकिन वह हाथ नहीं लगा।
देखते ही देखते मिनटों में एजेंटों से लेकर क्लर्क तक वहां से इधर-उधर हो गए। दरअसल आरटीए के एक क्लर्क ने विंटेज नंबर देने के एवज में 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। आवेदक ने 10 हजार रुपए एडवांस में पहले ही दिए। आरोप है कि अब क्लर्क नंबर देने के एवज में बचे 40 हजार रुपए मांग रहा है। बीते 11 महीने से परेशान आवेदक ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की तो टीम ने छापेमारी कर दी।
इस बारे रामामंडी इलाके के रहने राजेश ग्रोवर ने बताया कि उन्हाेंने 11 महीने पहले लुधियाना से सेकेंड हैंड कार खरीदी थी। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जालंधर के नंबर के लिए आरटीए में फाइल लगाई थी। वह लगातार कार के ट्रांसफर को लेकर आरटीए कार्यालय के चक्कर लगाता रहा लेकिन वाहनों के ट्रांसफर सीट पर बैठा क्लर्क 40 हजार रुपए और मांग रहा है। आरोप है कि क्लर्क कहता है कि यह विंटेज नंबर है, इसलिए पैसा ज्यादा ही लगेगा।
3 साल से चल रही जांच
आरटीए में चर्चा के मुताबिक विजिलेंस की जांच मुख्य तौर पर विंटेज नंबरों की पिछले 3 साल से चल रही है, बावजूद इसके विजिलेंस की ओर से अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है। इसके चलते एजेंटों के हौंसले इतने बुलंद है कि आए दिन घूसखोरी के नए-नए मामले सामने आते रहते हैं।
क्लर्क से जानकारी लेने आई थी विजिलेंस टीम
इस संदर्भ में रीजनल ट्रांसपोर्ट अथाॅरिटी के सेक्रेटरी बरजिंदर सिंह का कहना है कि किसी क्लर्क द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत का मामला है। इसी से पूछताछ करने विजिलेंस की टीम आई थी लेकिन क्लर्क जॉब पर था इसलिए पूछताछ नहीं हो सकी।