कर्नाटक: JDS को सीएम पद का ऑफर दे रही BJP, पार्टी में फूट, बागियों का विरोध

कर्नाटक में जारी संकट के बीच भारतीय जनता पार्टी के महासचिव मुरलीधर राव ने मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के करीबी और पर्यटन मंत्री आर महेश से एक गेस्ट हाउस में मुलाकात की है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी जेडीएस को मुख्यमंत्री पद का ऑफर दे रही है. साथ ही कई बीजेपी नेता कांग्रेस के बागी विधायकों को पार्टी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं.

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नई दिल्ली. कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार पर मंडरा रहे संकट के बीच बीजेपी में घमासान शुरू हो गया है. कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों को शामिल करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी में अंतर्कलह शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी जेडीएस को मुख्यमंत्री पद का ऑफर दे रही है. साथ ही कई बीजेपी नेता कांग्रेस के बागी विधायकों को पार्टी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं.

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के महासचिव मुरलीधर राव ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के करीबी और पर्यटन मंत्री आर महेश से एक गेस्ट हाउस में मुलाकात की है. हालांकि जब मामला सामने आया, तो मुरलीधर राव ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि जेडीएस के मंत्री आर महेश से किसी तरह की चर्चा किए जाने की बात में कोई सच्चाई नहीं है. सार्वजनिक स्थान पर उनके साथ दिखने सिर्फ एक संयोग है.

उन्होंने कहा कि अफवाहों पर यकीन न करें. हालांकि मैं इस बात को एक बार फिर से दोहरा रहा हूं कि कांग्रेस-जेडीएस का कुशासन तेजी से खत्म हो रहा है. कर्नाटक बीजेपी इसको देख रही है और महान राज्य की जनता के हितों की रक्षा और लोकतंत्र की रक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार है. साजिश करने वालों के झांसे में न आएं.

आपको बता दें कि कर्नाटक कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसके चलते सूबे की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के पर संकट मंडरा रहा है. हालांकि कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया, तो वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गए. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट निर्देश पर बागी विधायक विधानसभा स्पीकर से मिलने मुंबई से बेंगलुरु पहुंचे. इसके बाद ये विधायक गुरुवार रात को ही मुंबई वापस आ गए.

वहीं, इन बागी विधायकों से मुलाकात के बाद विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मेरा काम किसी को बचाना नहीं है. मैं 40 साल से सार्वजनिक जीवन में हूं. मैंने इज्जत के साथ जिंदगी जीने का प्रयास करता हूं. विधायकों ने 6 जुलाई को दोपहर बाद ढाई बजे इस्तीफा दिया था, जबकि मैं दोपहर 12.42 बजे के बाद अपने दफ्तर से चला गया था. विधायकों ने इस्तीफा लेकर आने से मुझे सूचित तक नहीं किया. कुछ लोग कह रहे हैं कि विधायक आ रहे थे इस वजह से मैं भाग गया. हालांकि यह सच्चाई नहीं है.’

कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश ने कहा, ‘यहां इस्तीफे को स्वीकार करने और खारिज करने की बात नहीं है. सवाल यह है कि क्या मुझको बिजली की रफ्तार से काम करना चाहिए? और अगर करना चाहिए, तो फिर किसके लिए? ऐसा करने पर नियमों और सूबे की जनता का क्या होगा? मुझको सिर्फ अपने संविधान से प्यार है.’

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