उत्तराखंड/ नंदा देवी में लापता 5 पर्वतारोहियों के शव दिखे, 22 दिन पहले शुरू की थी चढ़ाई

पर्वतारोहियों के दल ने 13 मई को नंदा देवी की चोटी की चढ़ाई शुरू की थी दो हिस्सों में बंटे दल को 26 मई तक वापस लौटना था, 31 तक सूचना नहीं मिलने के बाद खोजबीन शुरू हुई 2 जून को 4 ब्रिटिश पर्वतारोहियों को बचाया गया, 4 ब्रिटिश, 2 अमेरिकी, एक-एक ऑस्ट्रिलियाई और भारतीय पर्वतारोही लापता थे

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देहरादून. नंदा देवी की चोटी पर 5 पर्वतारोहियों के शव देखे गए हैं। अधिकारियों ने कहा कि शवों को वापस लाने की कोशिशें जारी हैं। दल ने 13 मई को नंदा देवी की चोटी की चढ़ाई शुरू की थी और इन्हें 26 मई तक वापस आना था। लेकिन, 31 मई तक जब इनकी कोई सूचना नहीं मिली तो खोजबीन शुरू की गई।

2 जून को 4 ब्रिटिश पर्वतारोहियों को बचाया गया था। लापता पर्वतारोहियों में 4 ब्रिटिश, 2 अमेरिकी, एक-एक ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय शामिल हैं।

बचाए गए ब्रिटिश बेस कैंप में ठहरे थे
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन 4 ब्रिटिश पर्वतारोहियों को बचाया गया था, उनमें से एक मार्क थॉमस सोमवार को भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर पर खोजबीन के लिए रवाना हुए थे। थॉमस ने उस स्थान की तस्वीरें लीं, जहां पर कैंप लगाया गया था। तस्वीरों में उन्होंने 5 शव देखे। थॉमस 12 सदस्यीय दल के उस हिस्से में शामिल थे, जो दूसरे बेस कैम्प में ठहरा हुआ था। बाकी 8 पर्वतारोहियों ने नंदा देवी की चोटी की चढ़ाई शुरू की थी।

हिमस्खलन के बाद परेशानियां बढ़ीं
चोटी पर जाने वाले दल का नेतृत्व ब्रिटिश पर्वतारोही मार्टिन मोरान कर रहे थे। वे पहले भी दो बार इस चोटी पर चढ़ाई कर चुके थे। हालांकि, हालिया अभियान की शुरुआत से पहले उन्होंने फेसबुक पोस्ट में इस बात के संकेत दिए थे कि उनका दल इस बार किसी ऐसी चोटी पर जा रहा है, जहां पहले कोई नहीं गया। इस दल को 26 मई तक मुंसियारी स्थित बेस कैम्प में आ जाना था। लेकिन, जब दूसरे बेस कैंप में ठहरे थॉमस की टीम का चढ़ाई करने वाले दल से कोई संपर्क नहीं हुआ, तब उन्होंने खोज शुरू की। हालांकि, थॉमस की टीम को रविवार को बचा लिया गया।

 

नंदा देवी पर दुर्घटनाओं की दर एवरेस्ट से 5 गुना ज्यादा
उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ) की अधिकारी तृप्ति भट्ट ने कहा कि 15 लोगों की एक टीम बचाए गए पर्वतारोहियों को नीचे लाने के लिए भेजी गई है। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट के मुकाबले नंदा देवी पर दुर्घटनाओं की दर पांच गुना ज्यादा है। नंदा देवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।

बेस कैम्प में ही फंस गए थे बचाए गए पर्वतारोही

पिथौरागढ़ पुलिस चीफ आरसी राजगुरु ने कहा- बचाए गए पर्वतारोही बड़े दल का हिस्सा नहीं थे। यह अलग पर्वतारोहण कर रहे थे। यह हिमस्खलन से पहले तक संपर्क में थे। भारी बर्फबारी और खराब मौसम के चलते यह बेस कैम्प में ही फंस गए थे। अभी तक उन पर्वतारोहियों की सुरक्षा के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है, जिन्होंने 13 मई को चढ़ाई शुरू की थी।

दो बार नंदा देवी पर चढ़ाई कर चुका ब्रिटिश पर्वतारोही था दल का अगुआ

ब्रिटिश पर्वतारोही मार्टिन मोरान दल का नेतृत्व कर रहे थे। वे पहले भी दो बार इस चोटी पर चढ़ाई कर चुके थे। हालांकि, हालिया अभियान की शुरुआत से पहले उन्होंने फेसबुक पोस्ट में इस बात के संकेत दिए थे कि उनका दल इस बार किसी ऐसी चोटी पर जा रहा है, जहां पहले कोई नहीं गया। इस दल को 26 मई तक मुंसियारी स्थित बेस कैम्प में आ जाना था, लेकिन बेस कैम्प में रह रहे पोर्टर ने बताया कि यह दल 31 मई तक वापस नहीं लौटा। नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग उत्तराखंड के अधिकारियों के संपर्क में है।

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