ईरान- अमेरिका में तनाव हुआ कम इसी बीच भारत की होरमुज स्ट्रेट पर नजर, सऊदी अरब से की बातचीत
ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते काफी खराब दौर से गुजर रहा है और उसका असर उन देशों पर दिखाई दे रहा है जो खाड़ी देशों के साथ कच्चे तेल का आयात करते हैं। इन सबके बीच भारत ने सऊदी अरब से बातचीत की है। वही ईरान पर हमले का संकट टल चुका है और पूरी दुनिया राहत का सांस ले रही है। इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि उन्होंने हमले से 10 मिनट पहले अपने फैसले को बदल दिया।
नई दिल्ली: ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी फिलहाल टलती नजर आ रही है। लेकिन इन सबके बीच कच्चे तेल की कीमतों को लेकर भारत सरकार की चिंता बढ़ गई है। तेल से जुड़े मामलों पर भारत करीब 83 फीसद आयात पर निर्भर है। खासतौर से यूएई से भारत अपनी ऊर्जा की आधी जरूरतों को पूरी करता है।
Had a telephonic conversation with HE @Khalid_AlFalih, Min. Of Energy, Industry & Mineral Resources, Saudi Arabia and discussed about further strengthening cooperation in hydrocarbon sector to enhance strategic partnership that exists between India 🇮🇳 and 🇸🇦 Saudi Arabia.
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) June 21, 2019
दुनिया में एलएनजी का करीब पांचवां हिस्सा और कच्चा तेल के टैंकरों की आवाजाही होरमुज स्ट्रेट के जरिए होता है। ईरान और अमेरिका के बीच विवाद के बीच ब्रेंट तेल की कीमतों में करीब 6 फीसद का इजाफा हो चुका है, इस समय इसका व्यापार 65 डॉलर प्रति बैरल के दर पर हो रहा है। बताया जा रहा है कि अमेरिका भले ही ईरान पर हमला अब न करे लेकिन दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे बने हालात के बीच कच्चे तेल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है।
इस संबंध में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सऊदी अरब के तेल मंत्री खालिद अल फालिह से बातचीत की। दोनों देशों के बीच स्ट्रेट ऑफ होरमुज पर खास बातचीत हुई। भारत ने कहा है कि सऊदी अरब को ओपेक और ओपेक प्लस देशों से इस संबंध में सक्रिय रूप से बातचीत करनी चाहिए ताकि कच्चे तेलों की कीमतों में होने वाली बढ़ोतरी पर लगाम लगाया जा सके।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कच्चे तेल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार प्राइवेट निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पीएम मोदी ने 2015 में ही इस बात पर बल दिया था कि भारत को तेल के क्षेत्र में 2022 तक निर्भरता 10 फीसद कम कर 67 फीसद के स्तर पर लाना चाहिए। लेकिन सही मायनों में तेल आयात में कमी की जगह बढ़ोतरी ही हुई है।
ईरान पर हमले से पहले अमेरिकी जनरल से पूछा कितने मरेंगे, जवाब मिलने पर 10 मिनट पहले ट्रंप ने बदला फैसला
ईरान पर हमले का संकट टल चुका है और पूरी दुनिया राहत का सांस ले रही है। इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि उन्होंने हमले से 10 मिनट पहले अपने फैसले को बदल दिया।
अमेरिकी अत्याधुनिक ड्रोन विमान को ईरान द्वारा मार गिराए जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया कि ईरान को अमेरिका सबक जरूर सिखाएगा। ट्रंप ने कहा था कि ईरान ने बड़ी गलती कर दी है और उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लेकिन अब अमेरिका या यूं कहें कि ट्रंप की रणनीति क्यों बदल गई। इसका जवाब उन्होंने खुद दिया है।
वो बताते हैं कि सोमवार को ईरान ने अमेरिका के अनमैन्ड ड्रोन को मार गिराया था। ये निश्चित तौर पर अमेरिकी संप्रभुता पर हमला था। हम लोग पिछली रात यानि गुरुवार को ईरान में तीन जगह हमले के लिए पूरी तरह तैयार थे। लेकिन मैंने पूछा कि उसमें कितने लोगों की मौत होगी तो एक अमेरिकी जनरल ने कहा कि सर, 150. यह सुनने के बाद हमले से महज 10 मिनट पहले उन्होंने फैसले को बदल दिया।
….Death to America. I terminated deal, which was not even ratified by Congress, and imposed strong sanctions. They are a much weakened nation today than at the beginning of my Presidency, when they were causing major problems throughout the Middle East. Now they are Bust!….
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) June 21, 2019
इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि कांग्रेस से मंजूरी नहीं मिलने के बाद भी ईरान के खिलाफ तगड़ प्रतिबंध लगाए गए हैं। मेरे कार्यकाल के शुरुआत के समय ईरान शक्तिशाली था लेकिन आज उसकी ताकत कम हो गई है। वो लगातार मध्य पूर्व में माहौल खराब कर रहा है। अब तो हालात और खराब हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान संकट के लिए बराक ओबामा की नीतियों को भी जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि ओबामा ने ईरान के साथ न केवल खतरनाक डील की थी बल्कि 150 अरब डॉलर से ज्यादा कैश दिया। ईरान के सामने बहुत सी मुश्किलें थीं। लेकिन उनके पूर्ववर्ती की वजह से ईरान न केवल मजबूत मुल्क बना बल्कि परमाणु कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाने लगा। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका एक महान देश है और हम ये चाहते हैं कि पूरी दुनिया में ऐसा माहौल बने कि सभी देश तरक्की करें। लेकिन जो देश परमाणु हथियारों के जरिए दुनिया के लिए खतरा बन चुके हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जरूरी है।
जानकारों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के फैसले से निश्चित तौर पर अनिश्चितता के बादल छटेंगे। आप ने देखा होगा कि युद्ध के ऐलान के बाद से ही क्रूड ऑयल की कीमतों में 6 फीसद का उछाल आ गया था। अगर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता तो परसियन गल्फ से गुजरने वाली पानी की आवाजाही पर असर पड़ता और दुनिया में आर्थिक मंदी का संकट उठ खड़ा होता ।