आमने-सामने पंजाब-हरियाणा के CM:मनोहर लाल बोले- अमरिंदर किसानों को भड़का रहे हैं, अमरिंदर ने कहा- फिर हरियाणा के किसान दिल्ली क्यों जा रहे

चंडीगढ़। केंद्र सरकार के खेती से जुड़े कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान दिल्ली चलो का नारा बुलंद करके सड़कों पर उतर आए हैं। पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ हरियाणा बॉर्डर पर उनकी झड़पें भी हुई हैं। एक तरफ किसान और पुलिस आमने सामने हैं तो दूसरी ओर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री ट्विटर पर टकरा रहे हैं। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भिड़ गए हैं। काफी किसान इन कानूनों पर अपना विरोध जताने के लिए बुधवार से दिल्ली जाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा ने पड़ोसी राज्यों की सीमाएं सील कर इन किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के तमाम बंदोबसत किए। कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी चौकस है, लेकिन किसानों के इस आंदोलन की वजह से पिछले दो दिनों से न केवल यातायात बुरी तरह प्रभावित है, बल्कि आवागमन करने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है।

दरअसल, कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने 26 और 27 नवंबर को बड़े प्रदर्शन की तैयारी की है। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने भी इंतजाम किए हैं। ऐसे में जब हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली की ओर निकले तो पुलिस ने उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया।

अमरिंदर ने कहा- खट्टर जी किसानों को मत रोकिए

कैप्टन ने दूसरे ट्वीट में कहा कि पिछले दो माह से किसान बिना किसी समस्या के पंजाब में शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अब वह जब हरियाणा पहुंचे तो बल प्रयोग कर उनकी आवाज को न केवल दबाया जा रहा है, बल्कि उन्हें हिंसक बनने के लिए उकसाया भी जा रहा है। कैप्टन ने इस ट्वीट में मनोहर लाल से पूछा कि क्या किसानों को सार्वजनिक राजमार्ग से शांतिपूर्ण तरीके से गुजरे का अधिकार नहीं है। कैप्टन ने अपने तीसरे ट्वीट में भाजपा हाईकमान से कहा कि पूरे देश का पेट भरने वाले किसानों के साथ इस तरह का अन्याय उचित नहीं है। भाजपा नेतृत्व को चाहिये कि वह अपनी पार्टी की सरकारों वाले राज्यों से कहे कि किसानों को अपनी बात कहने के लिए दिल्ली आने दें।

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को टैग करते हुए ट्वीट किया कि यह बहुत दुख की बात है कि संविधान दिवस पर किसानों के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। उन्हें जाने दीजिए खट्टर जी। उन्हें मत धकेलिए। किसानों को अपनी आवाज शांति से दिल्ली तक पहुंचाने दीजिए।

मनोहर लाल बोले- आप सिर्फ ट्वीट करते हैं

कैप्टन अमरिंदर सिंह को जवाब देने के लिए मनोहर लाल ने लगातार तीन ट्वीट किए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह को जवाब देने के लिए मनोहर लाल ने लगातार तीन ट्वीट किए।

मनोहर का जवाब, किसानों पर राजनीति बंद कीजिये, एमएसपी नहीं मिला तो राजनीति छोड़ दूंगा

कैप्टन अमरिंदर के इन तीनों ट्वीट का हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तगड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर जी, आपके झूठ, धोखे और प्रचार का समय खत्म हो गया है। लोगों को अपना असली चेहरा देखने दें। कृपया कोरोना महामारी के दौरान लोगों के जीवन को खतरे में डालना बंद करें। मैं आपसे लोगों के जीवन के साथ नहीं खेलने का आग्रह करता हूं। कम से कम महामारी के समय ऐसी सस्ती और घटिया राजनीति करने से बचें।

इसके जवाब में मनोहर लाल ने ट्वीट किया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह जी, मैं फिर कह रहा हूं। मैं राजनीति छोड़ दूंगा अगर मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) पर कोई परेशानी होगी। इसलिए किसानों को उकसाना बंद कीजिए। मैं पिछले तीन दिन से आपसे बात करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन दुख की बात है कि आप लगातार अनरिचेबल हैं। इससे पता चलता है कि किसानों के मुद्दों पर आप कितने गंभीर हैं। आप सिर्फ ट्वीट कर रहे हैं। बात करने से भाग जाते हैं।

अमरिंदर का जवाब- आपकी प्रतिक्रिया से हैरान हूं

अमरिंदर सिंह ने भी इसका जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट किया कि आपकी प्रतिक्रिया से मैं शॉक्ड हूं एमएल खट्टर जी। किसानों को MSP पर आश्वस्त होना है, मुझे नहीं। किसानों के दिल्ली जाने से पहले आपको उनसे बात करने की कोशिश करनी चाहिए थी। अगर आपको लगता है कि मैं किसानों को उकसा रहा हूं तो हरियाणा के किसान दिल्ली के लिए क्यों मार्च कर रहे हैं?

उन्होंने एक और ट्वीट किया। इसमें लिखा कि लगभग 2 महीने से किसान बिना किसी समस्या के पंजाब में शांति के साथ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा सरकार ताकत का इस्तेमाल करके उन्हें क्यों उकसा रही है? क्या किसानों को पब्लिक हाईवे से शांति से गुजरने का हक नहीं है?

सुखबीर बादल ने कहा- आज का दिन किसानों के लिए 26/11

इस लड़ाई में कभी BJP का सहयोगी रहा शिरोमणि अकाली दल भी कूद गया। पार्टी के चीफ सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि आज पंजाब का 26/11 है। हम लोकतांत्रिक तरीके से विरोध के अधिकार को खत्म होते देख रहे हैं। अकाली दल किसान आंदोलन को दबाने के लिए हरियाणा सरकार और केंद्र की निंदा करता है। पंजाब के किसानों की लड़ाई को वाटर कैनन से नहीं रोका जा सकता।

बादल ने कहा कि किसान किसी भी सियासी झंडे के तले अपना अभियान शुरू नहीं करना चाहते हैं। सभी दलों के किसान इस (फार्म लॉ) मुद्दे पर एकजुट हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इसमें सबसे अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने इन कानूनों का बिल्कुल विरोध नहीं किया।

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