आत्मनिर्भर पैकेज का तीसरा चरण / मत्स्य पालन, पशुपालन और मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए वित्त मंत्री ने 53,343 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया

मत्स्य उद्योग के एकीकृत, टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपए की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लांच करेगी सरकार पशुपालन में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का एनीमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्र्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनेगा 13,343 करोड़ रुपए का राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम हुआ लांच, मवेशियों में मुंहपका और खुड़पका रोग तथा ब्रुसेलोसिस की होगी रोकथाम मधुमक्खी पालन के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए का पैकेज, उद्यमियों की बढ़ेगी आय, उपभोक्ताओं को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शहद

नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के तीसरे हिस्से पर से पर्दा उठाया। उन्होंने कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर फोकस करते शुक्रवार मत्स्य उद्योग के विकास के लिए 20,000 करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया। सीतारमण ने कहा कि इस पैकेज को लागू करने से मत्स्य उद्योग का निर्यात बढ़कर दोगुना हो जाएगा। इसके साथ ही 50 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां हम जानेंगे कि इस योजना में क्या, किसे, कितना, कब और कैसे मिलेगा।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लांच करेगी सरकार
क्या है योजना :
 मत्स्य उद्योग के एकीकृत, टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लांच होगी

कितना मिलेगा : सरकार ने इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें से 11,000 करोड़ रुपए मेराइन, इनलैंड फिशरीज और एक्वाकल्चर गतिविधियों के लिए दिए जाएंगे। शेष 9,000 करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्र्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे, जिसमें फिशिंग हार्बर्स, कोल्ड चेन, बाजार, आदि शामिल हैं।

किसे मिलेगा : मछुआरों और मत्स्य पालन उद्यमियों को मिलेगा योजना का लाभ। 55 लाख से ज्यादा लोगों को मिलेगा रोजगार।

कैसे मिलेगा : केज कल्चर, सी विड फार्मिंग, ओर्नामेंटल फिशरीज और नए फिशिंग वेसल्स, ट्रेसेबिलिटी, लैबोरेटरी नेटवर्क, आदि गतिविधियों पर पैसा होगा खर्च। जिस अवधि में मछुआरे मछली नहीं पकड़ते, उस अवधि में मछुआरों को सहयोग दिया जाएगा। मछुआरों और उनके बोट का बीमा किया जाएगा।

क्या होगा फायदा : अगले 5 साल में 70 लाख टन का अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा। 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। मत्स्य निर्यात दोगुना होकर एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।

किस क्षेत्र पर होगा फोकस : इस योजना के तहत इनलैंड, हिमालय क्षेत्र, पूर्वोत्तर और एस्पिरेशनल जिलों पर मुख्य फोकस रहेगा।

कृषि निर्यात में मत्स्य व मत्स्य उत्पादों का है अहम योगदान

फूड प्रोडक्शन मे फिशरीज और एक्वाकल्चर सेक्टर का महत्वपूर्ण स्थान है। पोषण सुरक्षा देने के साथ ही यह सेकटर 1.4 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। यह सेक्टर कृषि निर्यात में भी अहम भूमिका निभाता है। कृषि निर्यात में मत्स्य व मत्स्य उत्पाद का योगदान वॉल्यूम के लिहाज से 13.77 लाख टन और वैल्यू के लिहाज से 45,106.89 करोड़ रुपए का है। यह कुल निर्यात का 10 फीसदी और कृषि निर्यात का करीब 20 फीसदी है। यह सेक्टर देश की जीडीपी में 0.91 फीसदी योगदान करता है।

पशुपालन में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 15,000 करोड़ रुपए का एनीमल हसबेंडरी इंफ्रास्ट्र्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनेगा
क्या मिलेगा :

15,000 करोड़ रुपए का कोष बनेगा

क्या है मकसद : दुग्ध प्रसंस्करण, वैल्यू एडीशन और कैटल फीड इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश को बढ़ावा देने है मकसद। वित्त मंत्री ने कहा कि देश के कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन होता है। इन क्षेत्रों में दूध उत्पादन में निजी निवेश में बड़ी संभावना है।

किसे मिलेगा : पशुपालन क्षेत्र के उद्यमियों को

कैसे मिलेगा : खास उत्पादों के निर्यात से जुड़े प्लांट लगाने के लिए मिलेगा प्रोत्साहन

कब मिलेगा : इस बारे में कोई समय सीमा नहीं दी गई।

राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम हुआ लांच, मवेशियों में मुंहपका और खुड़पका रोग तथा ब्रुसेलोसिस की होगी रोकथाम
क्या मिला :

13,343 करोड़ रुपए इस कार्यक्रम के लिए दिए गए

क्या है मकसद : मवेशियों में मुंहपका और खुड़पका रोग तथा ब्रुसेलोसिस की रोकथाम

किसे मिलेगा : पशुपालकों को होगा इस योजना का लाभ

कैसे मिलेगा : मवेशियों में मुंहपका और खुड़पका रोग तथा ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के लिए मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी और पिग (कुल 53 करोड़ पशु) का 100 फीसदी वैक्सिनेशन सुनिश्चित किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि अभी तक 1.5 करोड़ गायों और भैंसों को टैग और वैक्सिनेटेड कर लिया गया है।

कब मिलेगा : कोई समय सीमा नहीं बताई गई।

मधुमक्खी पालन के विकास के लिए 500 करोड़ रुपए का पैकेज, उद्यमियों की बढ़ेगी आय, उपभोक्ताओं को मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शहद
क्या मिला :

500 करोड़ रुपए

क्या है मकसद : सरकार एक योजना लागू करेगी। इसके तहत इंटीग्रेटेड बीकीपिंग डेवलपमेंट सेंटर, कलेक्शन, मार्केटिंग एंड स्टोरेज सेंटर, पोस्ट हार्वेस्ट एंड वैल्यू एडीशन केंद्र, आदि से संबंधित इंफ्रास्टक्चर विकास किया जाएगा।

किसे मिलेगा : मधुमक्खी पालकों को मिलेगा लाभ। खास तौर से महिलाओं में कैपेसिटी बिल्डिंग का काम किया जाएगा।

कैसे मिलेगा : स्टैंडर्ड एंड डेवलपिंग ट्र्रेसेबिलिटी सिस्टम को कार्यान्वित किया जाएगा। गुणवत्तापूर्ण न्यूक्लियस स्टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास किया जाएगा।

क्या होगा फायदा : दो लाख मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ेगी। उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता वाला शहद मिलेगा।

कब मिलेगा : समय पर सीमा का कोई उल्लेख नहीं।


लगातार तीसरे दिन सीतारमण आईं और आत्मनिर्भर भारत अभियान की योजनाएं बताती चली गईं। वित्त मंत्री शुक्रवार को एक घंटा 17 मिनट बोलीं और इस दौरान 11 घोषणाएं कीं। केंद्र में किसान थे। 8 घोषणाएं उन्हीं के बारे में थीं। खासकर खेती-किसानी के इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स के बारे में।

तीन घोषणाएं शासन-प्रशासन से जुड़ी थीं। इन 11 घोषणाओं में से 7 लागू कब होंगी, कुछ साफ नहीं कर गईं। तीन दिनों में, यानी बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को मिलाकर वित्त मंत्री 4 घंटे 21 मिनट बोल चुकी हैं। और इस दौरान 35 घोषणाएं कर चुकी हैं।

मौजूदा हिसाब से लग रहा है कि शनिवार को भी वित्त मंत्री जरूर आएंगी। क्योंकि अब तक 20 लाख करोड़ का हिसाब पूरा नहीं हुआ है। जो प्रधानमंत्री बोल गए थे। दो लाख करोड़ रुपए अब भी बचे हुए हैं। आज की घोषणाओं को फिर उन्हीं 4 बुनियादी आधार पर समझें कि क्या मिलेगा, किसे मिलेगा, कैसे मिलेगा और कब तलक मिल सकेगा…

1. एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड

क्या मिलेगा: फसल कटाई, कोल्ड चेन, स्टोरेज सेंटर जैसी ‘फार्म गेट’ सुविधाएं मजबूत करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की फाइनेंसिंग की जाएगी।

किसे मिलेगा: एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रायमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी और खेती से जुड़े स्टार्ट-अप्स को यह मदद दी जाएगी।
कैसे मिलेगा: यह पैसा शॉर्ट टर्म लोन के जरिए मिलेगा।
कब मिलेगा: सरकार का कहना है कि तुरंत ही यह फंड बना लिया जाएगा।

2. माइक्रो फूड एंटरप्राइज के लिए 10 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा:
 लोकल के लिए वोकल के नारे को ध्यान में रखते हुए माइक्रो फूड एंटरप्राइज को 10 हजार करोड़ रुपए की मदद दी जाएगी ताकि वे फूड स्टैंड्‌डर्स का ध्यान रखते हुए ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर सकें।
किसे मिलेगा: ऐसी 2 लाख यूनिट्स को इसका फायदा मिलेगा। कश्मीर का केसर हो, उत्तर प्रदेश का आम हो, पूर्वोत्तर का बांस हो, आंध्र प्रदेश की मिर्ची हो या बिहार का मखाना हो, इस तरह के उद्यमों को इसमें मदद मिलेगी।
कैसे मिलेगा: कृषि उपज संस्थाओं, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और सहकारी संस्थाओं के जरिए यह मदद दी जाएगी।
कब मिलेगा: सरकार ने अभी यह साफ नहीं किया है।

3. मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए 20 हजार करोड़ रुपए की मदद मिलेगी। इसमें 11 हजार करोड़ रुपए मछली पालन और 9 हजार करोड़ रुपए बुनियादी सुविधाएं मजबूत करने के लिए मिलेंगे।
किसे मिलेगा: यह योजना मछुआरों के लिए है ताकि उन्हें मछली पालन में मदद मिल सके। द्वीप वाले राज्यों, हिमालयी राज्यों, पूर्वोत्तर और मछली पालन में आगे रहने वाले जिलों को यह मदद मिलेगी।
कैसे मिलेगा: मंडियों, हार्बर और कोल्ड चेन जैसी बुनियादी सुविधाओं पर पैसा खर्च होगा। 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। 1 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट हो सकेगा।
कब मिलेगा: सरकार को उम्मीद है कि इससे 5 साल में 70 लाख टन ज्यादा मछली पालन हो सकेगा।

4. पशुओं के टीकाकरण के लिए 13 हजार 343 करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअरों काे टीका लगाया जाएगा। इस पर 13 हजार 343 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
किसे मिलेगा: 53 करोड़ पशुओं को ये टीके लगेंगे। इन्हें पालने वालों को सरकार मदद देगी।
कैसे मिलेगा: जिन पशुओं को पाला जाता है, उन्हें मुंह और खुर की बीमारियां न हों, इसके लिए टीके लगाए जाएंगे। अभी तक 1.5 करोड़ गाय-भैंस को यह टीका लगाया जा चुका है।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

5. पशुपालन सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 15 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: पशुपालन सेंटरों के लिए बुनियादी ढांचा बनेगा। इस पर 15 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
किसे मिलेगा: डेयरी चलाने वालों को। इस पैसे से दूध के लिए प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगेंगी। डेयरी सेक्टर में निजी इन्वेस्टमेंट हो सकेगा।
कैसे मिलेगा: पशुओं को रखने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनेगा। लोकल मार्केट और एक्सपोर्ट के लिए भी पैसा इस्तेमाल होगा। अगर एक्सपोर्ट करना चाहते हैं तो प्लांट के लिए इंसेंटिव मिलेगा।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

6. औषधीय पौधों के लिए 4 हजार करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: हर्बल प्रोड्यूस के लिए 4 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
किसे मिलेगा: मेडिसिनल प्लांट की खेती करने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। 10 लाख हेक्टेयर यानी करीब 25 लाख एकड़ में खेती हो पाएगी।
कैसे मिलेगा: यह खेती करने पर किसानों की 5 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होगी। क्षेत्रीय मंडियों पर पैसा खर्च होगा। गंगा किनारे भी औषधीय पौधे लगाने की मुहिम चलाई जाएगी। गंगा किनारे ऐसे पौधों का 800 हेक्टेयर का कॉरिडाेर बनाया जाएगा।
कब मिलेगा: अगले दो साल में यह पैसे खर्च होंगे।

7. मधुमक्खी पालने वालों के लिए 500 करोड़ रुपए
क्या मिलेगा
: मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। शहद की सप्लाई बढ़ेगी। किसानों के लिए यह उनकी आमदनी का अतिरिक्त जरिया होगा।
किसे मिलेगा: मधुमक्खी पालने वाले 2 लाख लोगों को इसका फायदा मिलेगा।
कैसे मिलेगा: महिलाओं को इसमें ज्यादा मौका दिया जाएगा। शहद के कलेक्शन, स्टोरेज और मार्केटिंग में मदद मिलेगी।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

8. TOP यानी टमाटर, आलू, प्याज योजना में अब बाकी सब्जियां और फल भी

क्या मिलेगा: टमाटर, आलू और प्याज के मामले में ऑपरेशन ग्रीन चलता है ताकि किसानों को इसका ठीक पैसा मिले। अब यह योजना फल और सब्जियों पर भी लागू होगी।
किसे मिलेगा: उन किसानों को फायदा मिलेगा, जो आलू, प्याज और टमाटर के अलावा फल और सब्जियां भी उगाते हैं, लेकिन जिन्हें कई बार इनके सही दाम नहीं मिल पाते।
कैसे मिलेगा: इसके लिए 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 50% सब्सिडी ट्रांसपोर्टेशन और 50% सब्सिडी स्टोरेज और कोल्ड स्टोरेज पर दी जाएगी।
कब मिलेगा: छह महीने का पायलट प्रोजेक्ट होगा।

9. आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव होगा
क्या मिलेगा
: खेती में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और किसानों को अच्छे दाम देने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया जाएगा।
किसे मिलेगा: तिलहन, दलहन, आलू, प्याज उगाने वाले किसानों और खाने का तेल बेचने वालों को इसका सीधा फायदा मिलेगा। इन्हें रेगुलेशन के दायरे से बाहर किया जाएगा।
कैसे मिलेगा: इन चीजों के लिए किसानों पर कोई स्टॉक लिमिट नहीं थोपी जाएगी। प्रोसेसर और वैल्यू चेन में शामिल लोगों के लिए स्टॉक लिमिट नहीं होगी। स्टॉक लिमिट सिर्फ राष्ट्रीय आपदा जैसे असाधारण मामलों में ही लागू की जाएगी।
कब मिलेगा: सरकार ने यह नहीं बताया कि कानून में संशोधन कब होगा।

10. एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म
क्या मिलेगा
: एक केंद्रीय कानून बनेगा ताकि किसानों के पास अच्छी कीमतों पर उपज बेचने का मौका रहे।
किसे मिलेगा: उन किसानों काे, जो अब तक लाइसेंस रखने वाली एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी में ही अपनी उपज बेच पाते थे।
कैसे मिलेगा: किसान दूसरे राज्यों में जाकर भी बिना रोकटोक कृषि उपज बेच सकेंगे। वे ई-ट्रेडिंग भी कर सकेंगे।
कब मिलेगा: सरकार ने यह अभी साफ नहीं किया है।

11. किसानों के लिए कानून में बदलाव होंगे
किसानों को अभी फसल बोते वक्त यह नहीं पता होता कि उसे इसके कितने दाम मिलेंगे और पूरी उपज बिकेगी या नहीं। सरकार चाहती है कि हर सीजन से पहले किसानों को यह पता रहे कि उसे अपनी उपज का कितना दाम मिलेगा। किसानों को आमदनी की गारंटी देने के लिए सरकार कानून में बदलाव कर ऐसी व्यवस्था बनाएगी जिसके तहत फूड प्रोसेसर, एग्रीगेटर्स, रिटेलर्स और एक्सपोर्टर्स के साथ किसान अपनी उपज का दाम पहले ही तय कर सकेगा। मकसद यह है कि मेहनती किसानों का उत्पीड़न न हो और वे जोखिम रहित खेती कर सकें।

मुंबई. 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के तीसरे दिन वित्तमंत्री ने एग्रीकल्चर से जुडे़ कई सेक्टर पर फोकस किया। इसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को एक लाख करोड़ रुपए देने का ऐलान किया गया। इस पैसे से स्थानीय बाजारों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाएगा। इसको हम समझने की कोशिश करते हैं

क्या मिला?

एक लाख करोड़ रुपए का इंफ्रा का फंड उन लोगों को मिलेगा, जो लोग मूलरूप से कृषि से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जुड़े हैं। यानी कृषि आधारित इंफ्रा के लिए यह राशि दी जाएगी।

किसे मिलेगा?

यह एक लाख करोड़ रुपए की राशि संस्थाओं के जरिए मिलेगी। जैसे किसान उत्पादित संघ, स्टार्टअप, एग्रीगेटर, एग्री के आंतरप्रेन्योर आदि के माध्यम से यह पैसा दिया जाएगा। ताकि ये लोग किसानों के लिए इस तरह की सुविधाओं को तैयार कर सकें।

क्यों मिलेगा?

कृषि इंफ्रा के जरिए स्थानीय बाजार और किसानों को वैश्विक बाजारों में मुकाबला करने के लिए यह राशि मिलेगी। जब देश में गोदाम, कोल्ड स्टोरेज बेहतर होंगे तो इससे किसानों की आय दोगुनी होगी और मांग पूरी करने के साथ-साथ एक्सपोर्ट को भी बढ़ावा मिलेगा। हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रा के बाद सस्ते और फाइनेंशियल रूप से एग्रीगेशन प्वाइंट को सक्षम बनाने के लिए फोकस किया गया है।

कब और कैसे मिलेगा?

इस पर दिशा निर्देश आने के बाद मिलेगा। हालांकि इस फंड का निर्माण तुरंत किया जाएगा। यह पैसा कोल्ड स्टोरेज चेन को बनाने के लिए, गोदामों की संख्या बढ़ाने के लिए, भंडारण की क्षमता बढ़ाने के लिए संस्थाओं को दिया जाएगा।दरअसल इस राहत पैकेज के पीछे उद्देश्य यह है कि देश में कृषि आधारित लॉजिस्टिक और स्टोरेज को बढ़ावा दिया जाए। इसे प्राइमरी एग्रीकल्चर सोसाइटी के जरिए इंफ्रा को मजबूत करने की कोशिश की जाएगी। खासकर प्राइवेट और स्टार्टअप को किसान की इंफ्रा को मजबूत करने के लिए शामिल किया जाएगा।

वित्तमंत्री के 8 एलान में कृषि के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, क्षमता और बेहतर लॉजिस्टिक के निर्माण से संबंधित थे, जबकि 3 एलान प्रशासनिक सुधारों से जुड़े रहे। कृषि इंफ्रा के क्षेत्र में अहम कदम उठाते हुए वित्त मंत्री ने वित्त मंत्री ने फार्म गेट के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का एलान किया है। वित्त मंत्री ने कहा- भारत दाल, दूध, जूट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। छोटे और मझोले किसानों के पास 85 फीसदी खेती है।

केंद्र सरकार ने सबसे बड़ा कदम एग्रीकल्चर में प्रशासकीय सुधारों को लेकर उठाया है। इसमें आवश्यक वस्तु अधिनियम (Essential Commodities Act (1955) amended) में संशोधन करने का एलान किया गया है। सरकार ने कहा कि इसके तहत कृषि उत्पादों में अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें, प्याज और आलू को डी-रेगुलेट किया जाएगा।

किसे मिला

इस सुधार से फसलों की अधिकता से निपटने में मदद मिलेगी। अनाज, खाद्य तेल, बीज, आलू और प्याज को नियंत्रण मुक्त किया जाएगा। भंडारण के लिए कोई स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी। इससे किसानों को फायदा होगा। वे सीजन में सस्ते कीमत पर अनाज खरीदकर या अपना अनाज स्टोर कर उसे बाद में बेच सकते हैं।

क्यों मिला

किसानों को खुले बाजार में फसलों की सही कीमत मिले, स्टॉक की कमी के कारण अनाज नुकसान न हो। इससे किसान अपने हिसाब से तय कर सकेंगे।

क्या मिला

किसानों के लिए उचित मूल्य मिलना संभव होगा। किसानों को आकर्षक कीमतों पर बेचने के लिए विकल्प प्रदान करने के लिए सेंट्रल लॉ बनाया जाएगा। अंतरराज्यीय व्यापार को बाधा मुक्त बनाया जाएगा। उत्पाद के ई-व्यापार को आसान बनाए बनाये जाने की जरूरत पर जोर दिया गया है।

कैसे मिलेगा

किसानों की उम्मीद के मुताबिक मूल्य निर्धारण के लिए स्टैण्डर्ड मैकेनिज्म होगा। इससे किसानों को अपनी कीमत तय करने में मदद करने के लिए लीगल फ्रेमवर्क मिलेगा। बुवाई से पहले किसानों के लिए सुनिश्चित मूल्य और गुणवत्ता भी तय होगी। फार्मिंग टेक्नोलॉजी की उपलब्धता बढ़ाने और बिक्री के अवसरों को बेचने के लिए भी जोर दिया गया है।

सरकार का उद्देश्य वैल्यू चेन को मजबूत करना है

एक्सिस सिक्योरिटीज के बी. गोपकुमार ने कहा कि कृषि क्षेत्र और मत्स्य पालन से संबंधित आज की घोषणाओं का उद्देश्य वैल्यू चेन और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। सरकार की दीर्घकालिक सोच है कि वह आर्थिक बुनियादी चीजों में सुधार लाये जो आगे सप्लाई चेन को बहाल करने में मदद करे कृषि उत्पादों की बर्बादी को कम कर बेहतर मूल्य वसूली कर सके।

उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और दीर्घकालिक मांग का सृजन होगा। हमें आज घोषित उपायों के किसी बड़े तात्कालिक लाभ की उम्मीद नहीं है लेकिन सरकार की दीर्घकालिक सोच स्पष्ट है। आज की घोषणाओं के इक्विटी बाजारों पर प्रभाव सीमित होने की संभावना है क्योंकि सारे लाभ बैक एंडेड हैं।

मुंबई. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण न आर्थिक पैकेज के अंतिम दिन कई तरह की घोषणाएं कीं। इसमें उन्होंने कृषि इंफ्रा को एक लाख करोड़ रुपए देने के अलावा टोमैटो, ओनियन और पोटैटो (टॉप) टू ऑल फ्रूट एंड वेजिटेबल (टोटल) के लिए 500 करोड़ रुपए का ऐलान किया।

किसे मिला और क्या मिला?

अब ऑपरेशन ग्रीन का दायरा टमाटर प्याज और आलू (TOP) से बढ़ाकर सभी प्रकार के फलों और सब्जियों (TOTAL) पर किया जाएगा। इसके लिए वित्तमंत्री ने किसानों को यह पैकेज दिया है। सब्सिडी के रूप में यह पैकेज दिया जाएगा।

कितना मिला?

टॉप से टोटल के तहत किसानों को 500 करोड़ रुपए मिलेंगे।

कब मिलेगा?

पहले यह 6 महीने के पायलट योजना के लिए होगा फिर इसका विस्तार होगा।

कैसे मिलेगा?

कमतर मार्केट से सरप्लस वाले मार्केट में ट्रांसपोर्ट पर 50 प्रतिशत किराए की सब्सिडी और 50 प्रतिशत कोल्ड स्टोरेज में रखने पर सब्सिडी के रूप में यह राशि दी जाएगी।

इसके जरिए किसानों को अच्छी कीमत मिलेगी, फसलों की बर्बादी रुकेगी और इसका सीधा फायदा यह होगा कि उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर उनके प्रोडक्ट मिलेंगे। दरअसल सप्लाई चेन बाधित हो चुकी है और किसान अपने उत्पादों को बाजार में नहीं बेच पा रहे हैं। जल्दी खराब हो जाने वाले फलों का डिस्ट्रेस सेल हो रहा है। कम कीमतों पर फलों औऱ् सब्जियों को किसानो के खेतों से ही संरक्षण दिए जाने की जरूरत पर फोकस दिया गया है।

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