अयोध्या / बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी, नीचे एक मंदिर था: सुप्रीम कोर्ट; फैसले के 10 मुख्य बिंदु

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे प्रतिमाओं का रखा जाना एक गलत और अपवित्र काम था इलाहाबाद हाईकोर्ट का विवादित ढांचे को तीन हिस्सों में बांटकर हर पक्ष को एक-तिहाई हिस्सा देने का फैसला गलत था, यह बंटवारे का केस नहीं था

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नई दिल्ली. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच ने शनिवार को अयोध्या मामले में फैसला सुना दिया। शीर्ष कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। संविधान पीठ ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। ढहाए ढांचे के नीचे एक मंदिर था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 10 मुख्य बिंदु…

5 जजों की बेंच ने एकमत होकर फैसला सुनाया

  1. ‘‘अयोध्या का 2.77 एकड़ में फैला पूरा विवादित स्थल राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया जाना चाहिए।’’
  2. ‘‘केंद्र सरकार मंदिर के निर्माण के लिए तीन महीने में योजना तैयार करे। निर्माण के लिए एक बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज बनाया जाए। ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी प्रतिनिधित्व दिया जाए।’’
  3. ‘‘1992 में बाबरी मस्जिद का ढहाया जाना कानून का उल्लंघन था। सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए।’’
  4. ‘‘1949 में मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे प्रतिमाओं का रखा जाना एक गलत और अपवित्र काम था।’’
  5. ‘‘बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के मुताबिक, ढहाए गए ढांचे के नीचे एक मंदिर था। लेकिन एएसआई यह तथ्य स्थापित नहीं कर पाया कि मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई।’’
  6. ‘‘हिंदुओं का यह मानना कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ, यह निर्विवादित है। हिंदू-मुस्लिमों की आस्था और विश्वास हैं, लेकिन मालिकाना हक को धर्म, आस्था के आधार पर स्थापित नहीं किया जा सकता।’’
  7. ‘‘रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य बताते हैं कि विवादित जमीन का बाहरी हिस्सा हिंदुओं के अधीन था। 1934 में हुए दंगे इशारा करते हैं कि बाद में अंदर के आंगन का मसला गंभीर तकरार का मुद्दा बन गया।’’
  8. ‘‘इसके स्पष्ट साक्ष्य हैं कि हिंदू विवादित ढांचे के बाहरी हिस्से में पूजा करते थे। मुस्लिम पक्ष यह स्थापित नहीं कर पाया कि अंदर के आंगन में उनके पास कब्जे का हक रहा। इस बात के सबूत हैं कि हिंदू विवादित स्थल के प्रांगण में 1857 से ही जा रहे थे।’’
  9. ‘‘इलाहाबाद हाईकोर्ट का विवादित ढांचे को तीन हिस्सों में बांटकर हर पक्ष को एक-तिहाई हिस्सा देने का फैसला गलत था। यह कोई बंटवारे का मुकदमा नहीं था।’’
  10. ‘‘शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे पर था। इसी को खारिज किया गया है। निर्मोही अखाड़े का जन्मभूमि के प्रबंधन दावा भी खारिज किया जाता है।’’
  11. अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, मंदिर का रास्ता साफ
  12.  

    विवादित जमीन पर माना गया रामलला का हक

  13.  

    सुन्नी वक्फ को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन मिलेगी

  14.  

    निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज

  15.  

    पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा-पाठ का अधिकार

  16.  

    तीन महीने में केंद्र सरकार करेगी मंदिर ट्रस्ट का गठन

  17.  

    राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा नया ट्रस्ट

  18.  

    मुस्लिम पक्ष को जमीन देने की जिम्मेदारी योगी सरकार की

  19.  

    आस्था और विश्वास पर नहीं, कानून के आधार पर फैसला

 

  • अदालत का फैसला आने के बाद बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, ‘भारतीय जनता पार्टी रामजन्मभूमि पर देश की उच्चतम न्यायालय द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय का स्वागत करती है. यह किसी की विजय-पराजय नहीं है. देश के सभी नागरिक राष्ट्र को प्रथम मानते हुए, शान्ति और सौहार्द बनाए रखें.’
  • अयोध्या पर फैसले के बाद एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हिंदुस्तान की न्यायपालिका पर हमें अटूट भरोसा है. लेकिन मुसलमान अपने कानूनी हक के लिए लड़ रहे थे. मेरी समझ से हमें पांच एकड़ की जमीन का ऑफर रिजेक्ट कर देना चाहिए.’
  • अयोध्या पर फैसले के बाद एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हिंदुस्तान की न्यायपालिका पर हमें अटूट भरोसा है. लेकिन मुसलमान अपने कानूनी हक के लिए लड़ रहे थे. मेरी समझ से हमें पांच एकड़ की जमीन का ऑफर रिजेक्ट कर देना चाहिए.’
  • अयोध्या पर फैसला आने के बाद योगगुरु रामदेव ने कहा, ‘ये फैसला ऐतिहासिक है. अब अयोध्या में विशाल राम मंदिर बनेगा. मुस्लिम पक्ष को अलग जमीन आवंटित करने के फैसला भी स्वागतयोग्य है. मुझे विश्वास है कि हिंदू भाई मस्जिद निर्माण में भी मदद करेंगे.’
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस फैसले को जय-पराजय की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए. दशकों तक चली निर्णायक प्रक्रिया के बाद ये फैसला आया है. जिन्होंने इसे एक आंदोलन के रूप में योगदान दिया. उसके लिए उनका धन्यवाद.

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रामजन्म भूमि (Ram janam bhoomi) और बाबारी मस्जिद (Babri Masjid) विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का फैसला आ चुका है. फैसले का सभी पक्षों ने सम्मान किया है. कोर्ट ने एक तारीखी फैसला सुनाया है. अब किसी भी तरह की कोई गुंजाईश नहीं रह जाती है. फैसला आने के बाद से अब हालात अच्छे हुए हैं. ये कहना है मुस्लिम स्कॉलर और मिर्जा गालिब रिसर्च एकेडेमी के डॉयरेक्टर डॉ. सैय्यद इख्तियार जाफरी का.

अधिग्रहित ज़मीन का टुकड़ा भी दिया जा सकता था

डॉ. सैय्यद इख्तियार जाफरी का कहना है, सुप्रीम कोर्ट ने अपने तारीखी फैसले से सभी को संतुष्ट करने की कोशिश की है. कोर्ट का ये फैसला बताता है कि उस पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं था. हालांकि हो तो ये भी सकता था कि विवादित जगह के पास जो 67 एकड़अधिग्रिहित ज़मीन है उसमे से मस्जिद के लिए जगह दे दी जाती.

उनका कहना है कि दूसरा ये कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो या फिर सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड, दोनों ही लोगों ने अपनी तरह से पूरी मजबूती के साथ पक्ष को रखा है. हालांकि वे ये भी ध्यान रखने को कहते हैं कि कुछ शरारती तत्व अब मथुरा और काशी का मुद्दा न उठाने लगें.

फिर से अदालत जाने की जरूरत नहीं

डॉक्टर जाफरी का ये भी कहना है कि इस फैसले का देश की बहुत सी दूसरे मामलों पर गहरे असर पड़ेगे. उन्होंने कहा कि इस फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा इस फैसले के विरुद्ध अदालत में दुबारा जाने की जरूरत नहीं लगती. साथ ही ये भी कहा कि इस फैसले को व्यापक स्तर पर स्वीकार किया जाएगा. किसी भी हिस्से से इसके विरोध का कोई अंदेशा नहीं है.

उनका कहना है कि सभी को इसका ध्यान रखना चाहिए कि इस फैसले के बाद अब मथुरा और वाराणसी के मसलों को लेकर किसी तरह की लामबंदी करने वाले अपने मंसूबों में सफल न हो सकें.

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