स्मार्ट वोटर कार्ड बनाने के नाम पर बठिंडा में फैला हुआ है जालसाजों का मक्कड़जाल, दोस्तों व परिजनों से ही मारी लाखों की ठगी

इसमें दो किस्तों में उसने आरोपी व्यक्ति को राशि का भुगतान किया जिसमें पहली किश्त में डेढ़ लाख व अगली किश्त में साढ़े तीन लाख रुपए का भुगतान किया गया। इसमें करीब डेढ़ साल का समय बीत जाने के बावजूद न तो उक्त व्यक्ति ने उन्हें स्मार्ट वोटर कार्ड का काम दिलवाया और न ही ली गई राशि वापिस की है। उक्त लोगों ने इसी तरह दर्जनों लोगों ने सालसाजी कर पैसे हड़प कर लिए।

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बठिंडा. साल 2019 में पंजाब व हरियाणा के कई जिलों में नए वोटर स्मार्ट कार्ड बनाने का ठेका देने के नाम पर करोड़ों की ठगी मारने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस ने जांच तेज कर दी है। इस मामले में कई राजनीतिक दलों के नेताओं से लेकर स्थानीय व्यापारी शामिल है जिन्होंने लोगों को स्मार्ट वोटर कार्ड बनाने का काम दिलवाने के नाम पर दो लाख से लेकर दो करोड़ रुपए तक की ठगी मारी। इस गौरखधंधे में कई लोगों ने तो अपने नजदीकी दोस्तों व परिजनों को काम के नाम पर गुमराह कर जालसाजी की।

उसे लेकर पुलिस के पास दर्जनों लोगों ने लिखित शिकायत दर्ज करवाई है वही पुलिस की तरफ से मामले में कारर्वाई करने के बाद कई अन्य लोग भी अब आरोपी लोगों पर जालसाजी व धोखाधड़ी की धाराओं के तहत केस दर्ज करवा रहे हैं। बठिंडा के सुरखपीर रोड वासी हरीश कुमार ने बताया कि विशाल नगर वासी एक व्यापारी ने डेढ़ साल पहले उसे हरियाणा के सिरसा व आसपास के जिलों में वोटर स्मार्ट कार्ड का काम दिलवाने के नाम पर पांच लाख रुपए वसूल किए थे।

इसमें दो किस्तों में उसने आरोपी व्यक्ति को राशि का भुगतान किया जिसमें पहली किश्त में डेढ़ लाख व अगली किश्त में साढ़े तीन लाख रुपए का भुगतान किया गया। इसमें करीब डेढ़ साल का समय बीत जाने के बावजूद न तो उक्त व्यक्ति ने उन्हें स्मार्ट वोटर कार्ड का काम दिलवाया और न ही ली गई राशि वापिस की है। उक्त लोगों ने इसी तरह दर्जनों लोगों ने सालसाजी कर पैसे हड़प कर लिए।

वही इसी तरह का एक मामला पिछले दिनों बठिंडा पुलिस ने दर्ज किया था। इसमें अदालत का डाटा एंट्री का काम करने व स्मार्ट वोटर कार्ड का ठेका देने के नाम पर करोड़ों रुपयों का एग्रीमेंट करने व काम करवाने के बाद शिकायतकर्ता की बनती रकम हड़पने के आरोप में थाना सिविल लाइंस बठिंडा में पठानकोट की फर्म एचजीआई एसोसिएट्स के पार्टनर खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।

अमनदीप मित्तल वासी भुच्चो मंडी ने एसएसपी बठिंडा को दर्ज कराई शिकायत में बताया कि आरोपी विशाल हांडा, उसका पिता नरेश हांडा तथा पत्नी नीताशा हांडा वासी पठानकोट ने मिलकर एचजीआई एसोसिएट्स नामक फर्म बना रखी है जिसमें विशाल हांडा पार्टनर है, उक्त कंपनी अदालत का डॉटा एंट्री रिकार्ड ऑनलाइन करने का काम करती हैं।

उक्त कंपनी ने मैसर्स सन्नइंफ्रा स्ट्रक्चर मॉडल टाउन बठिंडा जिसके मालिक चंदरकांत जिंदल वासी बठिंडा हैं तथा मैसर्स बालाजी मैनेजमेंट सर्विस भुच्चो मंडी जिला बठिंडा जिसका मालिक अमनदीप मित्तल है नामक फर्मों को साल 2019 में स्मार्ट वोटर कार्ड बनाने तथा अदालत का डाटा ऑनलाइन करने का ठेका दिया था।

इस संबंध में आरोपी ने दोनों फर्मों के साथ इकरारनामा किया था। उक्त काम लेने के लिए उनकी दोनों फर्मों ने विशाल हांडा की फर्म तथा उसे 1 करोड़ 87 लाख रुपए बैंक द्वारा ट्रांस्फर किए।

इसके अलावा 1 लाख 39 हजार रुपए नगद रकम विजे कुमार एम.सी. मौड़ तथा उसके मुलाजिम मनीश के सामने दिये थे। एग्रीमेंट होने के बाद उन्होंने करनाल अदालत का डाटा एंट्री का काम शुरु कर दिया तथा 10 लाख 55 हजार 696 पेपर की एंट्री की जिसकी इकरारनामे मुताबिक रकम करीब 84 लाख 45 हजार 568 रुपए बनती है, लेकिन आरोपी फर्म ने उन्हें अब तक केवल 1 लाख रुपए का चैक ही दिया तथा भरोसा दिलाया कि उक्त चैक लगाने के बाद रकम मिल जाएगी।

लेकिन जब उन्होंने उक्त चैक बैंक में लगाया तो आरोपी के खाते में पैसे ना होने कारण चैक बाउंस  हो गया। जब अमनदीप सिंह ने इस संबंध में आरोपी विशाल हांडा से बात कर अपने पैसे मांगे तो वो टालमटोल करने लगा तथा कहने लगा उसने जो ठगी मारनी थी मार ली, आपको जो करना है कर लो।

 

इसी तरह के मामलों में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बठिंडा के नेता अमित रतन को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से कुछ दिन पहले निकाल दियाथा। यह कार्रवाई उनके खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं से ठगी मारने के गंभीर आरोप के बाद की गई है। दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि कुछ वर्करों ने यह शिकायतें दी थी कि अमित रतन ने डाटा इंट्री के साथ वोटर स्मार्ट कार्ड बनाने के बिजनेस देने के अवसर के नाम पर उनके साथ ठगी की है।

यह शिकायतें मिलने के बाद पार्टी अध्यक्ष ने पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका पूर्व विधायक जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू एवं सरूप चंद सिंगला की एक कमेटी गठित की और जांचकर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंपी। रिपोर्ट में कमेटी ने रतन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश की। इसके बाद अध्यक्ष ने उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निकाला है।

 

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