संगरूर/ 109 घंटे बाद बोरवेल से निकल जिंदगी की जंग हार गया 3 साल का फतेहवीर

पंजाब के संगरूर में 125 फीट गहरे बोरवेल में गिरे जिस 3 साल के फतेहवीर सिंह को निकाला गया था उसने दम तोड़ दिया है., 5वें दिन जागे सीएम; सभी डीसी से 24 घंटे में बोरवेल की मांगी रिपोर्ट, प्रशासन के पास डाटा ही नहीं लोग बोले- फतेहवीर को निकालने में देरी के लिए प्रशासन जिम्मेदार

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सुनाम. पंजाब के संगरूर में 125 फीट गहरे बोरवेल में गिरे जिस 3 साल के फतेहवीर सिंह को निकाला गया था उसने दम तोड़ दिया है. फतेहवीर को सुबह करीब 5:12 बजे बोरवेल में से निकाला गया था, जिसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया. लेकिन वहां पर उसने दम तोड़ दिया और ज़िंदगी की जंग हार गया. जब उसे अस्पताल पहुंचाया गया था तब बच्चे के शरीर पर सूजन बताई जा रही थी. बच्चे को बचाने के लिए एनडीआरएफ, पुलिस द्वारा पिछले 109 घंटे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था. बच्चे का नाम फतेहवीर सिंह था, जो गुरुवार शाम करीब चार बचे खेलते समय बोरवेल में गिर गया था. फतेहवीर सिंह के बोरवेल में फंसे होने की सूचना मिलने के बाद से ही एनडीआरएफ की टीम ने बचाव कार्य शुरू कर दिया था. बच्चे को आज बोरवेल के समानांतर खोदी गई टनल की मदद से बाहर निकाला गया है. फतेहवीर के बाहर आते ही उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया और उस वक्त भी बच्चे की हालात नाजुक थी. बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ा दी गई थी. इसके अलावा बच्चे पर नजर रखने के लिए एक कैमरा भी लगाया गया था. बचाव दल में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के 26 सदस्य थे. घटनास्थल पर चौबीसों घंटे डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस तैनात थे. घटना के लगभग 40 घंटे बाद शनिवार सुबह पांच बजे उसके शरीर में हलचल देखी गई. बच्चा 10 जून को 3 साल का हो गया था. फतेहवीर सिंह के माता और परिवार के सदस्यों ने ख्वाजा पीर के दर पर माथा टेका था और उसके सुरक्षित बाहर आने की दुआ मांगी थी. आसपास के इलाके के हजारों लोग और प्रशासन फतेहवीर की जान को बचाने में पूरी ताकत से जुटे थे. भीषण गर्मी भी इन लोगों का हौसला नहीं डिगा सकी.

खास बात यह है कि सुरंग की दिशा गलत होने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। 21 मार्च 2019 को हिसार के बलसामंड गांव में डेढ़ साल का बच्चा 70 फीट गहरे बाेरवेल में गिर गया था। एनडीआरएफ ने सेना की मदद से चलाए रेस्क्यू ऑपरेशन में बच्चे काे 48 घंटे बाद सुरक्षित निकाल लिया था। एनडीआरएफ और सेना के जाॅइंट ऑपरेशन के दौरान सुनाम के गांव भगवानपुरा जैसी ही गलती हुई थी।

सुरंग की दिशा गलत होने के कारण दाे बार ऑपरेशन राेकना पड़ा था। बाद में सेना की टीम ने डिजिटल ट्रैकर यंत्र का इस्तेमाल कर बच्चे के फंसे हाेने की सटीक जानकारी हासिल कर बच्चे काे सुरक्षित निकाल लिया था। सेना अगर पहले एक्टिव होती तो ताे समय की बर्बादी न होती।

सीएम ने सभी डीसी से 24 घंटे में इस बात की रिपोर्ट मांगी थी कि कहां-कितने बोरवेल खुले हैं

उधर, सीएम ने सभी डीसी से 24 घंटे में इस बात की रिपोर्ट मांगी थी कि कहां-कितने बोरवेल खुले हैं। खुले बोरवेल तत्काल भरे जाएं। गुरदासपुर और बरनाला के डीसी ने कहा कि फिलहाल हमारे पास बोरवेल का डाटा नहीं है। मंगलवार तक डाटा जुटा लेंगे। वहीं, पटियाला में डीसी बोले, सभी डिपार्टमेंट मंगलवार को रिपोर्ट देंगे कि कोई खुला बोरवेल नहीं हैं और अगर कोई था तो उसे बंद कर दिया है।

लोगों में आक्रोश कहा -मिशन फौज को दो

भगवानपुरा गांव के बोरवेल में गिरे फतेहवीर को निकालने में हो रही देरी पर लोगों में आक्रोश है। लोगों की मांग है कि ऑपरेशन की कमान तत्काल सेना के हवाले कर देनी चाहिए। बोरवेल स्थल पर 5 दिनों से जुटे सैकड़ों लोगों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रशासन ने फतेहवीर के दादा रोही सिंह से लोगों को शांत रहने की अपील करवाई तो लोग भड़क गए। इसके बाद लोगों ने सुलरघराट में संगरूर-दिल्ली नेशनल हाईवे, सुनाम में आईटीआई चौक, शेरों कैचियां में सुनाम-बठिंडा मुख्य मार्ग, चीमा के पास सुनाम-चीमा रोड और गांव भगवानपुरा को जाने वाले रास्तों को जाम कर दिया। वहीं, रात करीब 10:30 बजे लोग आपा खो बैठे और नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने उनको खदेड़ दिया। रात्रि 11 बजे लोहे का एक सांचा लेकर एनडीआरएफ जवान नीचे उतरा।

ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स के हजारों की गिनती में पहुंचे सेवादारों का सहयोग काबिले तारिफ

100 घंटे रैस्क्यू आपरेशन के बीच डेरा सच्चा सौदा की ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स के हजारों की गिनती में पहुंचे सेवादारों का सहयोग काबिले तारिफ रहा। दिन रात टनल व सुरंग की खुदाई से लेकर लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं। जसपाल सिंह, गुरजीत सिंह, संदीप खुराना व जग्गा सिंह ने खोदाई में लगातार कार्य किया। लोगों की जुबान पर भी उनके इस सेवा के चर्चे पूरे आपरेशन के दौरान रहे। वहीं एसजीपीसी की ओर से मौके पर लंगर का प्रबंध किया गया है। डेरा प्रेमी व सिख संगत बिना किसी भेदभाव के एक दूसरे को लंगर, पानी, ठंडा पानी, चाय बरताने की सेवा में जुटी रहती है। टनल की खुटाई, मिट्टी को बाहर निकालने, रस्सा खिचने से लेकर हर कार्य में एनडीआरएफ व सेना की टुकड़ी के साथ मिलकर डेरा प्रेमियों ने प्रशंसनीय कार्य किया है। डेरा प्रेमियों का कहना है कि वह मासूम बच्चे की जान बचाने की खातिर सेवा कर रहे हैं, ताकि परिवार को गोद को सूना होने से बचाकर उनकी गोद को फिर से खुशियों से भर सकें। मानवता की सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है।

शाम को बांटा खुशी की आस में मीठे चावलों का लंगर

बेशक जन्मदिन पर फतेहवीर सिंह जीवन की जंग लड़ रहा है, लेकिन फिर भी ग्रामीणों ने रेस्क्यू आपरेशन स्थल पर खुशी में मीठे चावलों का लंगर बांटा व परमात्मा से अरदास की कि फतेहवीर सिंह सही सलामत बोरवेल से बाहर निकाले, ताकि उसके परिवार को खुशियां मिल सकें। लंगर का प्रबंध करने वाले बाबा जीवन सिंह ने कहा कि परमात्मा से अरदास करके ही फतेहवीर सिंह को जीवन दान दिलाया जा सकता है। हर व्यक्ति को अरदास व प्रार्थना करना चाहिए। रोष जाहिर कर रहे लोगों से उन्होंने अपील की कि वह रोष जाहिर करने की बजाए, परमात्मा से बच्चे की सलामती की फरियाद करें। रोष से नहीं बल्कि प्रार्थना से ही फतेहवीर को नया जन्म मिलेगा।

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