‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ मूवी रिव्यूः आयुष्मान खुराना का एक और मास्टर स्ट्रोक

आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurana) अपनी ही स्टाइल में फिर से एक नए विषय पर जबर्दस्त फिल्म लेकर आए हैं. 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान (Shubh Mangal Zyada Saavdhan)' में दूसरे कलाकारों ने भी जबर्दस्त अभिनय किया है. कास्ट : आयुष्मान खुराना, जितेंद्र कुमार, गजराज राव, नीना गुप्ता, मनु ऋषि डायरेक्टर : हितेश केवल्या संगीत: तनिष्क बागची और करण कुलकर्णी शैली : ड्रामा/रोमांस पर्दे पर : 21 फरवरी, 2020

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मुंबई. ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ के एक सीन में आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurana) का किरदार कार्तिक अपने बॉयफ्रेंड के होमोफोबिक पिता से कहता आगे लोगों की जिंदगी में हर रोज चुनौतियों और लड़ाई का सामना करना होता है, ले‌किन एक भी लड़ाई आपके परिवारों में जिस तरह की लड़ाइयां होती हैं उनसे ज्यादा बुरी नहीं होती. असल में ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ के केंद्र में समलैंगिक रिश्तों की मर्यादा को रखा गया है. पूरी फिल्म बिना ‌किसी गलती के संमलैंगिक रिश्तों को बयां करती है.

असल में जब फिल्म की शुरुआत होती है तो का‌र्तिक और उसका दोस्त अमन (जितेंद्र कुमार/Jitendra Kumar) पहले से ही दिल्ली में रिलेशिप में आ चुके होते हैं. बस अमन ने अपने परिवार को इस बारे में नहीं बताया होता है. फिल्म में रोमांच तब बढ़ता है जब अमन अपने परिवार को इस बारे में बताने के लिए इलाहाबाद लौटता है.

वहां उसके वैज्ञानिक पिता (गजराज राव/Gajraj Rao) और सीधा बात करने वाली मां (Neena Gupta/नीना गुप्ता) फिल्म को एक नया आयाम दे देते हैं. जब अमन अपने माता-पिता के पास अपने रिश्ते के बारे में बताने आता है तो वो डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और उनके हाइपोथैलेमस के बारे में बताता है. असल में वो अपने माता-पिता को पूरी तरह से रसायन शास्‍त्र की भाषा में अपनी फीलिंग्स को बताता है.

चाहे अपने प्यार का इजहार रासायनिक भाषा में करना या इस तरह के कई दृश्य ऑडिएंस को हंसा सकते हैं. लेकिन लेखक-निर्देशक हितेश केवल्या ने अब तक बॉलीवुड में गे किरदारों पर हंसने वाली जो छवि थी उसे बहुत बारीकी से तोड़ा है. इस फिल्म में कोई ऐसी एक झलक नहीं है जो आमतौर पर बॉलीवुड गे किरदारों के साथ किया करता है.

असल में ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ होमोसेक्‍सुअलिटी से ज्यादा होमोफोबिया के बारे में है. यह किसी गे के भीतर होने वाले बदलावों से ज्यादा किसी गे होने के बाद परिवार और समाज में क्या परिवर्तन आता है ज्यादा इस बात गौर करती है. इसके बाद भी जिस तरह से आयुष्मान खुराना नाक में नथनी पहनते हैं और उनके प्यार के इजहार फिल्म को अनोखा बनाते हैं.

आपको याद हो तो साल 2017 में भी ‘शुभ मंगल सावधान’ ने एक अलग विषय को पर्दे पर उकेरा था. तब फिल्म ने उम्र चढ़ने के बाद शादी होने वाले लोगों की जिंदगी में होने वाली समस्याओं को बखूबी पर्दे पर दिखाया था. लेकिन बार फिल्म पिछली फिल्म से कतई कमजोर नहीं है. फिल्म में गजराज राव के किरदार शंकर त्रिपाठी और उनके भाई चमन (मनु ऋषि) शुरुआत में काफी हंसाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है उनके किरदारों का मिजाज भी बदल जाता है.

फिल्म के एक हिस्से में काला जादू और अपने बच्चों में ऐसी फीलिंग्स देखने के बाद आज भी माता-पिता के अंधविश्वास को लेकर गहरा कमेंट है. अमन के लिए त्रिपाठी पारिवार फिल्म में एक पूजा कराता है. ये भी फिल्म का अहम हिस्सा है. इसके अलावा फिल्म ज्यादा हिस्सा अमन और कार्त‌िक के रिश्ते के बारे में दिखाने के अमर के परिवार में होने वाली कलह पर है. हालांकि इसमें भी कलाकार भरपूर मनोरंजन उकेरते हैं.

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