नई दिल्ली. बैंकों और बीमा कंपनियों में बिना दावे वाली रकम (अनक्लेम्ड डिपॉजिट) 32,455 करोड़ रुपए पहुंच गई है। बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट में पिछले साल 26.8% इजाफा हुआ। यह राशि 14,578 करोड़ रुपए पहुंच गई। सितंबर 2018 तक लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में बिना दावे वाली राशि 16,887.66 करोड़ रुपए जबकि नॉन-लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में 989.62 करोड़ रुपए थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।
दावेदार मिलने पर ब्याज के साथ भुगतान किया जाता है
- सीतारमण ने बताया कि बैंकिंग सिस्टम में 2017 में बिना दावे वाली रकम 11,494 करोड़ रुपए और 2016 में 8,928 करोड़ रुपए थी। 2018 के आखिर तक एसबीआई में अनक्लेम्ड डिपॉजिट अमाउंट बढ़कर 2,156.33 करोड़ रुपए पहुंच गया।
- सीतारमण ने बताया कि बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स को देखते हुए 2014 में आरबीआई ने डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ) स्कीम शुरू की थी। इसके तहत 10 साल या ज्यादा समय से निष्क्रिय पड़े सभी अनक्लेम्ड खातों में जमा राशि या वह रकम जिस पर 10 साल से किसी ने दावा नहीं किया है उसकी ब्याज के साथ गणना कर डीईएएफ में डाल दी जाती है।
कोई ग्राहक कभी दावा करता है तो बैंक ब्याज के साथ उसे भुगतान कर देते हैं और फिर डीईएएफ से रिफंड का दावा करते हैं। सीतारमण ने बताया कि डीईएएफ में ट्रांसफर राशि पर पहले 4% ब्याज दिया जाता था। एक जुलाई 2018 से इसे 3.5% कर दिया गया। डीईएएफ की राशि का उपयोग जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देने और ऐसे ही दूसरे उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- इंश्योरेंस सेक्टर की सरकारी कंपनियों की अनक्लेम्ड राशि हर साल 1 मार्च को या इससे पहले सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड (एससीडब्ल्यूएफ) में ट्रांसफर करनी होती है। एससीडब्ल्यूएफ का इस्तेमाल सीनियर सिटीजन के लिए कल्याणकारी योजनाओं में किया जाता है। ग्राहक कभी दावा करता है तो इंश्योरेंस कंपनियों को भुगतान करना होता है।