बठिंडा. कोराना वायरस के दौरान जहां बच्चों को मोबाइल फोन के माध्यम से विभिन्न ग्रुपों के माध्यम से आनलाइन शिक्षा दी जा रही है व बच्चे घर बैठकर ही शिक्षा हासिल कर रहे हैं वही इसके नुकसान भी सामेन आ रहे हैं। पहले जहां अभिभावकों की तरफ से आंखों में जोर पड़ने से रोशनी कम होने की शिकायते मिल रही थी। वही अब आनलाइन ग्रुपों में अश्लील विडियों व फोटो भेजने जैसे संगीन मामले भी सामने आने लगे हैं जिसने बच्चों के साथ उनके अभिभावकों व टीचर्ज की चिंता बढ़ा दी है।
सदर बठिंडा पुलिस के पास सरकारी स्कूल के प्रबंधकों की तरफ से इसी तरह की एक शिकायत दर्ज करवाई गई है। इसमें कहा गया है कि बच्चों के स्ट्डी ग्रुप में अश्लील विडियो वायरल की गई जिसे ग्रुप में शामिल सैकड़ों बच्चों के मोबाइल में पहुंचा दिया गया। उक्त मामला सामने आने के बाद अभिभावकों ने जहां स्कूल प्रबंधकों के पास शिकायत कर मामले में चिंता जताई वही अब स्कूल प्रबंधकों के लिए इस तरह के मामले चिंता का कारण बन रहे हैं। सदर बठिंडा पुलिस के पास निशा अरोड़ा इंचार्ज सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कोटसमीर ने शिकायत दी कि वह स्कूल में आठवीं कक्षा की इंचार्ज है।
गत दिवस कक्षा के बच्चों की स्ट्डी के लिए बने वट्सएप ग्रुप में कर्मजीत सिंह वासी कोटसमीर ने एक अश्लील विडियों डालकर वायरल कर दी। इसके बाद बच्चों के अभिभावकों ने उनके पास मामले की शिकायत की तो मामला सही पाया गया। मामले की गंभीरता को देखते जहां शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी वही सदर बठिंडा पुलिस ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज कर आरोपी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए प्रयास शुरू कर दिए है।
ऑनलाइन शिक्षण का स्वरूप
देश में अभी पिछले 40 दिनों में ऑनलाइन शिक्षण का जो स्वरूप उभर कर समाने आया है उसमें अधिकांशत: सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय जो ऑनलाइन शिक्षण चला रहे हैं, वह टाइम टेबल के उसी स्वरूप को अपना रहे हैं जो वह कक्षाओं में चला रहे थे। ऐसे में समस्या यह खड़ी होती है कि क्या विद्यार्थी और शिक्षक कुर्सी से चिपके हुए सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक कक्षायें चला सकते हैं? इसके कई दुष्प्रभाव भी हैं। सामान्यत: यह संभव नहीं है। फिर भी शिक्षकों और विद्यार्थियों पर यह थोपा जाना एक बड़ी समस्या है। ऑनलाइन शिक्षण को सामान्यत: रेगुलर कक्षाओं की तरह नहीं चलाया जा सकता।
तकनीकी की लत और दुष्प्रभाव
अभी वर्तमान में ऑनलाइन कक्षायें सामान्यत: चार से पांच घंटें तक चलाई जा रही हैं। उसके बाद शिक्षार्थी को गृहकार्य के नाम पर एसाइनमेंट और प्रोजेक्ट दिए जा रहे हैं। जिसका औसत यदि देखा जाये तो एक विद्यार्थी और शिक्षक दोनों लगभग आठ से नौ घंटे ऑनलाइन व्यतीत कर रहे हैं। जोकि उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति के लिए घातक है। छोटे बच्चों के लिए और भी अधिक नुकसानदेह है। कई अभिभावकों ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बताया कि उनके बच्चों की आंखों में समस्यायें पैदा रही है। इसके अलावा तकनीकी का बहुतायत उपयोग अवसाद, दुश्चिंता, अकेलापन आदि की समस्यायें भी पैदा करता है। इन समस्याओं से बचने के लिए प्रभावी चिंतन की आवश्यकता है, जिससे इनसे देश के भविष्य को बचाया जा सके।
बहरहाल सवाल अब भी वहीं खड़ा है कि क्या ऑनलाइन शिक्षा एक प्रभावी शिक्षा प्रणाली हो सकती है, जो गुरू—शिष्य की आमने सामने पढ़ाई का विकल्प बने? अभी तक तो ऐसा नहीं दिखता। सरकार और शिक्षा जगत के लोग इसको बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन भारत जैसे बड़े देश में ऑनलाइन शिक्षा में आने वाली बाधाओं से पार पाना अभी दूर की कौड़ी नज़र आ रहा है। परीक्षाओं और तकनीकी विषयों की प्रयोगात्मक परीक्षायें आदि को ऑनलाइन कराने का सवाल अभी भी जस का तस खड़ा है। हाल ही में जारी यूजीसी की गाइड लाइन ने भी पेन—कॉपी वाले एग्जाम की ही वकालत की है। ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ाव की भारत में प्रबल संभावनायें हैं, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। जब तक चुनौतियों का बेहतर आंकलन नहीं किया जायेगा तब तक अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं किए जा सकते।
आनलाइन सोशल मीडिया के जरिए ठगी के मामले भी आ रहे सामने
कोरोना काल में सोशल मीडिया के जरिए ठगी के नए-नए मामले सामने आ रहे है। अगर आप भी सोशल मीडिय़ा का अधिक प्रयोग करते है तो संभल जाइए। सोशल मीडिया पर दोस्ती कर अश्लील वीडियों व फोटो बनाकर ठगी का गिरोह सक्रिय हो रहा है। जिसमें पुरूष ही नहीं युवतियां भी पुरुषों को फंसाकर ऑनलाइन अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठ रही है। पिछले एक हफ्ते में ऐसे 15 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। कुछ महिलाओं व पुरूषों ने समाज में बेइज्जती के डऱ के कारण पुलिस को रिपोर्ट नहीं दी है। गिरोह के शातिर लोग सोशल मीडिया से फोन नंबर लेकर वाट्स एप पर मैसेज करते है। दो-तीन तक मैसेज भेज कर दोस्ती कर लेते है। दोस्ती होने के बाद वे कॉल करने लग जाते है। बाद में दोस्ती बढ़ाकर उनके अश्लील वीडिय़ों व फोटो बना लेते है। तब ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठने लग जाते है। जब तक उन्हें आराम से रुपए मिलते है तब तक ब्लैकमेल करते रहते है। वहीं पीडि़त भी छोटी डिमांड होने तक चुपचाप आराम से रुपए देते रहते है। बाद में रुपयों की डिमांड बढऩे पर पुलिस के पास मुकदमा दर्ज कराते है। लॉकडाउन के दौरान फेसबुक से फोटो लेकर नई आईडी बनाकर लोगों से जरूरत के नाम पर पैसे लेकर ठगी के मामले सामने आए थे।
केस-1. विवाहिता के वॉट्सएप पर कॉल कर स्क्रीन शॉट ले लिए
दादिया थाने में विवाहिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि हरियाणा के कैथल जिले के एक युवक ने सोशल मीडिय़ा से विवाहिता के नंबर निकाले। उसे मैसेज करने लग गया। उसके व्हाट्सएप नंबरों पर भी मैसेज भेजने लग गया। दोस्ती होने पर उसे वीडिय़ों कॉल करने लग गया। उसके अश्लील फोटो बना लिए। इसके बाद अश्लील फोटो दिखाकर ब्लैकमेल करने लग गया। फोटो वायरल करने की धमकी देने लग गया। डऱ के कारण विवाहिता ने 5000, 1500,500, 2000, 32000 रुपए गूगल पे के खाते से ट्रांसफर कर दिए। अब वह फेसबुक पर फोटो वायरल करने की धमकी देकर रुपए मांग रहा है। विवाहिता ने परेशान होकर परिजनों को पूरी बात कहीं और मामला दर्ज कराया।
केस-2. शिक्षक के अश्लील वीडियों बनाकर किया ब्लैकमेल
उद्योगनगर थाने में शिक्षक ने अश्लील वीडियों बनाकर ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज कराया था। शिक्षक ने पुलिस को बताया कि उसके पास एक युवती के नाम से फेसबुक पर फ्रेड रिक्वेस्ट आई थी। युवती ने मैसेज कर उससे वाटसएप नंबर ले लिए। इसके बाद वह मैसेज भेजने लग गई। दोनों की वाटसएप पर चैटिंग होने लग गई। रात को करीब 11 बजे युवती ने वीडियों कॉल किए। वीडियों कॉल के दौरान वह अश्लील बातें करने लगी और कपड़े उतारने लग गई। उसने शिक्षक को भी कपड़े उतारने के लिए कहा। शिक्षक ने भी अपने कपड़े उतार दिए। तब युवती ने शिक्षक की वीडियों बना ली और फोटो ले लिए। बाद में वह वीडियों को वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने लग गई। युवती ने 50 हजार रुपए मांगे। तब शिक्षक ने मुकदमा दर्ज कराया।
बड़े गिरोह अलग-अलग नंबरों से कर रहे ठगी
जांच में सामने आया है कि कई बड़े गिरोह अलग-अलग मोबाइल नंबरों से ब्लैकमेल कर ठगी की वारदातें कर रहे है। पहले ये पीडि़त से परिवार की पूरी जानकारी ले लेते है। इसके बाद ही ब्लैकमेल करने लगते है। बाद में मोबाइल नंबर को बंद कर देते है। नंबर बंद होने पर पुलिस को जांच में काफी समस्या आती है। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस इन नंबरों की कॉल डिटेल व पता लेकर जांच में जुटी है। फिलहाल पुलिस के पास संसाधानों की कमी होने के कारण ऐसे बड़े गिरोह ठगी के बाद आसानी से बच निकल जाते है।
सुझाव : सोशल मीडिय़ा पर नहीं रखें मोबाइल नंबर
दादिया थानाधिकारी ब्रिजेश सिंह ने बताया कि सोशल मीडिय़ा के जरिए लोगों को ब्लैकमेल कर रुपयों की ठगी की जा रही है। लोग सोशल मीडिय़ा का सावधानी से प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि फेसबुक पर अपना नंबर से सेव नहीं करें। साथ ही अपनी प्रोफाइल को लॉक करके रखें। इससे फोटो कॉपी नहीं होती है। प्रोफाइल को इनसिक्योर ऑप्शन पर ही रखना चाहिए। नए नंबरों से फोन आने पर खुद की जानकारी नहीं दें। साथ ही नए लोगों की फ्रेंड रिक्वेक्ट स्वीकार नहीं करें। इससे हम ठगी होने से बच सकते है।