बठिंडा . मालवा में फर्जी अंगहीन सार्टिफिकेट, जाली डोप टेस्ट रिपोर्ट तैयार करने के साथ एमएलआर रिपोर्ट में पैसे लेकर हेरफेर करने वाले सेहत विभाग के तीन कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। गिरफ्तार किए लोगों में सिविल अस्पताल मानसा में तैनात विजय कुमार लैब टैक्निशियन, दर्शन सिंह फार्मासिस्ट व तजिंदरपाल शर्मा एफएलओ शामिल है।
एसपी विजिलेंस ब्यूरों परमजीत सिंह विर्क ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि मालवा में सेहत विभाग के माध्यम से फर्जी अंगहीन सार्टिफिकेट जारी करने, डोप टेस्ट की जाली रिपोर्ट देने व घायल लोगों के एमएलआर रिपोर्ट बनाने का काम करते हैं। जांच के दौरान पता चला कि उक्त लोगों के संबंध विभिन्न प्राइवेट अस्पतालों के मालिक, डाक्टर व सरकारी डाक्टर से थे। जो मरीज सिविल अस्पताल मानसा में उपचार के लिए आते थे उनमें कुछ मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए रैफर कर दिया जाता था व इसकी एवज में प्राइवेट अस्पतालों के मालिकों से मोटी राशि रिश्वत के तौर पर वसूल कर आपस में वितरित कर लेते थे।
इसमें कुछ चेहते डाक्टरों के साथ मिलकर आयुष्माण भारत जन स्वास्थ्य योजना के तहत जो मरीजों के केस सिविल अस्पताल मानसा से प्राइवेट अस्पताल को इलाज के लिए रैफर करते थे उनके केस में भी बड़े स्तर पर रिश्वत हासिल की जाती थी। सिविल अस्पताल मानसा में डोप टैस्ट करवाने के लिए आए व्यक्ति से पैसे वसूल कर उनकी रिपोर्ट को पोजटिव आने पर भी नेगटिव करार देकर रिपोर्ट तैयार री जाती थी। इसके बदले संबंधित व्यक्ति से 10 हजार रुपए की वसूली की जाती थी। इस तरह से नशा करने वाले लोगों को भी असला लाइसेंस मिल जाता था। वही पंजाब पुलिस के साथ सरकारी कर्मचारियों को डोप टेस्ट के माध्यम से फायदा दिया जाता था। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि सिविल अस्पताल में मारपीट के केस में भी पैसे लेकर लोगों की एमएलआर रिपोर्ट में भी फेरबदल किया जाता था। इसमें व्यक्ति को लगी चोट को गंभीर या फिर कमतर करने के बदले में मोटी राशि वसूल की जाती थी। फिलहाल विजिलेंस विभाग ने तीनों आरोपियों का रिमांड हासिल कर उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। इसमें मालवा में जाली डोप टेस्ट होने का बड़े स्तर पर खुलासा होने के साथ आसपास के जिलों में इन लोगों के जुड़े तार का भी खुलासा किया जाएगा।