तीन तलाक / विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में नया बिल पेश, सरकार ने कहा- जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना
नया विधेयक फरवरी में तीन तलाक को लेकर पेश हुए अध्यादेश का स्थान लेगा फरवरी में लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया ऐसे विधेयक जो लोकसभा में पेश किए जाते हैं और राज्यसभा में लंबित रहते हैं, वे लोकसभा भंग होने पर स्वत: समाप्त हो जाते हैं
नई दिल्ली.तीन तलाक पर प्रतिबंध के लिए केंद्रीयमंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को हंगामे के बीचनया विधेयक लोकसभा में पेश किया। विपक्ष ने बिल पेश करने का विरोध किया, इसके बाद वोटिंग कराई गई। कांग्रेस नेता शशि थरूर और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध किया। थरूर ने कहा कि तीन तलाक बिल मुस्लिम परिवारों के खिलाफ है। हम इस बिल का समर्थन नहीं करते। एक समुदाय के बजाय सभी के लिए कानून बनाना चाहिए। विधेयक पर सोमवार को चर्चा होगी।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में बिल पास हुआ था। राज्यसभा में बिल पेंडिंग था लेकिन लोकसभा भंग होने के चलते बिल खत्म हो गया। लिहाजा नया बिल लेकर आए। नए बिल में सुधार के लिए बदलाव किया। जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है। भारत का अपना एक संविधान है। किसी भी खवातीन (महिला) को तलाक, तलाक, तलाक बोलकर उसके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है।
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने कहा- तीन तलाक बिल मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं है। सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर भाजपा का क्या मत है?
केरल के कोल्लम से सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने सबरीमाला मंदिर विवाद पर लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया।
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ, राज्यसभा में श्रद्धांजलि दी गई।
मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में तीन तलाक विधेयक को लोकसभा से पास करा लिया था, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण वहां पारित नहीं हो सका था। 12 जून को कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि नया विधेयक फरवरी में पेश हुए अध्यादेश का स्थान लेगा। जावड़ेकर ने उम्मीद जताई कि इस बार यह बिल राज्यसभा से भी पास करा लिया जाएगा। 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में केंद्र सरकार तीन तलाक समेत 10 बिल पेश कर सकती है।
तीन तलाक पर नया विधेयक क्यों लाना पड़ा?
संसदीय नियमों के मुताबिक, जो विधेयक सीधे राज्यसभा में पेश किए जाते हैं, वो लोकसभा भंग होने की स्थिति में स्वत: समाप्त नहीं होते। जो विधेयक लोकसभा में पेश किए जाते हैं और राज्यसभा में लंबित रहते हैं, वेनिचले सदन यानी लोकसभा भंग होने की स्थिति में अपने आप ही समाप्त हो जाते हैं। तीन तलाक बिल के साथ भी यही हुआ और इसी वजह से सरकार को नया विधेयक लाना पड़ रहा है।
फरवरी में लोकसभा में पास हो गया था बिल
लोकसभा में तीन तलाक पर कानूनी रोक वाला विधेयक फरवरी में पारित हो गया था।राज्यसभा में एनडीए सरकार के पास बहुमत नहीं था, इसलिए बिल वहां अटका रहा। अब सरकार बजट सत्र में इसे पेश करने और दोनों सदनों से पास कराने की उम्मीद कर रही है। अध्यादेश को भी कानून में तभी बदला जा सकता है जबकि संसद सत्र आरंभ होने के 45 दिन के भीतर उसे पास करा लिया जाए। अन्यथा अध्यादेश की अवधि समाप्त हो जाती है।
नए विधेयक में ये हुए थे बदलाव
अध्यादेश के आधार पर तैयार नए बिल के मुताबिक, आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी। मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद वाजिब वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं। उन्हें पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा।
- बिल के मुताबिक, मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा। आरोपी को उसका भी गुजारा देना होगा। तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार (मायके या ससुराल) के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएं।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से निजात दिलाने के लिए तीन तलाक बिल को शुक्रवार को लोकसभा के पटल पर रखा. इसके बाद सदन में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया. तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए हैदराबाद से सांसद और AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन है. मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं? आखिर सबरीमाला पर आपका रुख क्या है?
सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक विधेयक पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे 1 साल की सजा और मुसलमान को 3 साल की सजा. क्या यह आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन नहीं है? इस बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी. आप मुस्लिम महिलाओं के हित में नहीं हैं बल्कि आप उन पर बोझ डाल रहे हैं.
ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि अगर कोई शख्स एक समय में तीन तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी. ऐसे में बिल में जो प्रवाधान है, उससे पति जेल चला जाएगा और उसे 3 साल जेल में रहना होगा. ऐसे में मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा? आप (सरकार) देंगे?
ओवैसी ने कहा कि आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है. केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं है. क्यों आप सबरीमाला के फैसले के खिलाफ हैं? यह गलत हो रहा है.
ओवैसी से पहले कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सदन में कहा कि मैं इस बिल के पेश किए जाने का विरोध करता हूं. उन्होंने कहा कि मैं तीन तलाक का समर्थन नहीं करता, लेकिन इस बिल के विरोध में हूं. थरूर ने कहा, यह बिल संविधान के खिलाफ है, इसमें सिविल और क्रिमिनल कानून को मिला दिया गया है.
उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नजर में तलाक देकर पत्नी को छोड़ देना गुनाह है, तो ये सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित क्यों है. उन्होंने कहा कि क्यों न इस कानून को सभी समुदाय के लिए लागू किया जाना चाहिए. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि सरकार इस बिल के जरिए मुस्लिम महिलाओं को फायदा नहीं पहुंचा रही है बल्कि सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को ही सजा दी रही है.