झुग्गियां तोड़ने पर कर्नाटक हाईकोर्ट की सरकार को फटकार, कहा- बेघर लोगों को अस्थाई घर या हर्जाना दें

कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा कि इन पीड़ितों की पहचान करने की जिम्मेदारी राज्य की है और वह ऐसा करने के लिए याचिकाकर्ता की मदद ले सकता है.

बेंगलुरु. कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka Highcourt) ने बेंगलुरु (Bengaluru) के बेलंदूर (Bellandur) में अवैध झुग्गियों के गिराए जाने के मामले में ‘कानून की उचित प्रक्रिया’ का पालन न करने के लिए सोमवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई. बता दें 19 जनवरी 2020 को अवैध बांग्लादेशियों के शक में करियम्मना आग्राहारा में जेसीबी मशीनों ने तमाम झुग्गियों को तोड़ दिया था.

मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि जिन लोगों के घर तोड़े गए हैं उन्हें तत्काल राहत देने के लिए दो हफ्ते के भीतर अपनी योजना बताए. आदेश के मुताबिक राज्य को या तो मौद्रिक क्षतिपूर्ति या हटाए गए लोगों को अस्थायी पुनर्वास देना होगा.

एक महीने में पेश करनी होगी योजना
अदालत द्वारा एक महीने के भीतर सभी पीड़ितों को पुनर्वास के लिए एक योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए गए हैं. अदालत ने कहा कि इन पीड़ितों की पहचान करने की जिम्मेदारी राज्य की है और वह ऐसा करने के लिए याचिकाकर्ता की मदद ले सकता है. इधर, याचिकाकर्ता ने एक प्रारंभिक सूची प्रस्तुत की है जिसमें उन 144 परिवारों के नाम शामिल हैं जो कि तोड़फोड़ के समय उन शेड में रह रहे थे.
हालांकि राज्य सरकार और ब्रहत बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) दोनों ने यह दलील दी कि उन्होंने इस तोड़फोड़ का आदेश नहीं दिया है, वहीं अदालत ने फोटो में पाया कि पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में झुग्गियां तोड़ी गई थीं.

अदालत पीपल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि संबंधित प्राधिकरण ने साइट का दौरा नहीं किया है या निवासियों के विवरण को सत्यापित करने के लिए कोई जांच नहीं की है.

विधायक के ट्वीट के बाद की गई थी कार्रवाई
घरों को तोड़ने के लिए जिम्मेदार इंजीनियर, नारायण स्वामी, जिन्हें इस घटना के बाद से बीबीएमपी से से निकाल दिया था ने कथित तौर पर भाजपा विधायक अरविंद लिंबावल्ली के एक ट्वीट के बाद इस घटना को अंजाम दिया. इस ट्वीट में कहा गया था कि उन्होंने अधिकारियों को “अवैध रूप से निर्मित शेड” में, जिनमें से कुछ में “बांग्लादेश के अवैध आप्रवासी” रह रहे थे में चल रही “अवैध गतिविधियों” के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.

इन झुग्गियों में रहने वाले सभी गरीब भारतीय थे जिनमें से कुछ उत्तरपूर्वी राज्यों के, कुछ अन्य उत्तर कर्नाटक के थे जो बेंगलुरु आए थे. राज्य को अब 26 फरवरी को राहत देने की अपनी योजना प्रस्तुत करनी होगी, इसी दिन मामले की अगली सुनवाई होगी.

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