चंडीगढ़ को 37 साल लंबे इंतजार के बाद मिली बीसीसीआई से मान्यता, रणजी ट्रॉफी खेलने का रास्ता साफ
चंडीगढ़ को लगभग चार दशक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बीसीसीआई से मान्यता मिल गई है, रणजी खेलने का रास्ता हुआ साफ
चंडीगढ़ .करीब चार दशक के लंबे इंतजार के बाद चंडीगढ़ को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से मान्यता मिल गई है, इससे अब चंडीगढ़ के खिलाड़ी बीसीसीआई टूर्नामेंट में खेल सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने इस फैसले को मंजूरी दे दी।
इसकी जानकारी यूनियन टेरिटरी क्रिकेट असोसिएशन (यूटीसीए) के अध्यक्ष संजय टंडन ने दी। यूटीसीए का गठन 1982 में हुआ था और तभी से चंडीगढ़ को मान्यता दिलाने के प्रयास किए जा रहे थे।
इस फैसले से अब चंडीगढ़ के खिलाड़ी अपने शहर का प्रतिनिधित्व कर पाएंगे, जो अब तक पंजाब या हरियाणा की ओर से खेलने को मजूबर थे। चंडीगढ़ से कपिल देव और युवराज सिंह जैसे बेहतरीन क्रिकेटर निकले, जिन्हें अपने शहर की टीम न होने की वजह से हरियाणा की तरफ से खेलना पड़ा।
अब चंडीगढ़ रणजी ट्रॉफी में अपनी टीम उतार सकता है और बीसीसीआई द्वारा आयोजित अन्य टूर्नामेंट्स में भी हिस्सा ले सकता है। अब तक दिल्ली ही बीसीसीसीआई से मान्यता प्राप्त एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है।
संजय टंडन ने कहा, ‘इसी दिन का क्रिकेट खेलने वालों के परिवार और क्रिकेटर इंतजार कर रहे थे कि कब चंडीगढ़ को बीसीसीआई से मान्यता मिलेगी। ये सपना आज पूरा हो गया और चंडीगढ़ को बीसीसीआई की मान्यता मिल गई है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं बीसीसीआई का हमें मान्यता देने के लिए शुक्रगुजार हू्ं। मुझे पूरा भरोसा है कि हम सेक्टर-16 स्थित स्टेडियम में वनडे और आईपीएल मैच आयोजित कर पाएंगे। ये उन सभी कोचों और खिलाड़ियों के लिए सपने सच होने जैसा होगा, जिन्होंने इस दिन के लिए सालों से मेहनत की है।’
बीसीसीआई ने इस महीने की शुरुआत में चंडीगढ़ क्रिकेट असोसिएशन (पंजाब) और चंडीगढ़ क्रिकेट असोसिएशन (हरियाणा) को यूटीसीए में विलय करके चंडीगढ़ के प्रतिनिधित्व के लिए एक एकीकृत इकाई बनाने को कहा था।
जहां चंडीगढ़ क्रिकेट असोसिएशन (पंजाब) इस विलय पर सहमत हो गए थे तो वहीं चंडीगढ़ क्रिकेट असोसिएशन (हरियाणा) किसी भी निर्णय पर पहुंचने में असफल रहे थे।