क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) के खिलाफ आईएमए का रुख हुआ सख्त, लागू हुआ तो 23 को ठप्प कर देंगे सेहत सुविधाएं- आईएमए

डाक्टरों का कहना है कि एक्ट को डाक्टरों की सहमती व विचार विमर्श के बिना ही लागू किया जा रहा है। यही नहीं इसे ऐसे समय में लागू किया जा रहा है जब पंजाब सहित पूरे देश में कोविड-19 बीमारी ने पैर जमा रखे हैं व चिकित्सा सेवाओं को बेहतर करने में हर कोई जुटा हुआ है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके लेकिन इसी बीच पंजाब सरकार इसे जबरन थोपने में लगी है। यह विवाद 2010 से ही है, जब एक्ट बना. 2015 में इसे लागू करने का आदेश हुआ. तब भी निजी अस्पतालों के डाक्टरों ने इसका विरोध किया था।

बठिंडा. राज्य में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) बड़ा विवाद का विषय बन गया है। पंजाब सरकार ने इसे एक जुलाई से राज्य भर में लागू करने की बात कही है इसके बाद राज्य भर में आईएमए के बैनत तले डाक्टर एकजुट होकर इसका विरोध कर रहे हैं। वही सरकार से इस एक्ट को बिना किसी देरी के रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

डाक्टरों का कहना है कि एक्ट को डाक्टरों की सहमती व विचार विमर्श के बिना ही लागू किया जा रहा है। यही नहीं इसे ऐसे समय में लागू किया जा रहा है जब पंजाब सहित पूरे देश में कोविड-19 बीमारी ने पैर जमा रखे हैं व चिकित्सा सेवाओं को बेहतर करने में हर कोई जुटा हुआ है ताकि लोगों की जान बचाई जा सके लेकिन इसी बीच पंजाब सरकार इसे जबरन थोपने में लगी है। यह विवाद 2010 से ही हैजब एक्ट बना. 2015 में इसे लागू करने का आदेश हुआ. तब भी निजी अस्पतालों के डाक्टरों ने इसका विरोध किया था। लाचार सरकार ने इसे लंबित रख दिया। सभी निजी अस्पतालों से जुड़े डाक्टरों ने 23 जून को बंद का ऐलान कर दिया है। सरकार व निजी डाक्टर आमने-सामने आ गए हैं। सरकार की मंशा सुधार की होगीलेकिन आइएमए का तर्क हैइससे इंस्पेक्टर राज कायम हो जाएगा. इन दोनों की लड़ाई का खामियाजा जनता भुगतेगी।

सीईए में ये सख्त नियम हैं

इलाज को लेकर अस्पतालों की जवाबदेही तय होगी. अस्पताल प्रबंधन मरीजों से जुड़े मेडिकल रिकार्ड सुरक्षित रखेंगे। इमरजेंसी में पहुंचे मरीज को स्टेबल करेंगेफिर रेफर करेंगे। निर्धारित कीमतों को सार्वजनिक करना होगा। मनमाना शुल्क नहीं वसूल पाएंगे। इमरजेंसी में 24 घंटे एमबीबीएस डॉक्टर ही रहेंगे। गलती होने पर अस्पताल प्रबंधन व डाक्टर कार्रवाई की जा सकेगी।

आइएमए के प्रदेश उपाध्यक्ष व जिला प्रधान डा. विकास छाबड़ा का का कहना हैक्लीनिक इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू होने पर शहरों के आधे से ज्यादा अस्पताल व क्लीनिक बंद हो जाएंगे. बड़े अस्पताल ही रह जाएंगे। इनमें भी इलाज महंगा हो जाएगा। कारपोरेट घराने ही अस्पताल चलाएंगे। राज्य में सीईए के कठोर नियमों का पालन संभव नहीं है। इससे केवल इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। भ्रष्टाचार बढ़ेगा। सरकार हमारे अस्पतालों व क्लीनिकों को बंद करेइससे पहले हम ही बंद कर देते हैं। हम नहीं चाहते हैं बंद करनालेकिन हमारी मजबूरी है। क्लीनिकल इस्टेबिल्शमेंट एक्ट को लागू न किया जाए। क्योंकि इस एक्ट से जहां छोटे अस्पतालों व नर्सिंग होम के डाक्टरों की परेशान बढ़ेगीबल्कि मरीजों पर भी इलाज का खर्च बढ़ने से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। छोटे अस्पताल व नर्सिंग होम बंद हो जाएंगेजहां 70 प्रतिशत पंजाब की आबादी इलाज करवाती है। एक्ट के लागू होने से गरीब व जरूरतमंद मरीजों के लिए इलाज करवाना मुशिकल हो जाएगा। वहीं प्राइवेट कालेजों में फीस बढ़ोतरी का निर्णय भी बेहद निंदनीय है। पहले ही प्राइवेट मेडिकल कालेजों की फीसें बहुत अधिक हैं। ऐसे में और ज्यादा फीसें बढ़ाने से स्टूडेंटस मेडिकल की पढाई करना छोड़ देंगे। जिससे देश में डाक्टरों की कमी आ सकती है। डॉ. कत्याल ने कहा कि दोनों फैसलें जनविरोधी है।

आईएमए क्लीनिकल इस्टेबिल्शमेंट एक्ट को लागू नहीं होने देगी। सरकार को अपने इस फैसले को वापस लेना होगा। अगर सरकार अपने फैसले को वापस नहीं लेती तो 23 जून को एक दिन के लिए इमरजेंसी सहित मेडिकल सेवाओं को बंद करेंगे। एक दिन के बंद के बाद भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठायातो मीटिंग करके विरोध प्रदर्शन को और तेज करेंगे। इस मौके पर डॉ. राजेश महेश्वरीडा. शिवदत्त गुप्ताडा. नारंगडा. बजाजडा. दीपक बांसलडा. अश्वनी गोयलडा.गौरव गुप्ताडा. विवेक जिंदल भी हाजिर रहे।

 

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