उत्तर से दक्षिण तक बाढ़ का सैलाब, महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में भारी तबाही, गृह मंत्रालय ने भेजी एनडीआरएफ की 83 टीमें
देश के कई राज्य बाढ़ और बारिश से जूझ रहे हैं. बाढ़ से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों में एनडीआरएफ की 83 टीमें लगाई गई हैं.
नई दिल्ली: देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार हो रही बारिश के कारण स्थिति खराब हो गई है. कई राज्यों में भारी जानमाल का नुकसान हुआ है. सरकार और प्रशासन राहत और बचाव कार्य में लगी है. गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि बाढ़ प्रभावित चार राज्यों महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और गुजरात में राहत और बचाव कार्यों के लिये राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की लगभग 83 टीमें भेजी गई हैं.
Visuals of flood-affected Sangli district in Maharashtra. (Source: Defence PRO) pic.twitter.com/MTTiVzjMMQ
— ANI (@ANI) August 9, 2019
ये टीमें सेना, नौसेना, वायुसेना और तटरक्षक बलों की 173 टीमों के साथ मिलकर काम कर रही हैं. एनडीआरएफ की एक टीम में लगभग 45 कर्मी होते हैं. बयान के अनुसार, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह लगातार हालात पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. मौसम विभाग के अनुसार बीते दो दिनों में महाराष्ट्र, केरल और कर्नाटक में बहुत तेज बारिश हुई है. इसके अलावा गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में शनिवार तक भारी बारिश की संभावना जतायी गई है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ से भारी जान-माल का नुकसान
महाराष्ट्र
देश के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ से भारी जान-माल का नुकसान हुआ है. महाराष्ट्र में बीते एक सप्ताह के दौरान बाढ़ से संबंधित कई घटनाओं में करीब 27 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2.03 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र में बाढ़ के हालात को देखते हुए 30 हजार जानवरों को भी सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है.
कर्नाटक
कर्नाटक में भी हालात खराब है. कर्नाटक में बाढ़ से अब तक 71 लोगों की जान जा चुकी है. प्रशासन अब तक करीब दो लाख लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा चुका है.
केरलमहाराष्ट्र के अलावा केरल में लगातार हो रही भारी बारिश से पिछले दो दिनों में 22 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य भर में अब तक 22,000 से अधिक लोगों को 315 राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है. वहीं ज्यादातर हिस्सों में भारी बारिश के बाद मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने शुक्रवार को लोगों को भरोसा दिया कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने बाद मीडिया से बातचीत में विजयन ने कहा कि चीजें नियंत्रण में हैं. विजयन ने कहा, “अगर कोई बाढ़ की तुलना बीते साल इसी समय आई बाढ़ से करता है तो इस बार यह उस तरह से गंभीर नहीं है। सरकार के तौर पर हमने हर सावधानी बरती है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है. समय की जरूरत है कि लोग प्रशासन के साथ सहयोग करें, अगर उन्हें खतरे की संभावना वाले जगहों से जाने को कहा गया है तो उन्हें इसका पालन करना चाहिए.”
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जलस्तर बढ़ा
उत्तर प्रदेश में विभिन्न नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. बाराबंकी और गोंडा में घाघरा का जलस्तर खतरे का निशान पार कर गया है. प्रयागराज में गंगा-यमुना के जलस्तर में काफी वृद्घि हुई है. बनारस में गंगा का जलस्तर बढ़ने से घाटों का संपर्क टूटने लगा है. प्रशासन ने एहतिहात के तौर पर गंगा में सभी तरह के नौका संचालन पर रोक लगा दी है.
वहीं हालात मध्य प्रदेश में भी सामान्य नहीं हैं. मध्यप्रदेश में लगातार हो रही बारिश से प्रदेश के सभी नदी नाले उफान पर हैं. तवाबर्गी बांध का गेट खोले जाने से जबलपुर और होशंगाबाद के निचले इलाकों में पानी भर गया है. सरदार सरोवर डैम में पानी बढ़ने से खतरा पैदा हो गया है.
हिमाचल प्रदेश में यातायात ठप
हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार वर्षा से हुए भूस्खलन के कारण 255 सड़कों पर यातायात ठप हो गया. मंडी ज़ोन में सबसे अधिक 123 सड़कें बंद हैं. शिमला ज़ोन में 89, कांगड़ा ज़ोन में 26 और हमीरपुर में 17 सड़कें अवरुद्ध हैं. सड़कें बंद होने से लोगों को दिक्कतों का भारी सामना करना पड़ रहा है.
गोवा के मुख्यमंत्री की अपील
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने लोगों से अपील की कि वह मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान दें, ताकि सरकार भारी बारिश के बाद राज्य के कई इलाकों में आई बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्य करने में जनता की मदद कर सके. सावंत ने विधानसभा को बताया कि सरकार भारी बारिश के बाद आई बाढ़ के नुकसान का आकलन करने की प्रक्रिया में है. उन्होंने यह भी कहा कि परस्थिति से निपटने के लिए भारत सरकार से आर्थिक मदद की मांग की जाएगी. सावंत ने कहा, “मैं उद्योगपतियों और गोवा के लोगों से आग्रह करता हूं कि वह मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान करें, जिससे सहायता राशि के माध्यम से बाढ़ से ग्रस्त लोगों के पुनर्वास में मदद मिल सके.”