कुमारस्वामी सरकार का फ्लोर टेस्ट आज- सुबह ग्यारह बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी, कांग्रेस विधायक ‘लापता’, पार्टी ने पुलिस से की शिकायत
कांग्रेस के 13 और जेडीएस के तीन विधायकों सहित कुल 16 विधायकों ने इस्तीफा दिया है. वहीं, दो निर्दलीय विधायकों- आर शंकर और एच नागेश ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. दो निर्दलीयों के समर्थन से 225 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.
बेंगलुरू: कर्नाटक में बीते 15 दिन से जारी सियासी संग्राम आज खत्म हो सकता है. गुरुवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है, इससे साफ हो जाएगा कि एचडी कुमारस्वामी की सरकार बचेगी या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को बागी विधायकों के इस्तीफे या अयोग्य किए जाने पर फैसला लेने की छूट दे दी थी. बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस दावा कर रही है कि उनके पास बहुमत है.
‘लापता’ विधायक के लिए पुलिस में शिकायत
कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार का आज यानी गुरुवार को शक्ति परीक्षण है. कांग्रेस और जेडीएस सरकार पर संकट का ये बादल 16 विधायकों के बगावत से मंडरा रहा है, हालांकि एक बागी विधायक ने सरकार के पक्ष में वोट करने का ऐलान किया है, जबकि बाकी बागी विधायकों का दावा है कि उन्हें बीजेपी ने साईं बाबा की कसम दिलाई है.
- बीजेपी 105
- निर्दलीय 2
- कांग्रेस 78 + 1 (स्पीकर)
- जेडीएस 37
- बसपा 1
- मनोनीत 1
- इस्तीफे या अयोग्यता के बाद
- बीजेपी 105
- निर्दलीय 2
- जेडीएस 34
- कांग्रेस 65
- बसपा 1
- मनोनीत 1
फ्लोर टेस्ट से पहले सियासी उठापठक जारी है. इस बीच बागी विधायक रामलिंगा रेड्डी का कहना है कि वह अब कर्नाटक की सरकार के पक्ष में ही मतदान करेंगे. दूसरी ओर कुछ बागी विधायकों का कहना है कि बीजेपी उन्हें साईं बाबा की कसम दिलवा रही है कि वे उनके पक्ष में ही मतदान करें.
कांग्रेस-जेडीएस सरकार का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा
कर्नाटक में 18 जुलाई को विधानसभा में विश्वासमत से पहले बुधवार को कांग्रेस-जेडीएस सरकार का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है. कर्नाटक की राजनीति में बीते दो हफ्ते से जारी उठापटक के बीच आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तस्वीर साफ होती दिख रही है. कोर्ट ने बागी विधायकों को पार्टी व्हिप के मानने की बाध्यता से छूट दे दी है. कोर्ट ने साफ किया है कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला विधानसभा के स्पीकर लेंगे. कोर्ट के इस फैसले का सीधा मतलब ये हुआ कि कांग्रेस और जेडीएस के बागी 15 विधायक के इस्तीफों पर जब तक स्पीकर फैसला नहीं लेते हैं, तब तक विधानसभा की कार्यवाही में उनका हाजिर रहना जरूरी नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर स्पीकर विश्वासमत के दिन यानि कल तक फैसला नहीं लेते हैं तो कांग्रेस और जेडीएस के विधायक पार्टी व्हिप के बावजूद विधानसभा से गैर हाजिर रह सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा राजनीतिक समीकरण के मुताबिक कुमारस्वामी की सरकार का जाना तय माना जा रहा है.
कोर्ट के फैसले को राजनीतिक हलकों में बागी विधायकों के लिए राहत माना गया क्योंकि इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उन्हें एक विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहते हैं या उससे दूर रहना चाहते हैं.
विधानसभा जाने का कोई सवाल नहीं है- बागी विधायक
सत्ताधारी गठबंधन ने दलबदल निरोधक कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के प्रावधान का उल्लेख करते हुए बागी विधायकों के खिलाफ व्हिप जारी करने की चेतावनी दी थी कोर्ट के आदेश के बाद मुम्बई में बागी कांग्रेस-जेडीएस विधायकों ने कहा कि उनके इस्तीफे या सत्र में हिस्सा लेने को लेकर उनके पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता. कांग्रेस के बागी विधायक बी सी पाटिल ने मीडिया को जारी एक वीडियो में कहा, ”हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से खुश हैं, हम उसका सम्मान करते हैं.” इससे सत्ताधारी गठबंधन की उन्हें वापस अपने पाले में लाने की उम्मीदें और कम हो गई. पाटिल के साथ कांग्रेस-जेडीएस के 11 अन्य विधायक भी थे जिन्होंने इस्तीफ दिया है. पाटिल ने कहा, ”हम सभी साथ हैं और हमने जो भी निर्णय किया है…किसी भी कीमत पर (इस्तीफों पर) पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता. हम अपने निर्णय पर कायम हैं. विधानसभा जाने का कोई सवाल नहीं है.”
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने विधानसभा अध्यक्ष को भी यह स्वतंत्रता दी कि वह उस समयसीमा के भीतर 15 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करें, जिसे वह उचित मानते हैं. शीर्ष अदालत ने फैसला विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली बागी विधायकों की याचिका पर सुनवायी करते हुए दिया. कर्नाटक के विधानसभाध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने अपने गृह नगर कोलार में बागी विधायकों के इस्तीफों पर निर्णय की उन्हें स्वतंत्रता देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि वह संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप जिम्मेदार तरीके से कार्य करेंगे. विधानसभाध्यक्ष ने हालांकि उस समयसीमा के बारे में कोई संकेत नहीं दिया जिसमें वह इस्तीफों पर फैसला करेंगे.
विधानसभा में विपक्षी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं
कांग्रेस के 13 और जेडीएस के तीन विधायकों सहित कुल 16 विधायकों ने इस्तीफा दिया है. वहीं, दो निर्दलीय विधायकों- आर शंकर और एच नागेश ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. इस बीच कांग्रेस ने 13 विधायकों को अयोग्य ठहराने पर जोर दिया है जिसमें निर्दलीय आर शंकर शामिल हैं जिन्होंने अपनी केपीजेपी का उसके साथ विलय कर लिया था. कांग्रेस के अन्य विधायकों में प्रताप गौड़ा पाटिल, बी सी पाटिल, शिवराम हेबार, एस टी सोमशेखर, बी बसावराज, आनंद सिंह, रोशन बेग, मुनीरत्ना, के सुधाकर और एमटीबी नागराज शामिल हैं. अयोग्य ठहराने की अर्जी रमेश जरकीहोली और महेश कुमातली के खिलाफ दी गई है. सदन में सत्ताधारी गठबंधन का संख्याबल 117 हैं..जिसमें कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37, बसपा का एक और एक नामित सदस्य हैं. इसके अलावा विधानसभाध्यक्ष हैं. दो निर्दलीयों के समर्थन से 225 सदस्यीय विधानसभा में विपक्षी बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.
मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं- येदियुरप्पा
यदि 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो सत्ताधारी गठबंधन का संख्याबल कम होकर 101 हो जाएगा. इससे 13 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ जाएगी. कांग्रेस नेता और मंत्री डी के शिवकुमार ने कहा कि पार्टी सदन में पार्टी के सभी विधायकों की मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए व्हिप जारी कर सकती है और कोई भी उल्लंघन होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. उन्होंने बीजेपी के कुछ नेताओं पर इस बारे में गुमराह करने का आरोप लगाया कि व्हिप वैध नहीं है. कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बी एस येदियुरप्पा फैसले से खुश हैं. उन्होंने कहा कि यह बागी विधायकों के लिए एक नैतिक जीत है. उन्होंने कहा, ”मैं सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता हूं. यह संविधान और लोकतंत्र की एक जीत है. यह बागी विधायकों की नैतिक जीत है.”
Ramalinga Reddy confirms that he will remain in Congress party and vote in favour of Karnataka govt in tomorrow's trust vote. (file pic) pic.twitter.com/j0YJgfrVAv
— ANI (@ANI) July 17, 2019
वहीं कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के ओदश को एक खराब फैसला बताते हुए कहा कि यह दलबदलू विधायकों को संरक्षण प्रदान करने वाला और खरीद फरोख्त को बढ़ावा देने वाला प्रतीत होता है. विधानसभाध्यक्ष के साथ मुलाकात के बाद वरिष्ठ मंत्री कृष्णा बाइरेगौड़ा ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि सत्र में शामिल होना या नहीं होना विधायकों पर है, यद्यपि विधानसभा के नियम कहते हैं कि विधायकों को अपनी अनुपस्थिति के लिए अनुमति लेनी होगा. उन्होंने कहा, ”हमने विधानसभाध्यक्ष से पूछा है कि क्या यह छूट दी गई है.”
Karnataka: JD(S) issues whip to its MLAs including rebels H Vishwanath, Narayana Gowda, H Gopalaiah, to be present for trust vote at Vidhana Soudha tomorrow. Whip states if session isn't attended or voting is done against party, action will be initiated under Anti-defection law pic.twitter.com/BTXOqyE8ns
— ANI (@ANI) July 17, 2019
राज्य में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के गठबंधन की सरकार, विधानसभा में विश्वास मत का सामना करेगी. इसका ऐलान राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सदन के मानसून सत्र के पहले दिन ही किया था. उन्होंने स्पीकर के.आर. रमेश से कहा था कि सरकार विश्वास मत का सामना करने के लिए तैयार है. हालांकि कुमारस्वामी के इस फैसला पर पहले तो भारतीय जनता पार्टी ने नाराजगी जाहिर की और इसको लेकर असमंजस में रही.
इसके बाद राज्य की बीजेपी इकाई के मुखिया और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने भी कहा कि पार्टी विश्वास मत के लिए तैयार है. सदन की कार्रवाई के खत्म होने के बाद पहले ही दिन बीजेपी, जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों को उनकी पार्टी ने रिजॉर्ट्स में भेज दिया था.
वहीं कांग्रेस और जेडीएस के बागी विधायकों ने स्पीकर से मुलाकात करने के बाद दोबारा मुंबई का रुख कर लिया था. इस बीच खबर है कि कांग्रेस के दो विधायक फिलहाल पार्टी के साथ रहने को राजी है. इसमें पहला नाम नागराज का है वहीं दूसरा नाम रामलिंग रेड्डी का है. समाचार एजेंसी ANI के अनुसार रेड्डी ने इस आशय की पुष्टि की है कि वह फ्लोर टेस्ट के दौरान सरकार के समर्थन में मतदान देंगे.